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विश्व दिव्यांग दिवसः डालसा टीम ने वृद्ध पिता को उसके पुत्र से मिलाया, 5 वर्षों से था लापता

धनबाद डालसा की टीम ने रांची से लापता हुए एक मानसिक रूप से दिव्यांग पुत्र को धनबाद में उसके पिता के हवाले कर दिया है. अपने पुत्र को पाकर पिता ने न्यायधीश का शुक्रिया अदा किया.

dalsa team in dhanbad
विश्व दिव्यांग दिवस
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Published : Dec 3, 2020, 2:30 PM IST

धनबाद: विश्व दिव्यांग दिवस पर गुरुवार को जिले के प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश ने पांच वर्षों से घर से गायब पुत्र को उसके बूढ़े पिता को सौंप दिया. लगभग 5 वर्ष पूर्व उनका मानसिक रूप से दिव्यांग पुत्र गायब था, जिसे वापस लाया गया गया है. अपने बेटे को पाकर वृद्ध पिता ने डालसा को धन्यवाद कहा है.

देखें पूरी खबर

रांची से हुआ था गायब
दरअसल भूली रंगूनी बस्ती निवासी मजदूर अमृत दास का पुत्र सुरेश दास मानसिक रूप से दिव्यांग था. मजदूर की बेटी भी बीमार थी. पांच वर्ष पूर्व अमृत अपनी बीमार पुत्री का इलाज कराने रांची गया हुआ था. इसी बीच दिव्यांग सुरेश घर से बाहर चला गया. माता-पिता बेटे को ढूंढते-ढूंढते थक गए थे, पर वह नहीं मिला. थक हारकर उसने जिला विधिक सेवा प्राधिकार से अपने पुत्र को ढूंढने की गुहार लगाई थी.

इसे भी पढ़ें- धनबाद: राजकिशोर महतो को श्रद्धांजलि देने वालों का लगा तांता, सीएम हेमंत सोरेन ने बताया अपूरणीय क्षति

बिलासपुर से किया गया दिव्यांग को रेस्क्यू
प्राधिकार के चेयरमैन सह प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश बसंत कुमार गोस्वामी के निर्देश पर अवर न्यायाधीश सह सचिव डालसा अरविंद कच्छप ने दिव्यांग सुरेश को ढूंढने के लिए विधि स्वयं सेवकों की एक टास्क टीम का गठन किया था. छत्तीसगढ़ विधिक सेवा प्राधिकार और बिलासपुर प्रशासन के सहयोग से दिव्यांग सुरेश को बिलासपुर से रेस्क्यू किया गया. स्थानीय लोगों ने सुरेश को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया था. स्थानीय प्रशासन के सहयोग से दिव्यांग को कांस्टेबल सुशील सिंह राजपूत छत्तीसगढ़ से धनबाद लेकर पहुंचे. सिविल कोर्ट धनबाद में प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश बसंत कुमार गोस्वामी ने दिव्यांग सुरेश को उसके पिता के हवाले किया और उसके इलाज के पूरी मुकम्मल व्यवस्था का आदेश जिला प्रशासन को दिया.

वर्ष 2012 में 19 बच्चों को किया गया था रेस्क्यू
प्रधान न्यायाधीश बसंत गोस्वामी ने कहा कि समाज सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं होता. जिला विधिक सेवा प्राधिकार समाज के हर तबके के लोगों को हर प्रकार के कानूनी सहायता देने के लिए प्रतिबद्ध है. राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार की ओर से चलाए जा रहे कार्यक्रम (उम्मीद) के तहत सुरेश को रेस्क्यू किया गया है. उन्होंने कहा कि विश्व दिव्यांग दिवस पर एक वृद्ध पिता को डालसा के सहयोग से उसका पुत्र मिल गया. यह हम लोगों के लिए भी खुशी की बात है. उन्होंने बताया कि इसके पूर्व भी वर्ष 2012 में उन्होंने झारखंड से गायब 19 बच्चों को केरल से रेस्क्यू कराया था और उसके परिजनों को सौंपा था.

धनबाद: विश्व दिव्यांग दिवस पर गुरुवार को जिले के प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश ने पांच वर्षों से घर से गायब पुत्र को उसके बूढ़े पिता को सौंप दिया. लगभग 5 वर्ष पूर्व उनका मानसिक रूप से दिव्यांग पुत्र गायब था, जिसे वापस लाया गया गया है. अपने बेटे को पाकर वृद्ध पिता ने डालसा को धन्यवाद कहा है.

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रांची से हुआ था गायब
दरअसल भूली रंगूनी बस्ती निवासी मजदूर अमृत दास का पुत्र सुरेश दास मानसिक रूप से दिव्यांग था. मजदूर की बेटी भी बीमार थी. पांच वर्ष पूर्व अमृत अपनी बीमार पुत्री का इलाज कराने रांची गया हुआ था. इसी बीच दिव्यांग सुरेश घर से बाहर चला गया. माता-पिता बेटे को ढूंढते-ढूंढते थक गए थे, पर वह नहीं मिला. थक हारकर उसने जिला विधिक सेवा प्राधिकार से अपने पुत्र को ढूंढने की गुहार लगाई थी.

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बिलासपुर से किया गया दिव्यांग को रेस्क्यू
प्राधिकार के चेयरमैन सह प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश बसंत कुमार गोस्वामी के निर्देश पर अवर न्यायाधीश सह सचिव डालसा अरविंद कच्छप ने दिव्यांग सुरेश को ढूंढने के लिए विधि स्वयं सेवकों की एक टास्क टीम का गठन किया था. छत्तीसगढ़ विधिक सेवा प्राधिकार और बिलासपुर प्रशासन के सहयोग से दिव्यांग सुरेश को बिलासपुर से रेस्क्यू किया गया. स्थानीय लोगों ने सुरेश को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया था. स्थानीय प्रशासन के सहयोग से दिव्यांग को कांस्टेबल सुशील सिंह राजपूत छत्तीसगढ़ से धनबाद लेकर पहुंचे. सिविल कोर्ट धनबाद में प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश बसंत कुमार गोस्वामी ने दिव्यांग सुरेश को उसके पिता के हवाले किया और उसके इलाज के पूरी मुकम्मल व्यवस्था का आदेश जिला प्रशासन को दिया.

वर्ष 2012 में 19 बच्चों को किया गया था रेस्क्यू
प्रधान न्यायाधीश बसंत गोस्वामी ने कहा कि समाज सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं होता. जिला विधिक सेवा प्राधिकार समाज के हर तबके के लोगों को हर प्रकार के कानूनी सहायता देने के लिए प्रतिबद्ध है. राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार की ओर से चलाए जा रहे कार्यक्रम (उम्मीद) के तहत सुरेश को रेस्क्यू किया गया है. उन्होंने कहा कि विश्व दिव्यांग दिवस पर एक वृद्ध पिता को डालसा के सहयोग से उसका पुत्र मिल गया. यह हम लोगों के लिए भी खुशी की बात है. उन्होंने बताया कि इसके पूर्व भी वर्ष 2012 में उन्होंने झारखंड से गायब 19 बच्चों को केरल से रेस्क्यू कराया था और उसके परिजनों को सौंपा था.

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