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कोल्हान आयुक्त ने किया 'हो काजि पुडुवा' शब्दकोश का लोकार्पण, कहा- नई पीढ़ी को मिलेगी मदद

चाईबासा में लेखक अर्जुन मुंदुइया की लिखित शब्दकोश 'हो काजि पुडुवा' का लोकार्पण प्रमंडलीय आयुक्त डॉ मनीष रंजन ने किया. इस दौरान सभी ने पुस्तक के लेखक को धन्यवाद किया और कहा कि यह पुस्तक आने वाली पीढ़ी को भाषा का ज्ञान देने में बेहद कारगर और उपयोगी साबित होगी.

kaji puduwa dictionary in chaibasa
'हो काजि पुडुवा' शब्दकोश का लोकार्पण
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Published : Dec 4, 2020, 12:53 PM IST

चाईबासा: प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय सिंहभूम (कोल्हान) प्रमंडल चाईबासा में लेखक अर्जुन मुंदुइया की लिखित शब्दकोश 'हो काजि पुडुवा' का लोकार्पण प्रमंडलीय आयुक्त डॉ मनीष रंजन ने किया. लोकार्पण कार्यक्रम में मुख्य रूप से पुलिस उपमहानिरीक्षक कोल्हान क्षेत्र राजीव रंजन सिंह, जिला उपायुक्त पश्चिमी सिंहभूम चाईबासा अरवा राजकमल, पुलिस अधीक्षक पश्चिमी सिंहभूम चाईबासा अजय लिंडा, कुलपति कोल्हान विश्वविद्यालय आदि अधिकारियों के साथ शब्दकोश के लेखक अर्जुन मुंदुइया सहित अन्य लोग भी मौजूद रहे.

बेहतरीन शब्दकोश का निर्माण
प्रमंडलीय आयुक्त डॉ मनीष रंजन ने पुस्तिका के लोकार्पण के क्रम में सभी को संबोधित करते हुए कहा कि आम पुस्तक लिखना एक अलग बात है और शब्दकोश का निर्माण करना दूसरी बात है. जिसमें अधिक मेहनत और शब्दों का चयन करना पड़ता है. उन्होंने पुस्तक के लेखक को धन्यवाद करते हुए कहा कि यह पुस्तक आने वाली पीढ़ी को भाषा का ज्ञान देने में बेहद कारगर और उपयोगी साबित होगी. उन्होंने पुस्तक लिखने में लेखक की ओर से की गई मेहनत और रिसर्च की व्याख्या की. कहा कि रिटायरमेंट की उम्र में इतनी बेहतरीन शब्दकोश का निर्माण करना अपने में ही बेहद उच्चतम बात है.


प्रशासनिक स्तर पर यह शब्दकोश होगा कारगर
पुलिस उपमहानिरीक्षक कोल्हान क्षेत्र राजीव रंजन सिंह ने कहा कि कोल्हान क्षेत्र में जब भी हम ग्रामीण क्षेत्र जाते हैं, तो ग्रामीणों से संवाद स्थापित करना एक विशेष समस्या रहती है. हमें ग्रामीणों के समक्ष अपनी बात को रखने में समस्या आती है. प्रशासनिक स्तर पर भी यह शब्दकोश बहुत कारगर होगा. जिसकी मदद से हम अपनी बातों को 'हो भाषा' में कंवर्ट कर ग्रामीणों के सामने बहुत ही आसानी से रख सकते हैं.

इसे भी पढ़ें- नए पर्यटक स्थलों की हो खोज, सीएम का निर्देश, खेल को करियर विकल्प के लायक बनाने पर जोर

हो भाषा के शब्द का अंग्रेजी और हिंदी अनुवाद
शब्दकोश के लेखक अर्जुन मुंदुइया ने संबोधित करते हुए कहा कि हम आज कल गांव से शहरों की तरफ पलायन कर रहे हैं. धीरे-धीरे हम अपनी भाषा को भूलते जा रहे है. हिंदी और अंग्रेजी के संपर्क में आने लगे है. उन्होंने कहा कि शब्दकोश को लिखने का मेरा मकसद यह है कि जो लोग गांव से शहर चले गए हैं. वह शब्दकोश के माध्यम से अपने गांव की मिट्टी से पुनः जुड़ सकते है और अपनी भाषा संस्कृति के प्रति जागरूक हो सकते हैं. इस शब्दकोश में हो भाषा के शब्द का अंग्रेजी और हिंदी अनुवाद दिया गया है, जिसे कोई भी बड़े आसानी से पढ़ और समझा जा सकता है.

‘हो-इंग्लिश डिक्शनेरी’ कोल्हान क्षेत्र में प्रचलित
लेखक अर्जुन मुंदुइया ने कहा कि संपूर्ण झारखंड में वर्ष 2011 की जन गणना के अनुसार 14 लाख 21 हजार 28 लोग हो भाषा का प्रयोग करते है. जिसको देखते हुए इस किताब की रचना की गई है. हो भाषा से संबंधित यह रचना अपने आप में अलग बन पड़ी है. इसके पूर्व कई दशकों से धनुर सिंह पुर्ती की सहायता से फादर डेनी की लिखित ‘हो-इंग्लिश डिक्शनेरी’ कोल्हान क्षेत्र में प्रचलित और काफी लोकप्रिय रही है. इस किताब के अंग्रेजी लिपि में होने के कारण 'हो’ शब्दों के उच्चारण में थोड़ी असुविधा होती है. प्राथमिक शिक्षा देवनगरी से शुरू होती है, इसलिए ‘हो-काजी पुडुवा’ में देवनगरी लिपि के प्रयोग से इस विसंगति को दूर करने की कोशिश की गई है. यह शब्दकोश उन बच्चों के लिए काफी सहायक सिद्द होगी, जिनकी पढ़ाई गांवों से दूर शहरों में हुई है और वो अपनी मातृभाषा को बचपन में सीखने से वंचित रहे हैं. काफी सारे शब्दों के साथ चित्रों के समावेश होने से यह गार शब्दकोश झारखंड लोक सेवा के परीक्षार्थियों के लिए भी काफी मददगार शाबित होगी. भविष्य में 'हो’ भाषा के आठवीं अनुसूची में शामिल होने की संभावना है.

चाईबासा: प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय सिंहभूम (कोल्हान) प्रमंडल चाईबासा में लेखक अर्जुन मुंदुइया की लिखित शब्दकोश 'हो काजि पुडुवा' का लोकार्पण प्रमंडलीय आयुक्त डॉ मनीष रंजन ने किया. लोकार्पण कार्यक्रम में मुख्य रूप से पुलिस उपमहानिरीक्षक कोल्हान क्षेत्र राजीव रंजन सिंह, जिला उपायुक्त पश्चिमी सिंहभूम चाईबासा अरवा राजकमल, पुलिस अधीक्षक पश्चिमी सिंहभूम चाईबासा अजय लिंडा, कुलपति कोल्हान विश्वविद्यालय आदि अधिकारियों के साथ शब्दकोश के लेखक अर्जुन मुंदुइया सहित अन्य लोग भी मौजूद रहे.

बेहतरीन शब्दकोश का निर्माण
प्रमंडलीय आयुक्त डॉ मनीष रंजन ने पुस्तिका के लोकार्पण के क्रम में सभी को संबोधित करते हुए कहा कि आम पुस्तक लिखना एक अलग बात है और शब्दकोश का निर्माण करना दूसरी बात है. जिसमें अधिक मेहनत और शब्दों का चयन करना पड़ता है. उन्होंने पुस्तक के लेखक को धन्यवाद करते हुए कहा कि यह पुस्तक आने वाली पीढ़ी को भाषा का ज्ञान देने में बेहद कारगर और उपयोगी साबित होगी. उन्होंने पुस्तक लिखने में लेखक की ओर से की गई मेहनत और रिसर्च की व्याख्या की. कहा कि रिटायरमेंट की उम्र में इतनी बेहतरीन शब्दकोश का निर्माण करना अपने में ही बेहद उच्चतम बात है.


प्रशासनिक स्तर पर यह शब्दकोश होगा कारगर
पुलिस उपमहानिरीक्षक कोल्हान क्षेत्र राजीव रंजन सिंह ने कहा कि कोल्हान क्षेत्र में जब भी हम ग्रामीण क्षेत्र जाते हैं, तो ग्रामीणों से संवाद स्थापित करना एक विशेष समस्या रहती है. हमें ग्रामीणों के समक्ष अपनी बात को रखने में समस्या आती है. प्रशासनिक स्तर पर भी यह शब्दकोश बहुत कारगर होगा. जिसकी मदद से हम अपनी बातों को 'हो भाषा' में कंवर्ट कर ग्रामीणों के सामने बहुत ही आसानी से रख सकते हैं.

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हो भाषा के शब्द का अंग्रेजी और हिंदी अनुवाद
शब्दकोश के लेखक अर्जुन मुंदुइया ने संबोधित करते हुए कहा कि हम आज कल गांव से शहरों की तरफ पलायन कर रहे हैं. धीरे-धीरे हम अपनी भाषा को भूलते जा रहे है. हिंदी और अंग्रेजी के संपर्क में आने लगे है. उन्होंने कहा कि शब्दकोश को लिखने का मेरा मकसद यह है कि जो लोग गांव से शहर चले गए हैं. वह शब्दकोश के माध्यम से अपने गांव की मिट्टी से पुनः जुड़ सकते है और अपनी भाषा संस्कृति के प्रति जागरूक हो सकते हैं. इस शब्दकोश में हो भाषा के शब्द का अंग्रेजी और हिंदी अनुवाद दिया गया है, जिसे कोई भी बड़े आसानी से पढ़ और समझा जा सकता है.

‘हो-इंग्लिश डिक्शनेरी’ कोल्हान क्षेत्र में प्रचलित
लेखक अर्जुन मुंदुइया ने कहा कि संपूर्ण झारखंड में वर्ष 2011 की जन गणना के अनुसार 14 लाख 21 हजार 28 लोग हो भाषा का प्रयोग करते है. जिसको देखते हुए इस किताब की रचना की गई है. हो भाषा से संबंधित यह रचना अपने आप में अलग बन पड़ी है. इसके पूर्व कई दशकों से धनुर सिंह पुर्ती की सहायता से फादर डेनी की लिखित ‘हो-इंग्लिश डिक्शनेरी’ कोल्हान क्षेत्र में प्रचलित और काफी लोकप्रिय रही है. इस किताब के अंग्रेजी लिपि में होने के कारण 'हो’ शब्दों के उच्चारण में थोड़ी असुविधा होती है. प्राथमिक शिक्षा देवनगरी से शुरू होती है, इसलिए ‘हो-काजी पुडुवा’ में देवनगरी लिपि के प्रयोग से इस विसंगति को दूर करने की कोशिश की गई है. यह शब्दकोश उन बच्चों के लिए काफी सहायक सिद्द होगी, जिनकी पढ़ाई गांवों से दूर शहरों में हुई है और वो अपनी मातृभाषा को बचपन में सीखने से वंचित रहे हैं. काफी सारे शब्दों के साथ चित्रों के समावेश होने से यह गार शब्दकोश झारखंड लोक सेवा के परीक्षार्थियों के लिए भी काफी मददगार शाबित होगी. भविष्य में 'हो’ भाषा के आठवीं अनुसूची में शामिल होने की संभावना है.

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