सोलन: हिमाचल में बनी आठ उद्योगों में बनी दवाइयों के सैंपल फेल हुए हैं. देश भर में बनी 33 दवाओं के सैंपल मानकों पर खरा नहीं उतरे हैं. केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने उद्योगों को नोटिस जारी कर दिया है और मार्केट से सारे बैच वापस मंगवाने के आदेश दिए हैं.
बता दें कि पिछले पांच महीनों में प्रदेश के उद्योगों में बनी 60 दवाओं के सैंपल फेल हो चुके हैं. जानकारी के अनुसार जो दवाएं गुणवत्ता के पैमाने पर सही साबित नहीं हुई है. उन्हें संक्रमण, दिल के दौरे की रोकथाम, उच्च रक्तचाप के उपचार, जीवाणु संक्रमण, अचानक लगे दस्त और सूजन आंत्र रोग, फफूंदीय संक्रमण, आंत्र ज्वर हैजा, नेत्र संक्रमण, बाहरी कान के जीवाणु संक्रमण, प्लेग और यूटीआई के उपचार के लिए दिया जाता है.
इन दवाओं में से पांच दवाओं का निर्माण बीबीएन के दवा उद्योगों में और 3 सिरमौर के उद्योगों में तैयार हुई है. बता दें कि सीडीएससीओ ने मई माह में देश के अलग-अलग राज्यों से 821 दवाओं के सैंपल जांच के लिए लिए थे, जिनमें से 33 दवाएं सब्सटेंडर्ड पाई गई जबकि 788 दवाएं गुणवत्ता मानकों पर खरी उतरी है.
राज्य दवा नियंत्रक ने मई माह के ड्रग अलर्ट में शामिल हिमाचल के आठ दवा उद्योगों को नोटिस जारी करते हुए संबंधित दवाओं का पूरा बैच बाजार से तत्काल उठाने के निर्देश जारी किए हैं. इसके अलावा प्राधिकरण के एनएसक्यू सेल को इन उद्योगों की विस्तृत जांच कर रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है.
अलर्ट में हिमाचल के कालाअंब, कालू झंडा, पांवटा साहिब, नालागढ़, झाड़माजरी व मलपुर बद्दी स्थित 8 दवा उद्योगों में निर्मित दवाओं के अलावा महाराष्ट्र, कर्नाटक, असम, गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड के 25 उद्योगों में निर्मित दवाओं के सैंपल फेल होने का खुलासा हुआ है.
बता दें कि देशभर में परीक्षण के दौरान गुणवत्ता मानकों पर खरा न उतरने वाले दवा उत्पादकों के इस्तेमाल से आम जनता को रोकने के मकसद से केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन द्वारा हर महीने ड्रग अलर्ट जारी किया जाता है.
ड्रग कंट्रोलर नवनीत मरवाह ने बताया कि प्रदेश में निर्मित जिन दवाओं के सैंपल सब्सटेंडर्ड पाए गए हैं, उन कंपनियों को नोटिस जारी कर बाजार से पूरा बैच वापस उठाने के आदेश दिए गए हैं.
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