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नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : असम के इस जिले में प्लास्टिक कचरे से बनाई जा रही हैं सड़कें

सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के लिए देश में अभियान चल रहा है. ईटीवी भारत भी इस मुहिम का एक अहम हिस्सा बना है. इसकी थीम नो प्लास्टिक लाइफ फैंटास्टिक रखी गई है. देखें इस मुहिम की 52वीं कड़ी पर विशेष रिपोर्ट...

campaign against plastic
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Published : Feb 1, 2020, 7:05 AM IST

Updated : Feb 28, 2020, 5:56 PM IST

गुवाहटी : प्लास्टिक से निपटने के लिए असम ने अनूठी तरकीब अपनाई है. असम में अगल-अलग प्लास्टिक के टुकड़ों को मिलाकर सड़क निर्माण का कार्य किया जा रहा है. इस तरकीब को गोलपारा जिले में बड़ी सराहना भी मिल रही है. जिले में बढ़ते कचरे की समस्या को देखते हुए इस पहल की शुरुआत की गई है.

लोक निर्माण विभाग के सब डिवीजन ऑफिसर बंजीत अधिकारी ने बताया कि नीति आयोग ने देश के 115 जिलों को पिछड़ा घोषित किया है और इनमें गोलपारा भी एक है. अप्रैल 2018 में गोलपारा जिले में कनेक्टिविटी 49% थी और नीति आयोग का बुनियादी मॉड्यूल ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी में सुधार लाना है.

उन्होंने आगे बताया कि यही वजह है कि आयोग इस जिले के विकास पर पैनी निगाह बनाए हुए है. गोलपारा एक उभरता हुआ जिला है और इसलिए हम यहां के विकास में कोई बाधा नहीं आने देना चाहते.

देखें ईटीवी भारत की खास पेशकश.

असम के गोलपारा जिले में एक ओर प्लास्टिक कचरा बढ़ रहा है, तो वहीं यहां सड़क निर्माण सामग्री की भी कमी है. इन दोनों से निपटने के लिए प्रशासन ने प्लास्टिक कचरे से सड़क बनाने की तरकीब निकाली है.

यह कार्य गोलपारा के पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट द्वारा किया जा रहा है. इसके तहत प्लास्टिक कचरे को मिलाकर 75 किलो मीटर लंबी सड़क बनाई जाएगी.

आंकड़ों की बात करें तो 75 में से 45 किलोमीटर सड़क का निर्माण 37,260 किलो प्लास्टिक से किया जा चुका है, जिसे सूरत से लाया गया था. वहीं, बाकी 30 किलो मीटर सड़क का निर्माण गोलपारा के ही प्लास्टिक कचरे से किया जाएगा.

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Last Updated : Feb 28, 2020, 5:56 PM IST
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