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रांचीः कोरोना की मार से उबर नहीं पा रहे कुम्हार, दिवाली पर भी नहीं मिल रहे ऑर्डर - दिवाली पर कुम्हारों को अच्छी आय की उम्मीद

रोशनी के पर्व दीपावली में अब कुछ ही दिन शेष हैं. ऐसे में इसका सबसे ज्यादा इसका इंतजार कुम्हारों को रहता है जिनके बनाए दीये से इस पर्व की शुरुआत होती है, लेकिन कोरोना के चलते इस बार कुम्हारों की हालत खस्ता है. उन्हें अपेक्षित ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं.

दिए के खरीदार नहीं
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Published : Nov 6, 2020, 5:51 PM IST

Updated : Nov 6, 2020, 7:29 PM IST

रांचीः भारतीय संस्कृति के अनुसार हर पर्व त्योहार का खास महत्व होता है वहीं प्रकाश के पर्व दीपावली का महत्व और भी खास होता है जिसकी तैयारी लोग महीने भर शुरू कर देते हैं.

देखें पूरी खबर.

इस पर्व को लेकर कुम्हार महीनों पहले से ही दीया बनाने में जुड़ जुट जाते हैं, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इनके रोजगार पर गहरा असर पड़ा है जिससे इनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गयी है.

राजधानी रांची के बढ़िया बस्ती में 30 से 35 कुम्हारों का परिवार है जो पिछले कई दशकों से मिट्टी के दिए घरेलू सिंगार बर्तन जैसे 36 तरह के सामान बनाने का काम करते हैं, लेकिन इस बार कोरोना महामारी ने इनके रोजगार पर गहरा असर डाला है जिसकी वजह से इनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई है.

साल भर मिट्टी से लोटपोट रहने वाले इन इन कुम्हारों को इस पर्व का खास इंतजार रहता है और यही वजह है कि कई महीनों पहले से ही कुम्हार का पूरा परिवार दीया बनाने की तैयारी में जुट जाते हैं, लेकिन इस बार इन्हें दीया बनाने का ऑर्डर काफी कम मिला है.

जिससे इनके चेहरे पर मायूसी छा गई है. घर की साफ सफाई कर साज-सज्जा की परंपरा सदियों पुरानी है लोग दीपावली में दीप जलाकर इस त्योहार को मनाते हैं, लेकिन इस बार कोरोना महामारी के कारण उत्साह थोड़ा फीका नजर आ रहा है.

यही कारण है कि मिट्टी के दीए बनाने वाले कुम्हार के चेहरे में मायूसी साफ नजर आ रही है. इनका कहना है कि पूरे साल इस त्योहार का इंतजार रहता है क्योंकि मिट्टी का बर्तन और दिया बनाकर ही परिवार का सभी कार्य किया जाता है.

लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से जो भी घर में पैसा था वह सारा खत्म हो गया और दीपावली में उस तरह का दिया बनाने का ऑर्डर पर नहीं मिल रहा है.

दीपावली में दीप जलाकर घर को रोशन करने की परंपरा सदियों पुरानी है क्या आम और क्या खाए सभी अपने-अपने घरों में दीप जलाकर मां लक्ष्मी गणेश की पूजा करते हैं और खुशियां मनाते हैं हम सभी को इस बात की चिंता होनी चाहिए कि दीया बनाने वाले कुम्हार के घर में भी खुशियां हो सकें.

रांचीः भारतीय संस्कृति के अनुसार हर पर्व त्योहार का खास महत्व होता है वहीं प्रकाश के पर्व दीपावली का महत्व और भी खास होता है जिसकी तैयारी लोग महीने भर शुरू कर देते हैं.

देखें पूरी खबर.

इस पर्व को लेकर कुम्हार महीनों पहले से ही दीया बनाने में जुड़ जुट जाते हैं, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इनके रोजगार पर गहरा असर पड़ा है जिससे इनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गयी है.

राजधानी रांची के बढ़िया बस्ती में 30 से 35 कुम्हारों का परिवार है जो पिछले कई दशकों से मिट्टी के दिए घरेलू सिंगार बर्तन जैसे 36 तरह के सामान बनाने का काम करते हैं, लेकिन इस बार कोरोना महामारी ने इनके रोजगार पर गहरा असर डाला है जिसकी वजह से इनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई है.

साल भर मिट्टी से लोटपोट रहने वाले इन इन कुम्हारों को इस पर्व का खास इंतजार रहता है और यही वजह है कि कई महीनों पहले से ही कुम्हार का पूरा परिवार दीया बनाने की तैयारी में जुट जाते हैं, लेकिन इस बार इन्हें दीया बनाने का ऑर्डर काफी कम मिला है.

जिससे इनके चेहरे पर मायूसी छा गई है. घर की साफ सफाई कर साज-सज्जा की परंपरा सदियों पुरानी है लोग दीपावली में दीप जलाकर इस त्योहार को मनाते हैं, लेकिन इस बार कोरोना महामारी के कारण उत्साह थोड़ा फीका नजर आ रहा है.

यही कारण है कि मिट्टी के दीए बनाने वाले कुम्हार के चेहरे में मायूसी साफ नजर आ रही है. इनका कहना है कि पूरे साल इस त्योहार का इंतजार रहता है क्योंकि मिट्टी का बर्तन और दिया बनाकर ही परिवार का सभी कार्य किया जाता है.

लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से जो भी घर में पैसा था वह सारा खत्म हो गया और दीपावली में उस तरह का दिया बनाने का ऑर्डर पर नहीं मिल रहा है.

दीपावली में दीप जलाकर घर को रोशन करने की परंपरा सदियों पुरानी है क्या आम और क्या खाए सभी अपने-अपने घरों में दीप जलाकर मां लक्ष्मी गणेश की पूजा करते हैं और खुशियां मनाते हैं हम सभी को इस बात की चिंता होनी चाहिए कि दीया बनाने वाले कुम्हार के घर में भी खुशियां हो सकें.

Last Updated : Nov 6, 2020, 7:29 PM IST
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