ETV Bharat / city

नरसंहार के 20 साल बाद भी आश्रितों को नहीं मिली नौकरी, नक्सलियों ने की थी एक साथ 10 लोगों की हत्या

एकीकृत बिहार के समय अटका में एक पंचायत में नक्सलियों ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी. इसमें मुखिया सहित 10 लोगों की मौत हुई. हादसे के बाद तत्कालीन सीएम राबड़ी देवी ने आश्रितों को नौकरी और मुआवजा देने का ऐलान किया. हालांकि आश्रितों को मुआवजा तो दिया गया, लेकिन नौकरी अभी तक नहीं मिली.

नरसंहार के 20 साल बाद भी आश्रितों को नहीं मिली नौकरी
author img

By

Published : Jul 6, 2019, 7:53 PM IST

बगोदर/ गिरिडीहः एकीकृत बिहार के समय बगोदर के अटका में हुए नरसंहार की घटना में मारे गए लोगों के परिजनों को 20 साल बाद भी नौकरी नहीं मिल पाई है. तत्कालीन सीएम रावड़ी देवी ने आश्रितों को नौकरी दिए जाने की घोषणा की थी. 7 जुलाई 1998 को पुलिस वर्दीधारी नक्सलियों ने एक साथ 10 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी.

वीडियो में देखें पूरी खबर

घटना के बाद तत्कालीन सीएम रावड़ी देवी, पूर्व सीएम लालू यादव ने पीड़ित परीजनों को सांत्वना देते हुए मौके का जाएजा लिया था. घटना के 2 साल बाद अलग राज्य झारखंड का निर्माण हुआ. इसके साथ ही आश्रितों की नौकरी का मामला ठंडे बस्ते में चला गया.

दरअसल, तत्कालीन बिहार अटका के पड़ाव मैदान में एक मामले को लेकर पंचायत हो रही थी. पंचायत में मुखिया मथुरा प्रसाद मंडल सहित बड़ी संख्या में प्रबुद्ध व्यक्ति और ग्रामीण उपस्थित थे. पंचायत का दौर चल रहा था, इसी बीच पुलिस की वर्दी पहने 7 नक्सली वहां आ पहुंचे और पंचायत में बैठे लोगों पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरु कर दी. इसमें मुखिया सहित 10 लोगों की मौत हो गई. घटना के बाद नक्सली नारेबाजी करते हुए पैदल निकल गए.

ये लोग मारे गए थे
इस घटना में अटका के तत्कालीन मुखिया मथुरा प्रसाद मंडल, बिहारी महतो, धुपाली महतो, जगरनाथ महतो, सरयू महतो, दशरथ महतो, सीताराम महतो, रघुनाथ प्रसाद, मीरन प्रसाद व तुलसी महतो की मौत हो गई थी. बताया जा रहा है कि इलाके में उस समय नक्सलियों का उदय हुआ था. घटना में मारे गए तत्कालीन मुखिया मथुरा प्रसाद मंडल के पुत्र सह भाजपा नेता दीपू मंडल ने बताया कि तत्कालीन सीएम के द्वारा घटना में मारे गए लोगों के आश्रित परिवार के 1 सदस्य को नौकरी, 1 लाख रूपए, इंदिरा आवास आदि दिए जाने की घोषणा की गई थी.

विधानसभा में भी उठा मुद्दा

घोषणा के मुताबिक रूपए और इंदिरा आवास तो सभी आश्रितों को मिल गए, मगर नौकरी किसी को नहीं मिली. गौरतलब है कि बगोदर के तत्कालीन विधायक विनोद कुमार सिंह और वर्तमान विधायक नागेंद्र महतो के द्वारा भी विधान सभा में अटका नरसंहार की घटना को उठाते हुए आश्रित परिवार को नौकरी दिए जाने की मांग की गई, मगर नतीजा कुछ नहीं निकला. विधायक ने कहा कि आश्रितों को नौकरी मिले इसके लिए प्रयास जारी है और फिर विधानसभा में इस मामले को रखूंगा.

बगोदर/ गिरिडीहः एकीकृत बिहार के समय बगोदर के अटका में हुए नरसंहार की घटना में मारे गए लोगों के परिजनों को 20 साल बाद भी नौकरी नहीं मिल पाई है. तत्कालीन सीएम रावड़ी देवी ने आश्रितों को नौकरी दिए जाने की घोषणा की थी. 7 जुलाई 1998 को पुलिस वर्दीधारी नक्सलियों ने एक साथ 10 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी.

वीडियो में देखें पूरी खबर

घटना के बाद तत्कालीन सीएम रावड़ी देवी, पूर्व सीएम लालू यादव ने पीड़ित परीजनों को सांत्वना देते हुए मौके का जाएजा लिया था. घटना के 2 साल बाद अलग राज्य झारखंड का निर्माण हुआ. इसके साथ ही आश्रितों की नौकरी का मामला ठंडे बस्ते में चला गया.

दरअसल, तत्कालीन बिहार अटका के पड़ाव मैदान में एक मामले को लेकर पंचायत हो रही थी. पंचायत में मुखिया मथुरा प्रसाद मंडल सहित बड़ी संख्या में प्रबुद्ध व्यक्ति और ग्रामीण उपस्थित थे. पंचायत का दौर चल रहा था, इसी बीच पुलिस की वर्दी पहने 7 नक्सली वहां आ पहुंचे और पंचायत में बैठे लोगों पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरु कर दी. इसमें मुखिया सहित 10 लोगों की मौत हो गई. घटना के बाद नक्सली नारेबाजी करते हुए पैदल निकल गए.

ये लोग मारे गए थे
इस घटना में अटका के तत्कालीन मुखिया मथुरा प्रसाद मंडल, बिहारी महतो, धुपाली महतो, जगरनाथ महतो, सरयू महतो, दशरथ महतो, सीताराम महतो, रघुनाथ प्रसाद, मीरन प्रसाद व तुलसी महतो की मौत हो गई थी. बताया जा रहा है कि इलाके में उस समय नक्सलियों का उदय हुआ था. घटना में मारे गए तत्कालीन मुखिया मथुरा प्रसाद मंडल के पुत्र सह भाजपा नेता दीपू मंडल ने बताया कि तत्कालीन सीएम के द्वारा घटना में मारे गए लोगों के आश्रित परिवार के 1 सदस्य को नौकरी, 1 लाख रूपए, इंदिरा आवास आदि दिए जाने की घोषणा की गई थी.

विधानसभा में भी उठा मुद्दा

घोषणा के मुताबिक रूपए और इंदिरा आवास तो सभी आश्रितों को मिल गए, मगर नौकरी किसी को नहीं मिली. गौरतलब है कि बगोदर के तत्कालीन विधायक विनोद कुमार सिंह और वर्तमान विधायक नागेंद्र महतो के द्वारा भी विधान सभा में अटका नरसंहार की घटना को उठाते हुए आश्रित परिवार को नौकरी दिए जाने की मांग की गई, मगर नतीजा कुछ नहीं निकला. विधायक ने कहा कि आश्रितों को नौकरी मिले इसके लिए प्रयास जारी है और फिर विधानसभा में इस मामले को रखूंगा.

Intro:नरसंहार के 20 साल बाद भी आश्रितों को नहीं मिली नौकरी, नक्सलियों ने की थी एक साथ 10 लोगों की हत्या

बगोदर/ गिरिडीह


Body:बगोदर/ गिरिडीहः एकीकृत बिहार के समय बगोदर के अटका में हुए नरसंहार की घटना में मारे गए लोगों के परिजनों को 20 साल बाद भी नौकरी नहीं मिल पाई है. तत्कालीन सीएम रावड़ी देवी ने आश्रितों को नौकरी दिए जाने की घोषणा की थी. इस घटना में पुलिस वर्दीधारी नक्सलियों ने एक साथ दस लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी. घटना सात जुलाई 1998 की है. घटना में तत्कालीन मुखिया सहित दस लोगों की मौत हो गई थी. घटना के बाद तत्कालीन सीएम रावड़ी देवी, पूर्व सीएम लालू यादव आदि पहुंचकर पीड़ित परीजनों को हिम्मत बंधाते हुए घटना का जाएजा लिया था. घटना के दो साल बाद अलग राज्य झारखंड का निर्माण हुआ और नौकरी का मामला ठंडे बस्ते में चला गया. आश्रितों को आज भी नौकरी का इंतजार है.


पुलिस के वेश में पहुंचे थे नक्सली

अटका के पड़ाव मैदान में एक मामले को लेकर पंचायत हो रही थी. पंचायत में तत्कालीन मुखिया मथूरा प्रसाद मंडल सहित बड़ी संख्या में प्रबुद्ध व्यक्ति और ग्रामीण उपस्थित थे. पंचायत का दौर चल रहा था, इसी बीच पुलिस की वर्दी पहने सात नक्सली वहां आ पहुंचा. सभी के हाथों में बंदूक थे. पंचायत में उपस्थित लोग जबतक कुछ समझ पाते नक्सलियों ने पहले हवाई फायरिंग की और फिर पंचायत में बैठे लोगों में से चून- चूनकर एक- एक कर दस लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी. बताया जाता है कि नक्सली मेटाडोर पर सवार होकर आऐ थे और घटना के बाद नारेबाजी करते हुए पैदल निकल गए थे. घटना को अंजाम देने के बाद नक्सली हजारीबाग जिले के जंगल में प्रवेश कर गए थे.


ये लोग मारे गए थे

इस घटना में अटका के तत्कालीन मुखिया मथूरा प्रसाद मंडल, बिहारी महतो, धुपाली महतो, जगरनाथ महतो, सरयू महतो, दशरथ महतो, सीताराम महतो, रघुनाथ प्रसाद, मीरन प्रसाद व तुलसी महतो की मौत हो गई थी. बताया जाता है कि इलाके में उस समय नक्सलियों का उदय हुआ था. घटना में मारे गए तत्कालीन मुखिया मथूरा प्रसाद मंडल के पुत्र सह भाजपा नेता दीपू मंडल ने बताया कि तत्कालीन सीएम के द्वारा घटना में मारे गए लोगों के आश्रित परिवार के एक- एक सदस्य को नौकरी, एक- एक लाख रूपए, इंदिरा आवास आदि दिए जाने की घोषणा की गई थी. घोषणा के मुताबिक रूपए और इंदिरा आवास तो सभी आश्रितों को मिल गए, मगर नौकरी किसी को नहीं मिली है. बता दें कि बगोदर के तत्कालीन विधायक विनोद कुमार सिंह एवं वर्तमान विधायक नागेंद्र महतो के द्वारा भी विधान सभा में अटका नरसंहार की घटना को उठाते हुए आश्रित परिवार को नौकरी दिए जाने की मांग की थी, मगर नतीजा ढ़ाक के तीन पात वाली है.विधायक ने कहा कि आश्रितों को नौकरी मिले इसके लिए प्रयास जारी है और फिर विस में इस मामले को रखूंगा.


Conclusion:आश्रितों का बयान

जानकारी देते बगोदर विधायक नागेंद्र महतो

रिपोर्टर का पीटीसी
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.