नई दिल्ली : आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को राज्यसभा में कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी का उद्देश्य और इसमें निहित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना अगले 18 महीनों में पूरा हो जाएगा. पुरी ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि राज्यों की आकलन मांगों के आधार पर, केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी के तहत 1.15 करोड़ घरों को मंजूरी दी है.
उन्होंने कहा कि यह योजना मार्च 2022 में समाप्त हो रही है और चल रही विभिन्न परियोजनाएं अगले 18 महीनों में पूरी हो जाएंगी. पुरी ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी जून 2015 से चली आ रही है. तब एक करोड़ घरों के डिमांड की परिकल्पना की गई थी. लेकिन आज की तारीख में यह आकलन पीछे छूट चुका है. वर्तमान में यह संख्या 1.15 करोड़ है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पीएम का सपना था कि मार्च 2022 तक हर भारतीयों के सिर पर पक्की छत हो. उसमें एक किचन और टॉयलेट की भी व्यवस्था हो. साथ ही इस घर का मालिकाना हक महिला के नाम पर हो. उन्होंने बताया कि योजना की शुरुआत करने से पहले केंद्र ने सभी राज्यों से आवास की कमी का एक मूल्यांकन करने को कहा था. इसी आधार पर हमारी सरकार ने एक करोड़ घर बनाए जाने की योजना बनाई थी.
आपको बता दें कि 2015 में योजना को तीन चरणों में बांटा गया था. पहला चरण जून 2015 में शुरू हुआ था. यह मार्च 2017 में खत्म हो गया. इसी तरह से दूसरा चरण अप्रैल 2017 से शुरू हुआ और मार्च 2019 में खत्म हो गया. तीसरा चरण अप्रैल 2019 में शुरू किया गया. यह मार्च 2022 तक खत्म हो जाएगा. हालांकि, मीडिया में इस बात की भी चर्चा हो रही है कि इसे फिर से बढ़ाया जा सकता है.
खाली फ्लैट केंद्र को मुहैया कराए दिल्ली सरकार
केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को ही दिल्ली सरकार के हवाले से संसद में कहा कि फरवरी में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के घोघा आवास परिसर का एक हिस्सा बड़े पैमाने पर चोरी किए जाने के कारण ढह गया था. पुरी ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार से मिली सूचना के अनुसार दिल्ली में रहने वाले शहरी गरीबों को राजीव रतन आवास योजना (आरआरएवाई) में आवास उपलब्ध कराने की परिकल्पना की गई थी.
उन्होंने कहा कि यह स्वतंत्र योजना नहीं थी और आवास का निर्माण जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत किया गया था. उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत निर्मित घोघा आवास परिसर में 32 आवासों का एक ब्लॉक ढह गया था. इसका निर्माण आर्थिक रूप से कमजोर लोगों (ईडब्ल्यूएस) लोगों के लिए किया गया था. पुरी राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों का जवाब दे रहे थे. उन्होंने कहा कि इन आवासों का निर्माण 2007 से 2010 के बीच तत्कलीन दिल्ली सरकार द्वारा किया गया था, लेकिन उनका अब तक आवंटन नहीं किया गया था.
उन्होंने कहा कि 11 फरवरी, 2022 को हुयी इस घटना के बारे में दिल्ली सरकार ने बताया कि कोविड महामारी के दौरान असामाजिक तत्वों द्वारा बड़े पैमाने पर चोरी किए जाने के कारण मकानों को नुकसान हुआ. पुरी ने अब तक आवासों को खाली रखने और उनका आवंटन नहीं किए जाने को लेकर सवाल उठाया और कहा कि अब भी 35,000 फ्लैट खाली हैं और केंद्र ने राज्य सरकार से कहा कि वे खाली मकान केंद्र सरकार को मुहैया कराए. उन्होंने कहा कि ये मकान उन लोगों को अस्थायी तौर पर मुहैया कराए जा सकते हैं जो रोजगार की तलाश में बाहर से यहां आते हैं.
पुरी ने चोरी को आपराधिक कृत्य बताया और कहा कि परिसर के मकानों के रखरखाव के साथ-साथ उचित गुणवत्ता वाले आवास का निर्माण संबंधित राज्य सरकारों का उत्तरदायित्व है. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने सूचित किया है कि तृतीय पक्ष गुणवत्ता निगरानी एजेंसियों द्वारा परियोजनओं के निर्माण कार्य की निगरानी की गयी थी.
ये भी पढ़ें : अगले साल मार्च तक स्मार्ट सिटी के सभी प्रोजेक्ट पूरे हो जाएंगे : मंत्रालय