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गोड्डा: पानी को लेकर वार्ड पार्षदों के निशाने पर नगर परिषद अध्यक्ष, लगाए ये गंभीर आरोप

जिले में जगह-जगह बोरिंग कराई जा रही है ताकि गोड्डा शहर के लोगों की प्यास बुझाई जा सके. लेकिन काम शुरू होते ही वार्ड पार्षद और नगर परिषद उपाध्यक्ष की ओर से विरोध होने लगा. इनका कहना है इस तरह के नीतिगत निर्णय विचार-विमर्श से होना चाहिए. जबकि बगैर बैठक और टेंडर के काम कराया जा रहा है. जगह भी मनमाने तरीके से चिन्हित की गई है.

वार्ड पार्षद
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Published : Apr 17, 2019, 1:42 PM IST

गोड्डा: शहर में पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. यहां पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था सप्लाई सिस्टम के तहत उपलब्ध नहीं है. सभी जन प्रतिनिधि लोक लुभावन वादों के साथ चुनाव जीतते हैं और फिर भूल जाते हैं. ऐसे में नगर अध्यक्ष का एक प्रयास विवादों में फंस गया है.

जानकारी देती वार्ड पार्षद

जिले में जगह-जगह बोरिंग कराई जा रही है ताकि गोड्डा शहर के लोगों की प्यास बुझाई जा सके. लेकिन काम शुरू होते ही वार्ड पार्षद और नगर परिषद उपाध्यक्ष की ओर से विरोध होने लगा. इनका कहना है इस तरह के नीतिगत निर्णय विचार-विमर्श से होना चाहिए. जबकि बगैर बैठक और टेंडर के काम कराया जा रहा है. जगह भी मनमाने तरीके से चिन्हित की गई है.

वहीं, बोरिंग की गहराई को लेकर भी लोगों में विवाद है. लोगों का मानना है कि 250 फिट बोरिंग का तीन चार साल में बुरा हाल हो जाता है. इसके बाद फिर से पानी की किल्लत शुरू हो जाती है. ऐसे में क्यों नहीं एक बार ही 300 फिट बोरिंग कराई जाए. हालांकि, नगर परिषद अध्यक्ष इसे नहीं मानते हैं. उनका कहना है कि 4 साल बोरिंग चलेगी. इसके बाद अगर वो खराब होती है, तो फिर देखा जाएगा.

गोड्डा: शहर में पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. यहां पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था सप्लाई सिस्टम के तहत उपलब्ध नहीं है. सभी जन प्रतिनिधि लोक लुभावन वादों के साथ चुनाव जीतते हैं और फिर भूल जाते हैं. ऐसे में नगर अध्यक्ष का एक प्रयास विवादों में फंस गया है.

जानकारी देती वार्ड पार्षद

जिले में जगह-जगह बोरिंग कराई जा रही है ताकि गोड्डा शहर के लोगों की प्यास बुझाई जा सके. लेकिन काम शुरू होते ही वार्ड पार्षद और नगर परिषद उपाध्यक्ष की ओर से विरोध होने लगा. इनका कहना है इस तरह के नीतिगत निर्णय विचार-विमर्श से होना चाहिए. जबकि बगैर बैठक और टेंडर के काम कराया जा रहा है. जगह भी मनमाने तरीके से चिन्हित की गई है.

वहीं, बोरिंग की गहराई को लेकर भी लोगों में विवाद है. लोगों का मानना है कि 250 फिट बोरिंग का तीन चार साल में बुरा हाल हो जाता है. इसके बाद फिर से पानी की किल्लत शुरू हो जाती है. ऐसे में क्यों नहीं एक बार ही 300 फिट बोरिंग कराई जाए. हालांकि, नगर परिषद अध्यक्ष इसे नहीं मानते हैं. उनका कहना है कि 4 साल बोरिंग चलेगी. इसके बाद अगर वो खराब होती है, तो फिर देखा जाएगा.

Intro:गोड्डा नगर में पानी को लेकर नगर परिषद अध्यक्ष -वार्ड पार्षदों के निशाने पर कहा कर रहे है मनमानी


Body:गोड्डा शहर में पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है।संभवतः राज्य का ये कुछ एक मात्र जिला मुख्यालय में से है जहाँ पेय जल आपूर्ति की की कोई ब्यवस्था सप्लाई सिस्टम के तहत उपलब्ध नही है।और सभी जन प्रतिनिधि ऐसे ही वादों के साथ चुनाव जीतते आते है और फिर भूल जाते है।ऐसे में नगर अध्यक्ष का एक प्रयास विवादों में फस गया है।।
जिले में जगह बोरिंग करवाई जा जा रही है जिससे गोड्डा शहर के लोगो की प्यास बुझाई जा सके।लेकिन काम आरम्भ होते ही बिरोध के स्वर वार्ड पार्षद व नगर परिषद उपाध्यक्ष की ओर से उठने लगी तो किसी काम ही बंद करा दिया।इनका कहना है।मि इस तरह के नीतिगत निर्णय बिचार विमर्श से हीन चाहिए और सबकी सहमति जरूरी है।जबकि बगैर की बैठक व टेंडर के काम कराया जा रहा है ।जगह भी मनमाने तरीके से चिन्हित किया गया है।वही विवाद की जड़ में जो बात है वो बोरिंग की गहराई का है।लोगो का मानना है कि 250 फिट गहराई को बोरिंग का तीन चार साल में बुरा हाल होता है।फिर से पानी की किल्लत शुरू हो जाती है।ऐसे में क्यों नही एक बार हो 300 फिट बोरिंग किया जाय जिससे समस्या का लंबे वक़्त के लिए निदान हो सके।वही नगर परिषद इसे नही मानते कहते 4 साल तो चलेगा फिर सोचा जाएगा।और फिर हर जगह का वाटर लेवल एक थोड़े है।
bt-जितेंद्र मंडल उर्फ गुड्डू-नगर परिषद अध्यक्ष,गोड्डा
bt-बेनु चौबे-नगर परिषद उपाध्यक्ष
bt-वार्ड पार्षद
bt-वार्ड पार्षद


Conclusion:na
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