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इस गांव में नहीं हो रही युवाओं की शादी, आर्सेनिक के डर से नहीं आती दुल्हन

साहिबगंज के डिहारी गांव में अब न तो शहनाई बजती है और न ही कोई बारात निकलती है. इस गांव में कोई भी पिता अपनी बेटी की शादी नहीं करना चाहता. शादी के इंतजार में कई युवा गिन-गिन कर दिन बिता रहे हैं. दरअसल, करीब 2100 लोगों की आबादी वाले इस गांव में आर्सेनिक का खतरा है.

आर्सेनिक युक्त पानी
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Published : Apr 15, 2019, 7:56 PM IST


साहिबगंज: झारखंड के साहिबगंज जिले के डिहारी गांव के लोग पानी में आर्सेनिक और फ्लोराइड होने की वजह से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों के शिकार बन रहे हैं. कई सालों से पीने की पानी की समस्या जूझ रहे ग्रामीण अब शादी-विवाह को लेकर भी परेशान हैं. गंभीर बीमारियों के खतरे की वजह से कोई लड़की इस गांव में दुल्हन बनकर नहीं आना चाहती. गंभीर बीमारियों की वजह से जब लोगों की मौत होने लगी तो ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से गुहार लगाई. इसके बाद जांच-पड़ताल तो हुई लेकिन समस्या जस की तस रह गई. कोई ठोस उपाय नहीं निकला तो लोग गांव छोड़कर पलायन करने लगे.

देखिए ये स्पेशल स्टोरी

गांव नहीं आती दुल्हन
अब लोग डिहारी गांव में अपनी बेटी की शादी करने से डरने लगे हैं. बीमारियों के खतरे की वजह से आस पास के गांव और दूसरे जिले के लोग डिहारी के लड़के से शादी करने में कतराने लगे हैं. गांव के एक युवक ने बताया कि जो भी मेहमान आते हैं वो आर्सेनिक से होने वाली बीमारी के डर से बहाना बना देते हैं. ग्रामीण नंदजी ओझा ने कहा कि जब तक इस डिहारी में आर्सेनिक युक्त पानी का निदान नहीं हो जाता तब तक शादी-विवाह की समस्या बनी रहेगी. शादी नही होने से परेशान लोग भागलपुर और पाकुड़ बसने लगे हैं.

डॉक्टरों की राय
डॉक्टर मोहन पासवान ने कहा कि डिहारी में जमीन के अंदर आर्सेनिक और फ्लोराइड की मात्रा अधिक है. इससे स्किन कैंसर जैसी घातक बीमारी हो सकती है. वहीं फ्लोराइड जैसी बीमारी खासकर बच्चों और बूढ़ों में अधिक देखने को मिलती है. दांतों का पीला हो जाना, हड्डियां कमजोर हो जाना जैसी कई समस्याएं शुरू हो जाती है.

क्या कहते हैं अधिकारी
गांव के लोगों का कहना है कि यहां के लोगों के पास इतना पैसा नहीं है कि वो पानी खरीद कर पी सकें. रक्सी स्थान से पीने के पानी की व्यवस्था हो रही थी लेकिन आधी दूरी तय करने के बाद काम ठप हो गया. गांव में तीन फिल्टर युक्त टंकी भी बनाई जा रही है लेकिन फिलहाल उसके शुरू होने में वक्त लगेगा. पेयजल एवं स्वछता विभाग के कार्यपालक अभियंता विजय एडमिन ने ईटीवी भारत को बताया कि फिल्टर युक्त टंकी से पानी की सप्लाई चुनाव के बाद शुरू हो जाएगी.

संसद तक समस्या की गूंज
साल 2017 में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट पेश करते हुए कहा था कि साल 2018 तक देश के 28 हजार गांवों को आर्सेनिक और फ्लोराइड मुक्‍त कर दिया जायेगा. लेकिन अब तक हालात नहीं सुधरे हैं. झारखंड के पलामू प्रमंडल और संताल परगना के सैकड़ों गांवों का भूजल आर्सेनिक और फ्लोराइड से प्रदूषित है. ऐसे में ग्रामीण पलायन को बेबस हैं और जो लोग गांव नहीं छोड़ सकते, उन्हें बीमारियां अपना शिकार बना रही हैं.

क्या होता है आर्सेनिक
आर्सेनिक एक प्राकृतिक तत्व है. इसे देखकर, सूंघकर या चखकर पता नहीं कर सकते. शून्य दशमलव 05 मिली ग्राम प्रति लीटर से ज्यादा मात्रा में आर्सेनिक शरीर के अंदर पहुंच जाए तो ये बेहद खरतनाक होता है. बड़ी नदियों के बहाव क्षेत्र की मिट्टी में आर्सेनिक पाया जाता है जो हैंडपंप जैसे जलस्त्रोतों के जरिए हमें नुकसान पहुंचा सकता है. झारखंड सहित बिहार, यूपी, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, असम और मणिपुर में भी आर्सेनिक युक्त भूजल परेशानी का बड़ा कारण है. लंबे अरसे तक आर्सेनिक युक्त पानी पीने से गुर्दे, अमाशय और स्किन कैंसर हो सकता है. शुरुआती समय में आर्सेनिक की पहचान हो जाने पर ऐसे पानी का उपयोग नहीं करना चाहिए नहीं तो बीमारी की चपेट में आ जाने के बाद इसका इलाज असंभव हो जाता है.


साहिबगंज: झारखंड के साहिबगंज जिले के डिहारी गांव के लोग पानी में आर्सेनिक और फ्लोराइड होने की वजह से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों के शिकार बन रहे हैं. कई सालों से पीने की पानी की समस्या जूझ रहे ग्रामीण अब शादी-विवाह को लेकर भी परेशान हैं. गंभीर बीमारियों के खतरे की वजह से कोई लड़की इस गांव में दुल्हन बनकर नहीं आना चाहती. गंभीर बीमारियों की वजह से जब लोगों की मौत होने लगी तो ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से गुहार लगाई. इसके बाद जांच-पड़ताल तो हुई लेकिन समस्या जस की तस रह गई. कोई ठोस उपाय नहीं निकला तो लोग गांव छोड़कर पलायन करने लगे.

देखिए ये स्पेशल स्टोरी

गांव नहीं आती दुल्हन
अब लोग डिहारी गांव में अपनी बेटी की शादी करने से डरने लगे हैं. बीमारियों के खतरे की वजह से आस पास के गांव और दूसरे जिले के लोग डिहारी के लड़के से शादी करने में कतराने लगे हैं. गांव के एक युवक ने बताया कि जो भी मेहमान आते हैं वो आर्सेनिक से होने वाली बीमारी के डर से बहाना बना देते हैं. ग्रामीण नंदजी ओझा ने कहा कि जब तक इस डिहारी में आर्सेनिक युक्त पानी का निदान नहीं हो जाता तब तक शादी-विवाह की समस्या बनी रहेगी. शादी नही होने से परेशान लोग भागलपुर और पाकुड़ बसने लगे हैं.

डॉक्टरों की राय
डॉक्टर मोहन पासवान ने कहा कि डिहारी में जमीन के अंदर आर्सेनिक और फ्लोराइड की मात्रा अधिक है. इससे स्किन कैंसर जैसी घातक बीमारी हो सकती है. वहीं फ्लोराइड जैसी बीमारी खासकर बच्चों और बूढ़ों में अधिक देखने को मिलती है. दांतों का पीला हो जाना, हड्डियां कमजोर हो जाना जैसी कई समस्याएं शुरू हो जाती है.

क्या कहते हैं अधिकारी
गांव के लोगों का कहना है कि यहां के लोगों के पास इतना पैसा नहीं है कि वो पानी खरीद कर पी सकें. रक्सी स्थान से पीने के पानी की व्यवस्था हो रही थी लेकिन आधी दूरी तय करने के बाद काम ठप हो गया. गांव में तीन फिल्टर युक्त टंकी भी बनाई जा रही है लेकिन फिलहाल उसके शुरू होने में वक्त लगेगा. पेयजल एवं स्वछता विभाग के कार्यपालक अभियंता विजय एडमिन ने ईटीवी भारत को बताया कि फिल्टर युक्त टंकी से पानी की सप्लाई चुनाव के बाद शुरू हो जाएगी.

संसद तक समस्या की गूंज
साल 2017 में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट पेश करते हुए कहा था कि साल 2018 तक देश के 28 हजार गांवों को आर्सेनिक और फ्लोराइड मुक्‍त कर दिया जायेगा. लेकिन अब तक हालात नहीं सुधरे हैं. झारखंड के पलामू प्रमंडल और संताल परगना के सैकड़ों गांवों का भूजल आर्सेनिक और फ्लोराइड से प्रदूषित है. ऐसे में ग्रामीण पलायन को बेबस हैं और जो लोग गांव नहीं छोड़ सकते, उन्हें बीमारियां अपना शिकार बना रही हैं.

क्या होता है आर्सेनिक
आर्सेनिक एक प्राकृतिक तत्व है. इसे देखकर, सूंघकर या चखकर पता नहीं कर सकते. शून्य दशमलव 05 मिली ग्राम प्रति लीटर से ज्यादा मात्रा में आर्सेनिक शरीर के अंदर पहुंच जाए तो ये बेहद खरतनाक होता है. बड़ी नदियों के बहाव क्षेत्र की मिट्टी में आर्सेनिक पाया जाता है जो हैंडपंप जैसे जलस्त्रोतों के जरिए हमें नुकसान पहुंचा सकता है. झारखंड सहित बिहार, यूपी, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, असम और मणिपुर में भी आर्सेनिक युक्त भूजल परेशानी का बड़ा कारण है. लंबे अरसे तक आर्सेनिक युक्त पानी पीने से गुर्दे, अमाशय और स्किन कैंसर हो सकता है. शुरुआती समय में आर्सेनिक की पहचान हो जाने पर ऐसे पानी का उपयोग नहीं करना चाहिए नहीं तो बीमारी की चपेट में आ जाने के बाद इसका इलाज असंभव हो जाता है.

Intro:एक ऐसा गॉव जहाँ आर्सेनिक,फ्लोराइड प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। लोगो को हो रहा कैंसर, अब इस गॉव में शादी विवाह की समस्या हो रही उत्पन्न ।
स्टोरी-सहिबगंज- जिला का मुफ्फसिल थाना अन्तगर्त डिहारी गॉव का नाम सुनते ही लोगो के शरीर सहम जाता है। क्योंकि इस गॉव के सैकड़ो लोग जिसमे कुछ कैंसर से पीड़ित है तो कोई चर्म रोग, फ्लेरिया सहित कई बिमारी से ग्रसित है। 2100 की आबादी वाला गॉव में हर एक परिवार में एक या दो लोग किसी रोग से ग्रसित है। कम उम्र में लोगो को असाध्य बीमार से काल के मुँह में समा जाता है। जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों का ध्यान इस नही जा रहा है। आज तक कोई ठोस उपाय नही निकला। लोग गॉव छोड़कर पलायन करने लगे है।
अब बड़ी समस्या यह आन पड़ी है कि इस गॉव में शादी व्याह की समस्या उत्पन्न हो गयी है । लोग इस गॉव में अपनी बेटी की शादी करने से डरने लगे है कि शायद मेरी बेटी को कम उम्र में कोई रोग ना हो जाय। इसलिए अगल बगल गॉव या दूसरा जिला के लोग अब इस डिहारी गॉव के लड़के से शादी करने में कतराने लगे है।
गॉव के एक युवक का कहना है इस बार डिहारी गॉव में शादी कम हुआ है जो भी मेहमान आता है तो आर्सेनिक से यहां होने वाली बीमारी से भागने लगता है बहाना कर भाग जाता है और दुबारा कॉल नही करता है पूछने पर दबी जुबान से कहा जाता है कि पानी दूषित है इसलिए शादी नही करेंगे। दूर दूर से पहले यहाँ शादी करने के लिए लोग आते थे लेकिन दूषित पानी की वजह से अब नही आते है और आते भी है तो चुपके से भाग जाता है इस दिशा में राजमहल विधायक और विभाग को बोला जाता है लेकिन कुछ नही होता है।
बाइट- धर्मचन्द महतो- ग्रामीण
वही ग्रामीण नंदजी ओझा का कहना है कि जब तक इस डिहारी गॉव का आर्सेनिक युक्त पानी का निदान नही हो जाता तब तक इस गॉव में शादी व्याह की समस्या बनी रहेगी ।कहा कि मेहमानों पूछता है इस गॉव में इतना दूषित पानी है तो यहां के नवयुवक कितना दूषित होगा। कहा कि इस गॉव में शादी नही होने से यह के लोग सहिबगंज, भागलपुर, पाकुड़ बसने लगे है। यह से लोग पलायन करने लगे है।
बाइट- नंदजी ओझा, ग्रामीण
ग्रामीण मोहन का कहना है कि इस गॉव के लोग मजदूर है इतना पैसा नही है कि फ़िल्टर का पानी पिये। रक्सी स्थान से शुद्ध पानी की ब्यवस्था बहुत पहले हुआ था गॉव में आधा दूरी तक आया था वह भी बंद हो गया। गॉव में तीन फ़िल्टर युक्त टंकी का निर्माण हो रहा है जो अभी चालू नही हुआ है। घर मे छोटे छोटे बच्चे और महिलाओं में दूषित पानी का सेवन करने से असर पड़ रहा है।
बाइट-मोहन यादव., ग्रामीण
वही पेयजल एवं स्वछता विभाग के कार्यपालक अभियंता का कहना है डिहारी गॉव में आर्सेनिक और फ्लोराइड से निजात दिलाने के लिए गॉव में फ़िल्टर युक्त टंकी का निर्माण कराया जा रहा है चुनाव बाद इसे चालू कर दिया जाएगा। इससे चालू होते ही डिहारी गॉव के लोगो की शुद्ध पानी मिल जाएगा।
बाइट- विजय एडमिन, पीएचडी पदाधिकारी।
डॉक्टर मोहन पासवान के कहा कि डिहारी में जमीन के अंदर आर्सेनिक और फ्लोराइड की मात्रा पानी मे अधिक पाया जाता है कहा कि आर्सेनिक से चर्म रोग कैंसर जैसी घातक बीमारी होती है। और फ्लोराइड जैसी बीमारी से खासकर बच्चो और बूढो में अधिक देखने को मिलता है दांत पिला हो जाना और हड्डी कमजोर हो जाना , बच्चो में घुटना का लड़ना आदि लक्षण देखने को मिलता है बूढो में ठुड्डी छाती तक नही छूता है। कहा आर्सेनिक पानी मे अधिक मात्रा में पाया जाना मनुष्य के लिए घातक है।
बाइट- डॉक्टर मोहन पासवान, फिजिसियन,सहिबगंज



Body:एक ऐसा गॉव जहाँ आर्सेनिक,फ्लोराइड प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। लोगो को हो रहा कैंसर, अब इस गॉव में शादी विवाह की समस्या हो रही उत्पन्न ।
स्टोरी-सहिबगंज- जिला का मुफ्फसिल थाना अन्तगर्त डिहारी गॉव का नाम सुनते ही लोगो के शरीर सहम जाता है। क्योंकि इस गॉव के सैकड़ो लोग जिसमे कुछ कैंसर से पीड़ित है तो कोई चर्म रोग, फ्लेरिया सहित कई बिमारी से ग्रसित है। 2100 की आबादी वाला गॉव में हर एक परिवार में एक या दो लोग किसी रोग से ग्रसित है। कम उम्र में लोगो को असाध्य बीमार से काल के मुँह में समा जाता है। जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों का ध्यान इस नही जा रहा है। आज तक कोई ठोस उपाय नही निकला। लोग गॉव छोड़कर पलायन करने लगे है।
अब बड़ी समस्या यह आन पड़ी है कि इस गॉव में शादी व्याह की समस्या उत्पन्न हो गयी है । लोग इस गॉव में अपनी बेटी की शादी करने से डरने लगे है कि शायद मेरी बेटी को कम उम्र में कोई रोग ना हो जाय। इसलिए अगल बगल गॉव या दूसरा जिला के लोग अब इस डिहारी गॉव के लड़के से शादी करने में कतराने लगे है।
गॉव के एक युवक का कहना है इस बार डिहारी गॉव में शादी कम हुआ है जो भी मेहमान आता है तो आर्सेनिक से यहां होने वाली बीमारी से भागने लगता है बहाना कर भाग जाता है और दुबारा कॉल नही करता है पूछने पर दबी जुबान से कहा जाता है कि पानी दूषित है इसलिए शादी नही करेंगे। दूर दूर से पहले यहाँ शादी करने के लिए लोग आते थे लेकिन दूषित पानी की वजह से अब नही आते है और आते भी है तो चुपके से भाग जाता है इस दिशा में राजमहल विधायक और विभाग को बोला जाता है लेकिन कुछ नही होता है।
बाइट- धर्मचन्द महतो- ग्रामीण
वही ग्रामीण नंदजी ओझा का कहना है कि जब तक इस डिहारी गॉव का आर्सेनिक युक्त पानी का निदान नही हो जाता तब तक इस गॉव में शादी व्याह की समस्या बनी रहेगी ।कहा कि मेहमानों पूछता है इस गॉव में इतना दूषित पानी है तो यहां के नवयुवक कितना दूषित होगा। कहा कि इस गॉव में शादी नही होने से यह के लोग सहिबगंज, भागलपुर, पाकुड़ बसने लगे है। यह से लोग पलायन करने लगे है।
बाइट- नंदजी ओझा, ग्रामीण
ग्रामीण मोहन का कहना है कि इस गॉव के लोग मजदूर है इतना पैसा नही है कि फ़िल्टर का पानी पिये। रक्सी स्थान से शुद्ध पानी की ब्यवस्था बहुत पहले हुआ था गॉव में आधा दूरी तक आया था वह भी बंद हो गया। गॉव में तीन फ़िल्टर युक्त टंकी का निर्माण हो रहा है जो अभी चालू नही हुआ है। घर मे छोटे छोटे बच्चे और महिलाओं में दूषित पानी का सेवन करने से असर पड़ रहा है।
बाइट-मोहन यादव., ग्रामीण
वही पेयजल एवं स्वछता विभाग के कार्यपालक अभियंता का कहना है डिहारी गॉव में आर्सेनिक और फ्लोराइड से निजात दिलाने के लिए गॉव में फ़िल्टर युक्त टंकी का निर्माण कराया जा रहा है चुनाव बाद इसे चालू कर दिया जाएगा। इससे चालू होते ही डिहारी गॉव के लोगो की शुद्ध पानी मिल जाएगा।
बाइट- विजय एडमिन, पीएचडी पदाधिकारी।
डॉक्टर मोहन पासवान के कहा कि डिहारी में जमीन के अंदर आर्सेनिक और फ्लोराइड की मात्रा पानी मे अधिक पाया जाता है कहा कि आर्सेनिक से चर्म रोग कैंसर जैसी घातक बीमारी होती है। और फ्लोराइड जैसी बीमारी से खासकर बच्चो और बूढो में अधिक देखने को मिलता है दांत पिला हो जाना और हड्डी कमजोर हो जाना , बच्चो में घुटना का लड़ना आदि लक्षण देखने को मिलता है बूढो में ठुड्डी छाती तक नही छूता है। कहा आर्सेनिक पानी मे अधिक मात्रा में पाया जाना मनुष्य के लिए घातक है।
बाइट- डॉक्टर मोहन पासवान, फिजिसियन,सहिबगंज



Conclusion:ग़ज़फ़तजलसर्क्सओडता
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