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आदिवासी सरना महासभा ने कोल विद्रोह के शहीदों को दी श्रद्धांजलि, किया याद - कोल विद्रोह में शहीद हुए महापुरुषों को श्रद्धांजलि दी गई

कोल विद्रोह में शहीद हुए महापुरुषों को आदिवासी सरना महासभा के लोगों ने श्रद्धांजलि दी और उन्हें नमन किया. इस विद्रोह में हजारों महापुरुषों ने अपनी जान की आहुति दी थी.

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आदिवासी सरना महासभा ने कोल विद्रोह के शहीदों को दी श्रद्धांजलि
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Published : Dec 11, 2020, 6:08 PM IST

रांची: कोल विद्रोह में शहीद हुए महापुरुषों को आदिवासी सरना महासभा के लोगों ने श्रद्धांजलि देकर नमन किया. आदिवासी की सभ्यता, संस्कृति और जमीन की रक्षा के लिए 1831 में कॉल विद्रोह किया गया था, जो 5 महीने तक चला.

देखें पूरी खबर

इस विद्रोह में हजारों महापुरुषों ने अपनी जान की आहुति दी थी. यह विद्रोह जागीरदार सूदखोर साहूकारों के खिलाफ की गई थी. इसकी शुरुआत रांची के तमाड़ से हुई थी. आदिवासी सरना महासभा के संयोजक सह पूव मंत्री देव कुमार धान ने कहा कि कोल विद्रोह के इतिहास को आदिवासी समाज के हर लोगों तक पहुंचाना आदिवासी सरना महासभा का उद्देश्य है.

ये भी पढ़ें-आरती कुजूर को भाजपा ने दी नई जिम्मेदारी, महिला मोर्चा की बनाई गई प्रदेश अध्यक्ष

पूव मंत्री देव कुमार धान ने कहा कि छोटा नागपुर में सबसे बड़ा कोल विद्रोह हुआ था, लेकिन समाज को इसकी जानकारी का अब भी अभाव है. स्कूल-कॉलेजों में इस विद्रोह के बारे में पढ़ाई होनी चाहिए थी, जो नहीं हो रही है. उन्होंने कहा कि जिस हक और अधिकार के लिए आदिवासी समाज के लोग 1831 में कोल विद्रोह किए. आज उनके वंशज और पूरा आदिवासी समाज उस हक और अधिकार के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं.

रांची: कोल विद्रोह में शहीद हुए महापुरुषों को आदिवासी सरना महासभा के लोगों ने श्रद्धांजलि देकर नमन किया. आदिवासी की सभ्यता, संस्कृति और जमीन की रक्षा के लिए 1831 में कॉल विद्रोह किया गया था, जो 5 महीने तक चला.

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इस विद्रोह में हजारों महापुरुषों ने अपनी जान की आहुति दी थी. यह विद्रोह जागीरदार सूदखोर साहूकारों के खिलाफ की गई थी. इसकी शुरुआत रांची के तमाड़ से हुई थी. आदिवासी सरना महासभा के संयोजक सह पूव मंत्री देव कुमार धान ने कहा कि कोल विद्रोह के इतिहास को आदिवासी समाज के हर लोगों तक पहुंचाना आदिवासी सरना महासभा का उद्देश्य है.

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पूव मंत्री देव कुमार धान ने कहा कि छोटा नागपुर में सबसे बड़ा कोल विद्रोह हुआ था, लेकिन समाज को इसकी जानकारी का अब भी अभाव है. स्कूल-कॉलेजों में इस विद्रोह के बारे में पढ़ाई होनी चाहिए थी, जो नहीं हो रही है. उन्होंने कहा कि जिस हक और अधिकार के लिए आदिवासी समाज के लोग 1831 में कोल विद्रोह किए. आज उनके वंशज और पूरा आदिवासी समाज उस हक और अधिकार के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं.

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