साहिबगंजः सदर अस्पताल में ऑक्सीजन युक्त बेड हैं, मरीजों को मैनीफोल्ड की मदद से पाइप के माध्यम से उन्हें ऑक्सीजन दी जा रही है. लेकिन मरीज अब भी सिलेंडर से ही ऑक्सीजन ले रहे हैं. उन्होंने सही प्रेशर ना मिलने की शिकायत पर मैनीफोल्ड से ऑक्सीजन लेने से मना कर दिया है.
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ईटीवी भारत ने जिला सदर अस्पताल रियलिटी चेक किया. यहां आकर पता चला कि अस्पताल के सभी वार्डों में मरीज के बेड तक पाइप लाइन के माध्यम से ऑक्सीजन की व्यवस्था कर दी गई है. लेकिन किसी भी मरीज को इस पाइपलाइन के माध्यम से ऑक्सीजन लेते हुए नहीं देखा गया. सभी मरीज को पुराने सिस्टम सिलेंडर से ही ऑक्सीजन लेते हुए देखे गए. मरीजों ने बताया कि पाइप लाइन के माध्यम से जो अक्सीजन मिल रहा है, उसका फोर्स बहुत ही कम है. नाक में ऑक्सीजन पाइप लगाने के बाद कुछ भी असर महसूस नहीं होता है. इसलिए हम सिलेंडर से ही ऑक्सीजन ले रहे हैं.
प्रेशन को लेकर परेशानी
इस बाबत डॉक्टर ने सफाई देते हुए उन्होंने दिखाया कि गिलास में भरे पानी में ऑक्सीजन पाइप डालने से बुलबुला निकलता है, इससे यह साबित होता है कि ऑक्सीजन निकल रहा है. प्रेशर को लेकर उन्होंने कहा कि कहीं कुछ त्रुटि है, उसे दूर कर लिया जाएगा. डॉक्टर ने बताया कि मरीज को जितना ऑक्सीजन देनी चाहिए, उतना ऑक्सीजन पाइप लाइन के माध्यम से मिल रहा है. अगर मरीज इनकार करता है तो उसे सिलेंडर से भी देना उचित समझते हैं और दे भी रहे हैं. इस त्रुटि को दूर करने के लिए इंजीनियर आने वाला था, पर लॉकडाउन में वो नहीं आ सका. उन्होंने आशा जताई है कि बहुत जल्द वो साहिबगंज पहुंचकर इन समस्या को दूर करेंगे.
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आ रहा है कुछ फॉल्ट
साहिबगंज जिला सदर अस्पताल और राजमहल अनुमंडल अस्पताल में 50 बेड तक दोनों अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट एवं मैनीफोल्ड स्थापित कर मरीज को ऑक्सीजन पाइप लाइन के माध्यम से देने की व्यवस्था हुई है. जिला प्रशासन और राज्य सरकार का सराहनीय पहल भी है. लेकिन इसमें आ रही त्रुटि को जिला प्रशासन को जल्द से जल्द निवारण करना चाहिए ताकि मरीज को अधिक से अधिक इसका लाभ मिल सके.
जिला सदर अस्पताल में 14 मई को सूबे के मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने ऑनलाइन ऑक्सीजन प्लांट सह मैनीफोल्ड का उद्घाटन किया. लाखों की लागत से बने इस प्लांट के माध्यम से 50 बेड तक पाइप लाइन के माध्यम से ऑक्सीजन पहुंचाने की व्यवस्था की गई और जिला प्रशासन ने इसे शत प्रतिशत पूरा किया. जिससे किसी भी कोविड पेशेंट को ऑक्सीजन की कमी होने नहीं दी जा रही है.