लातेहार: स्वच्छ भारत अभियान को सरकारी तंत्र ने मजाक बनाकर रख दिया है. लातेहार जिले को कागजी रूप से तो खुले में शौच मुक्त जिला घोषित कर दिया गया है लेकिन सच्चाई यह है कि यहां की महिलाओं को शौचालय निर्माण के लिए धरना-प्रदर्शन करना पड़ रहा है. कुछ ऐसा ही नजारा सोमवार को समाहरणालय के निकट देखने को मिला.
दरअसल, लातेहार जिले के चंदवा प्रखंड अंतर्गत अलोदिया गांव की लगभग एक दर्जन महिलाएं सोमवार को समाहरणालय के निकट धरना पर बैठी थी. महिलाओं का कहना था कि 2 वर्ष पहले उनके नाम से शौचालय के स्वीकृति मिली थी. लेकिन मात्र गड्ढा खोदकर छोड़ दिया गया, गड्ढा खोदने के 2 साल बाद भी शौचालय का निर्माण नहीं किया गया. पूछने पर हर बार मात्र आश्वासन देकर उन्हें ठगा गया. अब तो गांव के मुखिया और जलसहिया यह भी कहते हैं कि उन्हें शौचालय नहीं मिलेगा.
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महिला निर्मला देवी ने कहा कि 2 साल पहले उनके घर में शौचालय के लिए गड्ढा खोदा गया लेकिन आज तक शौचालय निर्माण नहीं किया गया. ऐसे में उन्हें खुले में शौच जाने को मजबूर होना पड़ रहा है. वहीं, स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष विनीता देवी ने कहा कि शौचालय निर्माण का पैसा मुखिया और जल सहिया के खाते में भेज दिया गया था. लॉकडाउन से पहले फिर से सर्वे कर छूटे हुए घरों में शौचालय का निर्माण करवाने की स्वीकृति मिली. काम शुरू भी हुआ लेकिन मुखिया और जलसहिया पैसे ही नहीं दे रहे हैं. ऐसे में शौचालय निर्माण का काम बंद पड़ा हुआ है. इस संबंध में पेयजल और स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता जितेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि सरकार की योजना है कि प्रत्येक घर में अनिवार्य रूप से शौचालय का निर्माण हो. उन्होंने कहा कि छूटे हुए घरों का सर्वे कर इसलिए शौचालय का निर्माण करवाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अगर किसी ग्रामीणों का शौचालय नहीं बन पा रहा है तो वह इसकी जांच करा रहे हैं.