रांची: जिला की पुलिस ने पिछले पांच सालों से कानून की गिरफ्त से फरार चल रहे, कुख्यात शराब माफिया नरेश सिंघानिया को एसएसपी (ssp) सुरेंद्र झा की टीम ने गिरफ्तार कर लिया. नरेश सिंधिया उर्फ नरेश सिंघानिया और उसका भाई प्रह्लाद सिंधिया उर्फ सिंघानिया रांची का सबसे बड़ा शराब माफिया था. इनके ओर से भेजी गई जहरीली शराब पीकर जिला में 22 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी.
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प्रहलाद सहित 3 को हुई थी उम्रकैद की सजा
जहरीली शराब की सप्लाई करने वाले नरेश सिंधिया के बड़े भाई प्रह्लाद सिंघानिया, गौतम थापा और इंद्रभान थापा को 20 अगस्त 2018 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. अदालत ने तीनों को गैर इरादतन हत्या करने (धारा 304) और जहरीली चीजें के मिलावट करने (धारा 273) के मामले में दोषी करार दिया था. इस मामले में सुखदेवनगर और नामकुम थाना में मृतक के परिजन संतोष कुमार के बयान पर तीनों के खिलाफ 2017 में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी.
चार अक्तूबर को धराया था प्रहलाद सिंघानिया
अवैध शराब कारोबारी प्रह्लाद सिंघानिया 4 सितम्बर 2017 से ही फरार था. पुलिस को चकमा देकर वह ठिकाना बदल–बदलकर रह रहा था. चार अक्तूबर 2017 को पुलिस को पक्की सूचना मिली थी कि सिंघानिया अपने घर नामकुम जोरार आया हुआ है. इस सूचना के तुरंत बाद ही पुलिस टीम ने उसके घर छापा मारा और उसे सोते में गिरफ्तार कर लिया.
हर बार फरार हो जाता था नरेश ओर प्रहलाद सिंघानिया
सिंघानिया बंधू पिछले दो दशकों से रांची में अवैध शराब का कारोबार कर रहे थे. सिंघानिया के अवैध शराब कारोबार की खबर राजधानी के हर अधिकतर लोगों को है. इसके बावजूद उसका काला धंधा धड़ल्ले से बदस्तूर जारी रहा था. बताया जाता है कि ऐसा उत्पाद और पुलिस विभाग को नियमित तौर पर सिंघानिया बंधुओं से मिलीभगत की वजह से संभव हो पाया था. सिंघानिया के खिलाफ अवैध शराब कारोबार का पहला मामला 2005 में दर्ज हुआ था. तभी से लोगों को उसके काले धंधे के बारे में पता है, वह कई बार पकड़ा गया. लेकिन हर बार कानून की गिरफ्त से छूट जाता था.
करम पर्व में मच गया था कोहराम
नरेश सिंघानिया और उसका भाई प्रह्लाद रांची के नामकुम के जोरार गांव में शराब फैक्ट्री चलाते थे. जहां से नकली शराब की रीपैकेजिंग कर पूरे शहर में सप्लाई किया जाता था. इस सिंघानिया ब्रदर्स की फैक्ट्री से निकली शराब साल 2017 के सितंबर माह में पूरे शहर में फैल चुका थी. उस दिन करम पर्व था, इसकी आड़ में खूब जहरीली शराब बेची गई थी. पांच सितंबर 2017 की शाम जहरीली शराब पीने से जैप के दो जवानों की मौत हो गई. इसके बाद अलग-अलग जगहों से मौत की खबरें आने लगी. चार दिनों के भीतर 22 लोगों की मौत हो चुकी थी. कई अन्य जगहों से भी मौत की खबरें आई, लोगों ने शराब की वजह से मौत की बात छुपा ली गई थी. इस नकली शराब पीने के बाद लोगों को उल्टी, सांस फूलने और पेट दर्द की शिकायत होने लगी, लोग मरने लगे थे. पूरे शहर में कोहराम मच गया था, मामला सामने आते ही सिंघानिया ब्रदर्स भूमिगत हो गए.
जैप जवानों की मौत की खबर से शुरू हुआ था सिलसिला
जैप जवान योगेश क्षेत्री को शाम के 6 बजे अचानक उल्टी और पेट दर्द शुरू हुई थी. इस दौरान उसे रिम्स ले जाया गया. जहां रात के 8 बजे उसकी मौत हो गई थी. दूसरे जवान महादेव मुर्मु की अचानक सांस फूलने लगी थी, पेट में दर्द हुआ. इस दौरान वहां मौजूद जवान और अधिकारी उसे सदर अस्पताल ले गए. दवा और इंजेक्शन देने के बाद उसकी स्थिति सामान्य हो गई. वापस लौटने के बाद साथ जवानों से बातचीत की. इसके बाद रात के 11 बजे सो गया. सोने के बाद सुबह 4 बजे उसे जवान उठाने गए, तो वह मरा पड़ा था.
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शराब पीने के बाद इनकी हुई मौत
जैप-1 जवान योगेश क्षेत्री (36 वर्ष) निवासी दार्जलिंग, जैप-8 लेस्लीगंज जवान (38 वर्ष) निवासी साहिबगंज, डोरंडा नाई मोहल्ला निवासी मजहर उर्फ लड्डू (22 वर्ष), डोरंडा युनूस चौक नाई मोहल्ला निवासी मो. इस्लाम उर्फ राधे (23 वर्ष), डोरंडा मनी टोला निवासी मंकी उर्फ बाजे (58 वर्ष), डोरंडा परसटोली निवासी टिंकू (25 वर्ष), अरगोड़ा कडरू निवासी मो. महमूद (26 वर्ष), सुखदेव नगर इरगू टोली निवासी अमित तिवारी उर्फ सिंटू, सुखदेव नगर निवासी संदीप चौधरी, जैप जवान विक्रम राय (37), काली स्थान रोड निवासी इरफानुल रहमान (32) सहित अन्य की मौतें हुई थी.
अब तक नहीं मिली सरकारी मदद
रांची के डोरंडा नेपाल हाउस में रहने वाले जैप के जवान विजय तमांग की भी जहरीली शराब पीने से मौत हो गई थी. उनकी मौत के पांच साल बीत गए हैं, लेकिन तमांग की पत्नी को अब तक सरकार की ओर से नौकरी नहीं दी गई है. तमांग का परिवार इन दिनों आर्थिक तंगी से जूझ रहा है. विजय तमांग की पत्नी शारदा तमांग के पास इतने पैसे नहीं हैं कि वह बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सके. सरकार से जो राशि मिलती है, उससे वह बहुत ही मुश्किल से अपना और बच्चों का गुजर-बसर कर रही है. मृतक विजय के भाई अर्जुण तमांग बताते हैं कि कई बार नौकरी के लिए सरकार से गुहार लगाई, पर हर बार आश्वासन ही मिला, नौकरी अभी तक नही मिली.