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चाईबासा में ग्राम सभा की अनूठी पहल, हथियार पकड़ने वाले हाथों में थमायी हॉकी स्टिक

चाईबासा में खेलकूद प्रतिभा विलुप्त होती जा रही थी. इसे लेकर ग्राम सभा ने हथियार और गोला बारूद पकड़ने वाले युवाओं को हॉकी स्टिक थमाया और एक अनूठी पहल की.

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हॉकी खिलाड़ी
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Published : Jan 8, 2021, 12:33 PM IST

Updated : Jan 8, 2021, 12:42 PM IST

चाईबासा: नक्सलवाद और सरकारी उपेक्षाओं के कारण पिछड़ेपन का दंश झेल रहे सारंडा के ग्रामीण खुद अपने हालात को सुधारने में जुट गए हैं. कुछ साल पहले तक सारंडा के युवाओं के हाथ में अत्याधुनिक हथियार और बारूद का गोला हुआ करता था, लेकिन अब इन हाथों ने हॉकी स्टिक थामकर भटकाव के रास्ते से मुंह मोड़ने का प्रण लिया है.

देखें पूरी खबर

युवाओं में खेलकूद प्रतिभा विलुप्त

पश्चिमी सिंहभूम जिले के सारंडा में लगभग दो दशक तक नक्सलवाद के तांडव से आम जनजीवन बेपटरी हो गई थी. इसके साथ ही युवाओं में खेलकूद प्रतिभा भी विलुप्त हो चुकी थी. पिछले 20 सालों से सारंडा में एक भी खिलाड़ी खेल के क्षेत्र में नहीं आया. ग्रामसभा ने खेल के क्षेत्र से युवाओं को जोड़कर ना सिर्फ उन्हें भटकाव से रोका, बल्कि समाज के प्रति भी उन्हें उत्तरदायी बनाने के लिए जयपाल सिंह मुंडा की जयंती पर हॉकी प्रतियोगिता की शुरुआत कर अनूठा पहल की है.


हॉकी खेल को पुनर्जीवित करने का लिया प्रण
आसरा संस्था के चलाए जा रहे ग्राम स्वशासन अभियान के तहत समठा गांव की ग्रामसभा की इस अनूठी पहल से आसपास के 8 गांव के लगभग 100 युवा खिलाड़ियों ने भाग लिया, जिससे सारंडा में लुप्त होते हॉकी के खेल को पुनर्जीवित करने और आदिवासी सभ्यता संस्कृति को संरक्षित रखने का भी प्रण लिया. सारंडा के इस बदलते माहौल में अब विकास की नई इबारत आसानी से लिखी जा सकती है.

ये भी पढ़े- रिमांड में भैरव सिंह को टॉर्चर नहीं कर सकती पुलिस, कोर्ट का आदेश

ग्राम स्वशासन अभियान के तहत ग्राम सभाओं को सशक्त कर विकास की मुख्यधारा में शामिल करने का जो प्रयास हो रहा है. वह काफी महत्वपूर्ण है. जरूरत है अब इन क्षेत्रों में सरकारी मददरूपी संजीवनी की, ताकि यहां के लोग भी वैश्विक विकास के साथ कदमताल कर सकें.

चाईबासा: नक्सलवाद और सरकारी उपेक्षाओं के कारण पिछड़ेपन का दंश झेल रहे सारंडा के ग्रामीण खुद अपने हालात को सुधारने में जुट गए हैं. कुछ साल पहले तक सारंडा के युवाओं के हाथ में अत्याधुनिक हथियार और बारूद का गोला हुआ करता था, लेकिन अब इन हाथों ने हॉकी स्टिक थामकर भटकाव के रास्ते से मुंह मोड़ने का प्रण लिया है.

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युवाओं में खेलकूद प्रतिभा विलुप्त

पश्चिमी सिंहभूम जिले के सारंडा में लगभग दो दशक तक नक्सलवाद के तांडव से आम जनजीवन बेपटरी हो गई थी. इसके साथ ही युवाओं में खेलकूद प्रतिभा भी विलुप्त हो चुकी थी. पिछले 20 सालों से सारंडा में एक भी खिलाड़ी खेल के क्षेत्र में नहीं आया. ग्रामसभा ने खेल के क्षेत्र से युवाओं को जोड़कर ना सिर्फ उन्हें भटकाव से रोका, बल्कि समाज के प्रति भी उन्हें उत्तरदायी बनाने के लिए जयपाल सिंह मुंडा की जयंती पर हॉकी प्रतियोगिता की शुरुआत कर अनूठा पहल की है.


हॉकी खेल को पुनर्जीवित करने का लिया प्रण
आसरा संस्था के चलाए जा रहे ग्राम स्वशासन अभियान के तहत समठा गांव की ग्रामसभा की इस अनूठी पहल से आसपास के 8 गांव के लगभग 100 युवा खिलाड़ियों ने भाग लिया, जिससे सारंडा में लुप्त होते हॉकी के खेल को पुनर्जीवित करने और आदिवासी सभ्यता संस्कृति को संरक्षित रखने का भी प्रण लिया. सारंडा के इस बदलते माहौल में अब विकास की नई इबारत आसानी से लिखी जा सकती है.

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ग्राम स्वशासन अभियान के तहत ग्राम सभाओं को सशक्त कर विकास की मुख्यधारा में शामिल करने का जो प्रयास हो रहा है. वह काफी महत्वपूर्ण है. जरूरत है अब इन क्षेत्रों में सरकारी मददरूपी संजीवनी की, ताकि यहां के लोग भी वैश्विक विकास के साथ कदमताल कर सकें.

Last Updated : Jan 8, 2021, 12:42 PM IST
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