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गिरिडीह लोकसभा सीट पर आजसू के लड़ने की है ये वजह, ओबीसी पकड़ मजबूत करना है मकसद

बीजेपी के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चलने वाली आजसू ने राज्य की 14 लोकसभा में से गिरिडीह संसदीय सीट बहुत ठोक बजाकर चुना है. आजसू ने पहले प्रदेश की 3 संसदीय सीट रांची हजारीबाग और गिरिडीह पर मंथन किया, यहां तक कि तीनों संसदीय इलाकों से जुड़े कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की अलग-अलग बैठक भी आयोजित की गई. पार्टी ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया कि लोकसभा चुनाव में उसे हर हाल में उतरना है. बाद में बीजेपी आलाकमान से हुई बातचीत के बाद गिरिडीह सीट पर आकर समझौता हुआ.

देखिए स्पेशल स्टोरी
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Published : Apr 12, 2019, 1:51 PM IST

रांची: प्रदेश में बीजेपी के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चलने वाली आजसू ने राज्य की 14 लोकसभा में से गिरिडीह संसदीय सीट बहुत ठोक बजाकर चुना है. एनडीए फोल्डर के प्रमुख घटक दल के रूप में आजसू को यह सीट दी गई है, जबकि बीजेपी ने अन्य 13 संसदीय सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं.

देखिए स्पेशल स्टोरी


दरअसल, आजसू ने पहले प्रदेश की 3 संसदीय सीट रांची हजारीबाग और गिरिडीह पर मंथन किया, यहां तक कि तीनों संसदीय इलाकों से जुड़े कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की अलग-अलग बैठक भी आयोजित की गई. पार्टी ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया कि लोकसभा चुनाव में उसे हर हाल में उतरना है. बाद में बीजेपी आलाकमान से हुई बातचीत के बाद गिरिडीह सीट पर आकर समझौता हुआ.


आजसू पार्टी की पसंद गिरिडीह क्यों?
दरअसल, प्रदेश के 3 जिले गिरिडीह धनबाद और बोकारो में फैले छह विधानसभा इलाकों को समाहित करने वाली गिरिडीह सीट पर सामाजिक समीकरण पर आजसू अपनी पकड़ बनाए रखना चाहती है. इसके लिए सबसे पहले यह समझना होगा कि वहा का सामाजिक समीकरण क्या है?


गिरिडीह में 15.42 लाख ओबीसी
सामाजिक, आर्थिक जाति जनगणना 2011 की रिपोर्ट पर नजर डालें तो झारखंड में अन्य पिछड़ा वर्ग या ओबीसी के करीब 1.33 करोड़ लोग रहते हैं, जबकि राज्य की आबादी 3.29 करोड़ की है. गिरिडीह राज्य का वह जिला है जहां ओबीसी की सबसे ज्यादा आबादी है. यहां 15.42 लाख ओबीसी रहते हैं जो जिले की कुल आबादी की 60% से अधिक है.


पार्टी का दावा जन समर्थन मिलेगा

वहीं, जनसंख्या के लिहाज से देखें तो धनबाद में यह आबादी 11.54 लाख है, जबकि बोकारो में इनकी आबादी 7.66 लाख है. वहीं, विधानसभा वार अगर नजर डालें तो गिरिडीह संसदीय इलाके में पड़ने वाले विधानसभा क्षेत्र गिरिडीह, डुमरी, गोमिया, बेरमो, टुंडी और बाघमारा हैं. जिनमें से दो पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक हैं, जबकि 3 पर बीजेपी और एक पर आजसू पार्टी का एमएलए है. ऐसे में पार्टी का दावा है कि उसे इस इलाके में भरपूर जन समर्थन मिलेगा.


राज्य से बाहर आजसू रखेगी कदम
आजसू पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता जयंत घोष की माने तो अभी तक संसद में झारखंड के विषयों को लेकर मजबूत आवाज नहीं उठ रही थी. यही वजह है कि राज्य के बाद अब आजसू देश की राजनीति में सक्रिय हो रही है. वहीं पार्टी के दूसरे केंद्रीय प्रवक्ता देवशरण भगत के अनुसार धनबाद जिले के टुंडी विधानसभा में झारखंड के संघर्ष की शुरुआत हुई थी और पूरा संसदीय इलाका संघर्ष की वजह से जाना जाता है. उन्होंने कहा कि अब लोग वहां बदलाव चाहते हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी के नेता समेत कार्यकर्ता पूरी तरह से उस इलाके में कैंपेनिंग पर फोकस कर रहे हैं.


विधायक ढुल्लू महतो का भी समर्थन
पार्टी के अंदरखाने मिली जानकारी के अनुसार, गिरिडीह संसदीय सीट के मौजूदा एमपी के खिलाफ बगावत कर रहे बाघमारा के विधायक ढुल्लू महतो ने आजसू को अपना समर्थन देने का आश्वासन दिया है. बता दें कि पिछली बार आजसू पार्टी ने गिरिडीह से यूसी मेहता को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन और बीजेपी से फ्रेंडली फाइट हुई थी, जिसमें आजसू उम्मीदवार समेत 15 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गयी थी.

रांची: प्रदेश में बीजेपी के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चलने वाली आजसू ने राज्य की 14 लोकसभा में से गिरिडीह संसदीय सीट बहुत ठोक बजाकर चुना है. एनडीए फोल्डर के प्रमुख घटक दल के रूप में आजसू को यह सीट दी गई है, जबकि बीजेपी ने अन्य 13 संसदीय सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं.

देखिए स्पेशल स्टोरी


दरअसल, आजसू ने पहले प्रदेश की 3 संसदीय सीट रांची हजारीबाग और गिरिडीह पर मंथन किया, यहां तक कि तीनों संसदीय इलाकों से जुड़े कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की अलग-अलग बैठक भी आयोजित की गई. पार्टी ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया कि लोकसभा चुनाव में उसे हर हाल में उतरना है. बाद में बीजेपी आलाकमान से हुई बातचीत के बाद गिरिडीह सीट पर आकर समझौता हुआ.


आजसू पार्टी की पसंद गिरिडीह क्यों?
दरअसल, प्रदेश के 3 जिले गिरिडीह धनबाद और बोकारो में फैले छह विधानसभा इलाकों को समाहित करने वाली गिरिडीह सीट पर सामाजिक समीकरण पर आजसू अपनी पकड़ बनाए रखना चाहती है. इसके लिए सबसे पहले यह समझना होगा कि वहा का सामाजिक समीकरण क्या है?


गिरिडीह में 15.42 लाख ओबीसी
सामाजिक, आर्थिक जाति जनगणना 2011 की रिपोर्ट पर नजर डालें तो झारखंड में अन्य पिछड़ा वर्ग या ओबीसी के करीब 1.33 करोड़ लोग रहते हैं, जबकि राज्य की आबादी 3.29 करोड़ की है. गिरिडीह राज्य का वह जिला है जहां ओबीसी की सबसे ज्यादा आबादी है. यहां 15.42 लाख ओबीसी रहते हैं जो जिले की कुल आबादी की 60% से अधिक है.


पार्टी का दावा जन समर्थन मिलेगा

वहीं, जनसंख्या के लिहाज से देखें तो धनबाद में यह आबादी 11.54 लाख है, जबकि बोकारो में इनकी आबादी 7.66 लाख है. वहीं, विधानसभा वार अगर नजर डालें तो गिरिडीह संसदीय इलाके में पड़ने वाले विधानसभा क्षेत्र गिरिडीह, डुमरी, गोमिया, बेरमो, टुंडी और बाघमारा हैं. जिनमें से दो पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक हैं, जबकि 3 पर बीजेपी और एक पर आजसू पार्टी का एमएलए है. ऐसे में पार्टी का दावा है कि उसे इस इलाके में भरपूर जन समर्थन मिलेगा.


राज्य से बाहर आजसू रखेगी कदम
आजसू पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता जयंत घोष की माने तो अभी तक संसद में झारखंड के विषयों को लेकर मजबूत आवाज नहीं उठ रही थी. यही वजह है कि राज्य के बाद अब आजसू देश की राजनीति में सक्रिय हो रही है. वहीं पार्टी के दूसरे केंद्रीय प्रवक्ता देवशरण भगत के अनुसार धनबाद जिले के टुंडी विधानसभा में झारखंड के संघर्ष की शुरुआत हुई थी और पूरा संसदीय इलाका संघर्ष की वजह से जाना जाता है. उन्होंने कहा कि अब लोग वहां बदलाव चाहते हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी के नेता समेत कार्यकर्ता पूरी तरह से उस इलाके में कैंपेनिंग पर फोकस कर रहे हैं.


विधायक ढुल्लू महतो का भी समर्थन
पार्टी के अंदरखाने मिली जानकारी के अनुसार, गिरिडीह संसदीय सीट के मौजूदा एमपी के खिलाफ बगावत कर रहे बाघमारा के विधायक ढुल्लू महतो ने आजसू को अपना समर्थन देने का आश्वासन दिया है. बता दें कि पिछली बार आजसू पार्टी ने गिरिडीह से यूसी मेहता को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन और बीजेपी से फ्रेंडली फाइट हुई थी, जिसमें आजसू उम्मीदवार समेत 15 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गयी थी.

Intro:
रांची। प्रदेश में बीजेपी के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चलने वाली आजसू ने राज्य की 14 लोकसभा में से गिरिडीह संसदीय सीट बहुत ठोक बजाकर ली है। एनडीए फोल्डर के प्रमुख घटक दल के रूप में आजसू को यह सीट दी गई है। जबकि बीजेपी अन्य 13 संसदीय सीट पर अपने प्रत्याशी को उतारा है। दरअसल आजसू ने पहले प्रदेश की 3 संसदीय सीट रांची हजारीबाग और गिरिडीह पर मंथन किया। यहां तक कि तीनों संसदीय इलाकों से जुड़े कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की अलग-अलग बैठक भी आयोजित की गई। पार्टी ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया कि लोकसभा चुनाव में उसे हर हाल में उतरना है। बाद में बीजेपी आलाकमान से हुई बातचीत के बाद गिरिडीह सीट पर आकर समझौता हुआ।




Body:गिरिडीह सीट ही क्यों है आजसू पार्टी की पसंद
दरअसल प्रदेश के 3 जिलों गिरिडीह धनबाद और बोकारो में फैले छह विधानसभा इलाकों को समाहित करने वाली गिरिडीह सीट पर सामाजिक समीकरण कथित तौर पर आजसू अपनी पकड़ बनाए रखना चाहती है। इसके लिए सबसे पहले यह समझना होगा कि आखिर क्या है वहां का सामाजिक कारण समीकरण।
सामाजिक, आर्थिक जाति जनगणना, 2011 की रिपोर्ट पर नजर डालें तो झारखंड में अन्य पिछड़ा वर्ग या ओबीसी के करीब 1.33 करोड़ लोग रहते हैं। जबकि राज्य की आबादी 3.29 करोड़ की है। मौजूद आंखों के अनुसार गिरिडीह है राज्य का वह जिला है जहां ओबीसी की सबसे ज्यादा आबादी है। यहाँ 15.4 2 लाख ओबीसी रहते हैं जो जिले की कुल आबादी का 60% से अधिक है। वहीं जनसंख्या के लिहाज से देखें तो धनबाद में यह आबादी 11. 54 लाख है। जबकि बोकारो में इनकी आबादी 7.66 लाख है। वहीं विधानसभा वार अगर नजर डालें तो गिरिडीह संसदीय इलाके में पड़ने वाले विधानसभा क्षेत्र गिरिडीह, डुमरी, गोमिया, बेरमो, टुंडी और बाघमारा हैं। जिनमें से दो पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक हैं जबकि 3 पर बीजेपी और एक पर आजसू पार्टी का एमएलए है। ऐसे में पार्टी का दावा है कि उसे इस इलाके में भरपूर जन समर्थन मिलेगा।
आजसू पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता जयंत घोष की माने तो अभी तक झारखण्ड के विषयों को लेकर संसद में मजबूत आवाज नहीं उठ रही थी यही वजह है जी राज्य के बाद अब आजसू देश की राजनीति में सक्रिय हो रही है। वहीं पार्टी के दूसरे केन्द्रीय प्रवक्ता देवशरण भगत के अनुसार धनबाद जिले के टुंडी विधानसभा में झारखंड के संघर्ष की शुरुआत की थी और पूरा संसदीय इलाका संघर्ष की वजह से जाना जाता है। उन्होंने कहा कि अब लोग वहां बदलाव चाहते हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी के नेता समेत कार्यकर्ता पूरी तरह से उस इलाके में कैंपेनिंग पर फोकस कर रहे हैं।




Conclusion:पार्टी के अंदरखाने मिली जानकारी के अनुसार गिरिडीह संसदीय सीट के मौजूदा एमपी के खिलाफ बगावत कर रहे बाघमारा के विधायक ढुल्लू महतो ने आजसू को अपना समर्थन देने का आश्वासन दिया है।
बता दें कि पिछली बार आजसू पार्टी ने गिरिडीह से यूसी मेहता को उम्मीदवार बनाया था लेकिन और बीजेपी से फ्रेंडली फाइट हुई थी। जिसमे आजसू उम्मीदवार समेत 15 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गयी थी।
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