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27 वर्षीय युवती चला रही ऑर्गेनिक सेनेटरी पैड का स्टार्टअप, बदल रहीं समाज की सोच - रांची समाचार

रांची में 27 वर्षीय वन्या ऑर्गेनिक सेनेटरी पैड का स्टार्टअप चला रहीं हैं. उनका कहना है कि पैड में केमिकल या प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया गया है. यह पूरी तरह ईको फ्रेंडली और बायोडिग्रेडेबल है. इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता है.

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ऑर्गेनिक सेनेटरी पैड्स का स्टार्टअप
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Published : Mar 6, 2021, 8:44 PM IST

रांचीः जब शराब खुले में बिक सकती है, तो सेनेटरी पैड काले पाॅलिथीन या अखबार में रैप कर क्यों खरीदी जाए. इस सोच को बदलना चाहती थीं, मुझे नहीं पता था कि आगे मेरा यह अभियान कहां तक जाएगा, लोग मेरे बारे में क्या कहेंगे, लेकिन मुझे इतना पता था कि जो कर रही हूं वह सामाजिक बदलाव के लिए जरूरी है. ऐसा कहना है वन्या वत्सल का, जो अच्छी नौकरी छोड़कर ऑर्गेनिक सैनिटरी पैड का स्टार्टअप चला रहीं हैं. इसके साथ ही उनका कहना है कि पैड में केमिकल या प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया गया है. यह पूरी तरह ईको फ्रेंडली और बायोडिग्रेडेबल है. इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता है.

जानकारी देती कर्मचारी

इसे भी पढ़ें- धनबादः राष्ट्रीय बालिका दिवस पर जागरुकता कार्यक्रम, बच्चियों को बांटा सेनेटरी पैड


कवर को क्रिएटिव बनाने पर जोर
वन्या कहती हैं कि हम पैड खरीदने के बाद घर में टेबल पर या सामने नहीं रख सकते हैं, इसे कपड़ों में छुपाकर रखना पड़ता है. इसलिए हमने तय किया कि क्यों न इसकी पैकेजिंग ऐसी की जाए, जिसे हम टेबल पर रख सकें, जिसका लुक भी अच्छा हो, इसके लिए हमने पैड के कवर को क्रिएटिव बनाने पर जोर दिया. पैकेट को कवर करने के लिए प्लास्टिक की जगह कागज के लिफाफे और आकर्षक पेपर बोर्ड का हम इस्तेमाल कर रहे हैं.

25 लाख रुपये सालाना पैकेज वाली नौकरी नहीं की

रांची की रहने वाली वन्या वत्सल 12वीं में स्कूल टॉपर रहीं. ग्रेजुएशन करने के बाद 2018 में उन्होंने IIM लखनऊ से MBA किया, एक मल्टीनेशनल कंपनी में कैंपस प्लेसमेंट हो गया, 25 लाख रुपये सालाना पैकेज था, लेकिन वन्या कुछ अपना शुरू करना चाहती थीं. कुछ ऐसा जिससे महिलाओं का भला हो उन्हें रोजगार मिले. इसके बाद उन्होंने रांची के ही रहने वाले गुंजन गौरव से संपर्क किया. इंजीनियरिंग करने के बाद गुंजन एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर रहा था.

इसे भी पढ़ें- झारखंड : कोडरमा के नक्सल प्रभावित इलाके में 'सेनेटरी पैड बैंक' शुरू

समाज की सोच बदलनी जरूरी
वन्या और गुंजन ने 2020 में नौकरी छोड़ दी और नवंबर में इलारिया नाम से ऑर्गेनिक सेनेटरी पैड बनाने का काम शुरू किया. गुंजन कहते हैं कि मैंने नौकरी छोड़कर जब यह काम करना शुरू किया तो कई लोगों ने टोंका. उनका कहना था कि ये महिलाओं का काम है. लेकिन मुझे लगता था कि माहवारी आज भी एक ऐसा टॉपिक है, जिस पर लोग खुलकर बात नहीं करना चाहते हैं. इसको लेकर पुरुष सामाज को भी सोच बदलनी होगी तो ही पूरे सामाज में एक अच्छा मैसेज जा सकेगा.

ईको फ्रेंडली और बायोडिग्रेडेबल
27 साल की वन्या कहती हैं कि सेनेटरी पैड तो कई कंपनियां बना रहीं हैं, जिनमें ज्यादातर विदेशी हैं. ये लोग इसमें प्लास्टिक का इस्तेमाल करते हैं, जो हेल्थ के लिए ठीक नहीं है. हमने ऑर्गेनिक तरीके से कपास से बने सेनेटरी पैड लॉन्च किए हैं, इसमें किसी केमिकल या प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया गया है. यह पूरी तरह इको फ्रेंडली और बायोडिग्रेडेबल है.

रांचीः जब शराब खुले में बिक सकती है, तो सेनेटरी पैड काले पाॅलिथीन या अखबार में रैप कर क्यों खरीदी जाए. इस सोच को बदलना चाहती थीं, मुझे नहीं पता था कि आगे मेरा यह अभियान कहां तक जाएगा, लोग मेरे बारे में क्या कहेंगे, लेकिन मुझे इतना पता था कि जो कर रही हूं वह सामाजिक बदलाव के लिए जरूरी है. ऐसा कहना है वन्या वत्सल का, जो अच्छी नौकरी छोड़कर ऑर्गेनिक सैनिटरी पैड का स्टार्टअप चला रहीं हैं. इसके साथ ही उनका कहना है कि पैड में केमिकल या प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया गया है. यह पूरी तरह ईको फ्रेंडली और बायोडिग्रेडेबल है. इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता है.

जानकारी देती कर्मचारी

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कवर को क्रिएटिव बनाने पर जोर
वन्या कहती हैं कि हम पैड खरीदने के बाद घर में टेबल पर या सामने नहीं रख सकते हैं, इसे कपड़ों में छुपाकर रखना पड़ता है. इसलिए हमने तय किया कि क्यों न इसकी पैकेजिंग ऐसी की जाए, जिसे हम टेबल पर रख सकें, जिसका लुक भी अच्छा हो, इसके लिए हमने पैड के कवर को क्रिएटिव बनाने पर जोर दिया. पैकेट को कवर करने के लिए प्लास्टिक की जगह कागज के लिफाफे और आकर्षक पेपर बोर्ड का हम इस्तेमाल कर रहे हैं.

25 लाख रुपये सालाना पैकेज वाली नौकरी नहीं की

रांची की रहने वाली वन्या वत्सल 12वीं में स्कूल टॉपर रहीं. ग्रेजुएशन करने के बाद 2018 में उन्होंने IIM लखनऊ से MBA किया, एक मल्टीनेशनल कंपनी में कैंपस प्लेसमेंट हो गया, 25 लाख रुपये सालाना पैकेज था, लेकिन वन्या कुछ अपना शुरू करना चाहती थीं. कुछ ऐसा जिससे महिलाओं का भला हो उन्हें रोजगार मिले. इसके बाद उन्होंने रांची के ही रहने वाले गुंजन गौरव से संपर्क किया. इंजीनियरिंग करने के बाद गुंजन एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर रहा था.

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समाज की सोच बदलनी जरूरी
वन्या और गुंजन ने 2020 में नौकरी छोड़ दी और नवंबर में इलारिया नाम से ऑर्गेनिक सेनेटरी पैड बनाने का काम शुरू किया. गुंजन कहते हैं कि मैंने नौकरी छोड़कर जब यह काम करना शुरू किया तो कई लोगों ने टोंका. उनका कहना था कि ये महिलाओं का काम है. लेकिन मुझे लगता था कि माहवारी आज भी एक ऐसा टॉपिक है, जिस पर लोग खुलकर बात नहीं करना चाहते हैं. इसको लेकर पुरुष सामाज को भी सोच बदलनी होगी तो ही पूरे सामाज में एक अच्छा मैसेज जा सकेगा.

ईको फ्रेंडली और बायोडिग्रेडेबल
27 साल की वन्या कहती हैं कि सेनेटरी पैड तो कई कंपनियां बना रहीं हैं, जिनमें ज्यादातर विदेशी हैं. ये लोग इसमें प्लास्टिक का इस्तेमाल करते हैं, जो हेल्थ के लिए ठीक नहीं है. हमने ऑर्गेनिक तरीके से कपास से बने सेनेटरी पैड लॉन्च किए हैं, इसमें किसी केमिकल या प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया गया है. यह पूरी तरह इको फ्रेंडली और बायोडिग्रेडेबल है.

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