रांची: भारतीय जनता पार्टी से राज्यसभा सांसद समीर उरांव और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के आदिवासियों को हिंदू कहने के बयान के बाद सियासत गर्म हो गई है. इस बयान का विरोध करते हुए अल्बर्ट एक्का चौक पर आदिवासी संगठनों ने राज्यसभा सांसद समीर उरांव और बाबूलाल मरांडी का पुतला फूंका.
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जय आदिवासी केंद्रीय परिषद और आदिवासी छात्र मोर्चा के नेतृत्व में रांची विश्वविद्यालय परिसर से अलबर्ट एक्का चौक तक जुलूस निकाला गया. जय आदिवासी केंद्रीय परिषद की महिला नेता निरंजना हेरेंज के नेतृत्व में लोगों ने सरना झंडा हाथों में लेकर प्रदर्शन किया. उन्होंने आरोप लगाया कि बाबूलाल मरांडी और समीर उरांव ने आदिवासी समाज को भड़काने और जाति धर्म के नाम पर लड़ाने का प्रयास किया है. इसको लेकर जन-जन तक इन लोगों के खिलाफ प्रचार किया जाएगा और इनका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा.
वहीं, परिषद के प्रवक्ता हलधर चंदन ने कहा कि आदिवासी समाज दुनिया के सभी धर्म का सम्मान करता है, लेकिन बीजेपी नेता और विधायक की ओर से आ रहे बयान का पुरजोर विरोध किया जाएगा. क्योंकि आदिवासी प्रकृति वादी रुढ़िवादी परंपराओं के अंतर्गत जाने जाते हैं. भारतीय संविधान में इनकी अपनी पहचान शेड्यूल ट्राइबल के रूप में निहित है. साथ ही पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत आदिवासियों को अपने क्षेत्रों में प्रशासन और स्वशासन की शक्ति प्राप्त है. जानबूझ कर बाबूलाल और समीर उरांव सत्ता और शासन के लोभ में वशीभूत होकर पार्टी प्रेरित भाषा बोल रहे हैं, जिससे पूरा आदिवासी समाज और झारखंडी आक्रोशित हैं. मोर्चा के अजय टोप्पो ने कहा कि दोनों भाजपा के जनप्रतिनिधियों ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना की है. इस पर दोनों नेताओं के खिलाफ न्यायालय में अवमानना याचिका दायर की जाएगी.