रांचीः राज्य के वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने शनिवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से आग्रह किया है कि केंद्र सरकार अगर जातिगत जनगणना नहीं कराती है तो राज्य सरकार खुद से ओबीसी जनगणना कराए. उन्होंने कहा कि काम की तलाश में पलायन करने वाले आदिवासियों के लिए जनगणना में विशेष प्रावधान करने की मांग की है.
इसे भी पढ़ें- मंत्री आलमगीर आलम पहुंचे दिल्ली, सर्वदलीय शिष्टमंडल में कांग्रेस का करेंगे प्रतिनिधित्व
रांची में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि 9 फरवरी से 28 फरवरी के बीच जनगणना होती है. इस दौरान 4 से 5 प्रतिशत आदिवासी या हो सकता है कि यह संख्या ज्यादा भी है. क्योंकि काम की तलाश में यहां के आदिवासी दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और बिहार समेत अन्य राज्यों में चले जाते हैं. वहां उनकी गिनती उन राज्यों में गैर-आदिवासी जनसंख्या के रूप में होती है.
इस संबंध में अनुसूचित जनजाति के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर रहने के दौरान उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति को भी पत्र लिखा था और यह आग्रह किया गया था कि जनगणना के दौरान ऐसे पलायन करने वाले आदिवासियों की गिनती कर संबंधित राज्यों को ही भेज दी जाए ताकि आदिवासियों की संख्या के बारे में सही आंकड़े सामने आ सके. उन्होंने कहा कि इसी जनगणना के आधार पर अनुसूचित जनजाति और जाति के लिए लोकसभा और विधानसभा सीटों का परिसीमन होता है, इसलिए सीटें कम ना हो, इसके लिए सही आंकड़ा सामने आना जरूरी है.
उन्होंने कहा कि कोई किसी भी समाज या समुदाय से आता है, उन्हें अपने समाज के लोगों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त करना चाहिए. इस संबंध में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी पहल की है, यह सराहनीय है. बिहार में यह भी मांग उठी है कि अगर केंद्र सरकार जातिगत जनगणना नहीं कराती है तो बिहार सरकार खुद ऐसा कर सकती है.
इसे भी पढ़ें- सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में भाजपा के शामिल होने पर सस्पेंस, जातीय जनगणना पर हो रही राजनीति- बीजेपी
उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की तारीफ करते हुए कहा कि जिस तरह से उनके नेतृत्व में झारखंड सरकार ने जातिगत जनगणना और सरना धर्म कोड को लेकर स्टैंड केंद्र सरकार के समक्ष रखा है, वह सराहनीय है. उन्होंने सर्वदलीय कमिटी में जाने को लेकर बीजेपी की सहमति का स्वागत किया है और कहा कि बीजेपी भी तमाम चीजों को समझ रही है.