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मनरेगाकर्मियों ने सीएम हेमंत को लिखा पत्र, कहा- 8 महीने पहले दिए आश्वासन को भूल गई सरकार

मनरेगाकर्मियों ने अपनी मांगों को लेकर सीएम हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि अगर सरकार हमारी मांगे पूरा नहीं करती है तो फिर से आंदोलन के लिए बाध्य हो जाएंगे.

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सीएम हेमंत
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Published : May 18, 2021, 5:48 PM IST

रांची: मनरेगाकर्मियों ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. सरकार के दिये गए आश्वासन को याद दिलाते हुए मनरेगा महासंघ ने जल्द से जल्द इसे पूरा करने का आग्रह किया है.

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मनरेगाकर्मियों का पत्र

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कोरोना संकट के बीच काम कर रहे मनरेगाकर्मियों ने राज्य सरकार को पिछले साल हड़ताल के दौरान हुए समझौते को पूरा करने की मांग की है. झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी महासंघ ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कोरोना महामारी के दूसरे वेब में अब तक 06 मनरेगाकर्मियों की हुई मौत से अवगत कराते हुए जल्द से जल्द दुर्घटना बीमा, जीवन बीमा आदि को लागू करने का आग्रह किया है.

सरकार ने मनरेगाकर्मियों को दिया था आश्वासन

मनरेगा महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष जॉन पीटर बागे ने कहा कि कोरोना के दूसरे वेब में हमलोगों ने अब तक अरुणा लकड़ा रांची, संतोष चौरसिया (धननबाद), प्रभा एक्का (सिमडेगा), मो. शमशेर अंसारी (गिरिडीह), जगदीश तिर्की (रांची), लिट्टू उरांव (रांची) को खो दिया है. पिछले साल 27/07/2020 से 10/09/2020 तक मनरेगाकर्मियों के हड़ताल के बाद ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम की मौजूदगी में 10/09/2020 को हुए समझौते और सरकार के आश्वासन पर भरोसा कर मनरेगाकर्मियों ने काम पर लौटने का निर्णय लिया था, लेकिन हड़ताल टूटने के 8 महीने बाद भी इसपर अमल नहीं किया गया. उस समय सरकार के ओर से मनरेगाकर्मियों को दुर्घटना बीमा, जीवन बीमा, मृत मनरेगाकर्मियों के आश्रित को मुआवजा, मानदेय बढ़ोतरी , महंगाई भत्ता और अन्य मांगों को एक से डेढ़ महीने में पूरा करने का आश्वासन दिया गया था, जो आज तक पूरा नहीं किया गया.

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हड़ताल पर जाने की चेतावनी
सरकार को लिखी गई चिठ्ठी में मनरेगा महासंघ ने कहा है कि साल 2020-21 में और उसके पहले विश्वनाथ भगत, ज्योति सल्गी एक्का, ओविदन टूड्डु, दुलाल सिंह मुंडा और धनंजय पुरान सहित कई कर्मियों की मौत कार्य बोझ, मानसिक दबाव, हाइपर टेंशन और इलाज के अभाव में हो गया है, लेकिन सरकार ने उनके आश्रितों को एक रुपया भी मुआवजा या बीमा के रूप में नहीं दिया है, इसी आक्रोश के कारण राज्य के सभी मनरेगाकर्मियों ने पिछले साल अनिश्चितकालीन हड़ताल किया था. बिना सुरक्षा, बिना बीमा और अन्य सुविधाओं के मनरेगाकर्मियों से कोरोना ड्यूटी ली जा रही है, जिससे कई मनरेगाकर्मी प्रतिदिन संक्रमित हो रहे हैं, साथ ही साथ अपने परिवार को भी संक्रमित कर रहे हैं, जिस कारण कई कर्मियों के परिवार के सदस्यों की भी मौत हो गई है. चिट्ठी में लिखा है कि कुछ मनरेगाकर्मी का इलाज नहीं हो पाने से स्थित दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है, राज्य के मनरेगाकर्मी सरकार के वादा खिलाफी और साथियों के मौत से आक्रोशित होकर अपनी जान बचाने के लिए फिर से हड़ताल पर जाने का मन बना रहे हैं. ऐसे में सरकार से अपील करते हुए मनरेगाकर्मियों ने कहा है कि यदि इसके बाबजूद सरकार नहीं मानती है तो महासंघ हड़ताल पर जाने के लिए विचार करेगा.

रांची: मनरेगाकर्मियों ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. सरकार के दिये गए आश्वासन को याद दिलाते हुए मनरेगा महासंघ ने जल्द से जल्द इसे पूरा करने का आग्रह किया है.

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मनरेगाकर्मियों का पत्र

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कोरोना संकट के बीच काम कर रहे मनरेगाकर्मियों ने राज्य सरकार को पिछले साल हड़ताल के दौरान हुए समझौते को पूरा करने की मांग की है. झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी महासंघ ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कोरोना महामारी के दूसरे वेब में अब तक 06 मनरेगाकर्मियों की हुई मौत से अवगत कराते हुए जल्द से जल्द दुर्घटना बीमा, जीवन बीमा आदि को लागू करने का आग्रह किया है.

सरकार ने मनरेगाकर्मियों को दिया था आश्वासन

मनरेगा महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष जॉन पीटर बागे ने कहा कि कोरोना के दूसरे वेब में हमलोगों ने अब तक अरुणा लकड़ा रांची, संतोष चौरसिया (धननबाद), प्रभा एक्का (सिमडेगा), मो. शमशेर अंसारी (गिरिडीह), जगदीश तिर्की (रांची), लिट्टू उरांव (रांची) को खो दिया है. पिछले साल 27/07/2020 से 10/09/2020 तक मनरेगाकर्मियों के हड़ताल के बाद ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम की मौजूदगी में 10/09/2020 को हुए समझौते और सरकार के आश्वासन पर भरोसा कर मनरेगाकर्मियों ने काम पर लौटने का निर्णय लिया था, लेकिन हड़ताल टूटने के 8 महीने बाद भी इसपर अमल नहीं किया गया. उस समय सरकार के ओर से मनरेगाकर्मियों को दुर्घटना बीमा, जीवन बीमा, मृत मनरेगाकर्मियों के आश्रित को मुआवजा, मानदेय बढ़ोतरी , महंगाई भत्ता और अन्य मांगों को एक से डेढ़ महीने में पूरा करने का आश्वासन दिया गया था, जो आज तक पूरा नहीं किया गया.

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हड़ताल पर जाने की चेतावनी
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