रांचीः झारखंड उच्च न्यायालय के रुख ने ये स्पष्ट कर दिया है कि भाजपा और उसके नेताओं का लोकतंत्र और संवैधानिक संस्थाओं पर से विश्वास पूरी तरह से उठ चुका है. ये बात मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता राजीव रंजन , राकेश सिन्हा और कुमार राजा ने कही.
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि क्या झारखंड भाजपा में राजनैतिक शून्यता आ गयी है कि जो व्यक्ति भाजपा के विरोध में चुनाव लड़कर आया हो उसी नेता को विधायक दल का नेता बनाने के लिए भाजपा इतनी अधीर हो चुकी है कि संवैधानिक संस्थाओं को अदालत में चुनौती देने लगी है.
आखिर भाजपा में इतनी बेचैनी क्यों है कि कल तक भाजपा जिन्हें फ्यूज बल्ब बताने में व्यस्त थी, आज उनसे ही झारखंड को रोशन करना चाहती है.
विधानसभा ट्रिब्यूनल में विचाराधीन मामले में फैसला आने तक उन्हें धैर्य रखना चाहिए. प्रदेश प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा कि भाजपा संविधान दिवस का आयोजन तो करती है. पर संविधान प्रदत्त अधिकार को मानने से इंकार कर रही है. दसवीं अनुसूची के मामले में स्पीकर महोदय के निर्णय के पहले ही मामले को लेकर अदालत पहुंच जाती है.
आखिर इस हड़बड़ी का कारण क्या है. ये वही भाजपा है जिसने पिछले विधानसभा में जब इन्हीं बाबूलाल की पार्टी के छह विधायकों का दलबदल करवाया था, तो बाबूलाल ने जब अदालत का दरवाजा खटखटाया था. तो भाजपा नेता चीख चीख कर स्पीकर के संवैधानिक अधिकार की व्याख्या करते फिरते थे.
वो जनता को ये बताएं कि आज इन मामलों को लेकर कोई संशोधन आया है क्या. वहीं प्रवक्ता कुमार राजा ने कहा कि झारखंड में संविधान और लोकतंत्र का मजाक बनाने का भाजपा ने इतिहास रचने का काम किया है.
पहले खुद बाबूलाल मरांडी को समर्थन वापसी कर सत्ता से बेदखल करने वालों से समझौता किया. बाद के दिनों में विधायकों को जयपुर सैर करवाकर सत्ता हासिल की.
पिछली रघुवर सरकार में झाविमो के विधायकों का दलबदल करवाया है. आज भी भाजपा ने अपने बी टीम झाविमो का विलय तो करवा लिया पर झविमों विधायकदल के दो फूट पड़ गयी और मामला स्पीकर ट्रिब्यूनल में विचाराधीन है.