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सिमडेगा: जतरा मेला का आयोजन, परंपरा और संस्कृति की दिखती है झलक - Simdega's Latest News

सिमडेगा का प्रसिद्ध जतरा मेला का प्रचलन अब कमता जा रहा है. एक समय में यह मेला धरोहर माना जाता था. यहां काफी दूर-दराज से लोग आते थे और मेले का लुत्फ उठाते थे.

सिमडेगा का प्रसिद्ध जतरा मेला
Simdega's Jatra fair
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Published : Feb 3, 2020, 3:15 PM IST

सिमडेगा: जिले के पाकरटांड प्रखंड के हाट बाजार में जतरा मेले का आयोजन किया गया. जिसमें तरह-तरह के खेल, तमाशे और पुतली नृत्य सहित मिठाइयां आदि की दुकानें सजी रही, जिसका लोगों ने भरपूर लुत्फ उठाया.

देखें पूरी खबर

लोग उठाते हैं मेले का भरपूर लुत्फ
हर साल सरस्वती पूजा के बाद पहले रविवार को आयोजित होने वाले इस जतरा मेले में पाकरटांड पंचायत के अलावा आस-पड़ोस के अन्य पंचायतों और प्रखंडों से भारी संख्या में लोग यहां घूमने आते हैं और मेले का भरपूर लुत्फ उठाते हैं.

परंपरा और संस्कृति का हिस्सा है यह मेला
यहां के बुजुर्गों का कहना है कि जतरा मेला उनकी परंपरा और संस्कृति का एक हिस्सा है. पूर्व के दशकों में जतरा मेला का काफी प्रचलन हुआ करता था, लेकिन बदलते समय और परिवेश के साथ अब इसका प्रचलन कम होता जा रहा है, जिसे बचाए रखने की आवश्यकता है.

मनोरंजन के हैं कई साधन
वहीं, यहां के ग्रामीणों का कहना है कि बच्चों के मनोरंजन के लिए मेले में तरह-तरह के कार्यक्रम दिखलाए जाते हैं, जिसके माध्यम से छोटी-छोटी कहानियां और अच्छे संदेशों को लोगों तक पहुंचाया जाता है.

सिमडेगा: जिले के पाकरटांड प्रखंड के हाट बाजार में जतरा मेले का आयोजन किया गया. जिसमें तरह-तरह के खेल, तमाशे और पुतली नृत्य सहित मिठाइयां आदि की दुकानें सजी रही, जिसका लोगों ने भरपूर लुत्फ उठाया.

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लोग उठाते हैं मेले का भरपूर लुत्फ
हर साल सरस्वती पूजा के बाद पहले रविवार को आयोजित होने वाले इस जतरा मेले में पाकरटांड पंचायत के अलावा आस-पड़ोस के अन्य पंचायतों और प्रखंडों से भारी संख्या में लोग यहां घूमने आते हैं और मेले का भरपूर लुत्फ उठाते हैं.

परंपरा और संस्कृति का हिस्सा है यह मेला
यहां के बुजुर्गों का कहना है कि जतरा मेला उनकी परंपरा और संस्कृति का एक हिस्सा है. पूर्व के दशकों में जतरा मेला का काफी प्रचलन हुआ करता था, लेकिन बदलते समय और परिवेश के साथ अब इसका प्रचलन कम होता जा रहा है, जिसे बचाए रखने की आवश्यकता है.

मनोरंजन के हैं कई साधन
वहीं, यहां के ग्रामीणों का कहना है कि बच्चों के मनोरंजन के लिए मेले में तरह-तरह के कार्यक्रम दिखलाए जाते हैं, जिसके माध्यम से छोटी-छोटी कहानियां और अच्छे संदेशों को लोगों तक पहुंचाया जाता है.

Intro:जतरा मेला परंपरा व संस्कृति का हिस्सा, इसे बचाये रखने की आवश्यकता

जतरा मेले में पुतली नृत्य ग्रामीणों के मुख्य आकर्षण का केंद्र

सिमडेगा: पाकरटांड प्रखंड के हाट बाजार में जतरा मेले का आयोजन किया गया. जिसमें तरह-तरह के खेल, तमाशे, पुतली नृत्य, मिठाइयां आदि की दुकानें सजी रही. जिसका लोगों ने भरपुर लुफ्त उठाया. प्रत्येक वर्ष सरस्वती पूजा के बाद पहले रविवार को आयोजित होने वाले इस जतरा मेले में पाकरटांड पंचायत के अलावा आस-पड़ोस के अन्य पंचायतों व प्रखंडों से लोग भारी संख्या में घूमने आते हैं. अपने बच्चों और परिवार को मेला घुमा कर आनंद लेते हैं। बुजुर्गों की माने तो जतरा मेला उनकी परंपरा व संस्कृति का हिस्सा है। पूर्व के दशकों में जतरा मेला का काफी प्रचलन हुआ करता था. परंतु बदलते समय और परिवेश के साथ अब इसका प्रचलन कम हुआ है. जिसे बचाए रखने की आवश्यकता है. वहीं ग्रामीण बताते हैं की बच्चों के मनोरंजन के लिए मेले में तरह-तरह के पुतली नृत्य आदि कार्यक्रम दिखलाया जाते हैं. जिसके माध्यम से छोटी-छोटी कहानियां और अच्छे संदेशों की प्रस्तुति दी जाती है।Body:NoConclusion:No
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