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सिरमौर के दिव्यांग बिट्टू का सहारा बने धर्मशाला के समाजसेवक, मां-बाप की भी बीमारी से मौत

सिरमौर के थुम्बाड़ी गांव का एक 24 वर्षीय युवक बिट्टू पोलियोग्रस्त है. बिट्टू के पिता तोता राम का टीबी की बिमारी से कुछ साल पहले उनका निधन हो गया. मां सुन्नी देवी भी कैंसर से लंबी लड़ाई लड़ने के जिंदगी की जंग हार गई. अब बिट्टू की दोनों शादी-शुदा बहनें ही बारी-बारी अपने घर ले जाकर उसकी देखभाल कर रही है, जिनकी आर्थिकी हालत पहले ही ठीक नहीं है.

Story of a polio-disabled child Bittu of sirmaur
सिरमौर के दिव्यांग बिट्टू
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Published : Oct 21, 2020, 2:07 PM IST

रोनहाट/सिरमौर: सिरमौर के थुम्बाड़ी गांव का एक 24 वर्षीय युवक बिट्टू पोलियो ग्रस्त हैं. बिट्टू चलने, फिरने और बोलने में असमर्थ हैं. बिट्टू के पिता तोता राम पराशर अपने गांव थुम्बाड़ी में ही मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण करते थे, लेकिन टीबी की बिमारी से कुछ साल पहले उनका निधन हो गया.

दोनों बहनें बारी-बारी कर रहीं भाई की देखभाल

इसके बाद बिट्टू की मां सुन्नी देवी पर परिवार के पालन पोषण का जिम्मा आ गया, लेकिन सुन्नी देवी भी कैंसर से लंबी लड़ाई लड़ने के जिंदगी की जंग हार गईं. बिट्टू की दोनों बड़ी बहनों की शादी हो गई है. बिट्टू का छोटा भाई अभी स्कूल में पढ़ता है. ऐसे में बिट्टू की देखभाल करने वाला परिवार में कोई नहीं है. अब बिट्टू की दोनों शादी-शुदा बहनें ही बारी-बारी अपने घर ले जाकर उसकी देखभाल कर रही हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

ससुराल की आर्थिक हालत भी खराब

बिट्टू की बड़ी बहन संतोष शर्मा ने बताया कि उसके ससुराल और मायके की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. मां-बाप की मौत हो चुकी है और उसका सबसे छोटा भाई अभी स्कूल में पढ़ता है. वह अभी इस हालत में नहीं है कि वो बिट्टू की देखभाल कर सके. एक हादसे में संतोष की सास की टाग टूट गई है, जिससे उन्हें चलने के लिए बैसाखियों का सहारा लेना पड़ता है.

भाई को खुद से अलग नहीं रखना चाहती

वहीं, बिट्टू चलने, फिरने, स्वयं भोजन करने और शौच इत्यादि जाने में भी असमर्थ हैं. घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब होने की वजह से परिवार के सभी सदस्यों को खेतों में काम करने और दिहाड़ी मजदूरी के लिए घर से बाहर जाना पड़ता है. ऐसे में उनके लिए बिट्टू का सही से ख्याल रख पाना मुश्किल हो गया है, लेकिन इन सब परिस्थितियों के बावजूद भी वो अपने भाई को खुद से अलग नहीं करना चाहती है.

इलाज के लिए नहीं है पैसे

उन्होंने बताया कि बिट्टू का इलाज हो सकता है, लेकिन इसके लिए उनके परिवार के पास पैसे नहीं है. वहीं, इससे पहले बिट्टू का एक अन्य भाई भी पोलियों से ग्रस्त था और बिट्टू की तरह दिव्यांग था, लेकिन कुछ साल पहले उशकी मौत हो गई.

सामान्य जिंदगी जी सकता है बिट्टू

धर्मशाला निवासी समाजसेवी संजय शर्मा उर्फ बड़का भाऊ ने बताया कि उन्होंने बिट्टू को अपना छोटा भाई माना है. अब बिट्टू के उपचार और देखरेख का सारा जिम्मा उनका है. उन्होंने सरकारी सिस्टम पर तंज कसते हुए कहा कि अगर बिट्टू को सही समय पर इलाज उपलब्ध करवाया गया होता तो आज बिट्टू भी एक सामान्य जिंदगी जी रहा होता.

संजय शर्मा ने ली बिट्टू की जिम्मेदारी

समाजसेवी संजय शर्मा ने कहा कि सरकार अपनी योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने की बात कहती है. उन्होंने कहा कि बिट्टू की हालत को देखकर सरकार बताये कि वह कौन-सा व्यक्ति है जिस तक वह योजनाएं पहुंचाने के बड़े बड़े दावे करती हैं. उन्होंने कहा कि वह बिट्टू की देखरेख खुद करेंगे और उसे उपचार के लिए किसी अच्छे संस्थान में ले जाएंगे.

रोनहाट/सिरमौर: सिरमौर के थुम्बाड़ी गांव का एक 24 वर्षीय युवक बिट्टू पोलियो ग्रस्त हैं. बिट्टू चलने, फिरने और बोलने में असमर्थ हैं. बिट्टू के पिता तोता राम पराशर अपने गांव थुम्बाड़ी में ही मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण करते थे, लेकिन टीबी की बिमारी से कुछ साल पहले उनका निधन हो गया.

दोनों बहनें बारी-बारी कर रहीं भाई की देखभाल

इसके बाद बिट्टू की मां सुन्नी देवी पर परिवार के पालन पोषण का जिम्मा आ गया, लेकिन सुन्नी देवी भी कैंसर से लंबी लड़ाई लड़ने के जिंदगी की जंग हार गईं. बिट्टू की दोनों बड़ी बहनों की शादी हो गई है. बिट्टू का छोटा भाई अभी स्कूल में पढ़ता है. ऐसे में बिट्टू की देखभाल करने वाला परिवार में कोई नहीं है. अब बिट्टू की दोनों शादी-शुदा बहनें ही बारी-बारी अपने घर ले जाकर उसकी देखभाल कर रही हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

ससुराल की आर्थिक हालत भी खराब

बिट्टू की बड़ी बहन संतोष शर्मा ने बताया कि उसके ससुराल और मायके की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. मां-बाप की मौत हो चुकी है और उसका सबसे छोटा भाई अभी स्कूल में पढ़ता है. वह अभी इस हालत में नहीं है कि वो बिट्टू की देखभाल कर सके. एक हादसे में संतोष की सास की टाग टूट गई है, जिससे उन्हें चलने के लिए बैसाखियों का सहारा लेना पड़ता है.

भाई को खुद से अलग नहीं रखना चाहती

वहीं, बिट्टू चलने, फिरने, स्वयं भोजन करने और शौच इत्यादि जाने में भी असमर्थ हैं. घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब होने की वजह से परिवार के सभी सदस्यों को खेतों में काम करने और दिहाड़ी मजदूरी के लिए घर से बाहर जाना पड़ता है. ऐसे में उनके लिए बिट्टू का सही से ख्याल रख पाना मुश्किल हो गया है, लेकिन इन सब परिस्थितियों के बावजूद भी वो अपने भाई को खुद से अलग नहीं करना चाहती है.

इलाज के लिए नहीं है पैसे

उन्होंने बताया कि बिट्टू का इलाज हो सकता है, लेकिन इसके लिए उनके परिवार के पास पैसे नहीं है. वहीं, इससे पहले बिट्टू का एक अन्य भाई भी पोलियों से ग्रस्त था और बिट्टू की तरह दिव्यांग था, लेकिन कुछ साल पहले उशकी मौत हो गई.

सामान्य जिंदगी जी सकता है बिट्टू

धर्मशाला निवासी समाजसेवी संजय शर्मा उर्फ बड़का भाऊ ने बताया कि उन्होंने बिट्टू को अपना छोटा भाई माना है. अब बिट्टू के उपचार और देखरेख का सारा जिम्मा उनका है. उन्होंने सरकारी सिस्टम पर तंज कसते हुए कहा कि अगर बिट्टू को सही समय पर इलाज उपलब्ध करवाया गया होता तो आज बिट्टू भी एक सामान्य जिंदगी जी रहा होता.

संजय शर्मा ने ली बिट्टू की जिम्मेदारी

समाजसेवी संजय शर्मा ने कहा कि सरकार अपनी योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने की बात कहती है. उन्होंने कहा कि बिट्टू की हालत को देखकर सरकार बताये कि वह कौन-सा व्यक्ति है जिस तक वह योजनाएं पहुंचाने के बड़े बड़े दावे करती हैं. उन्होंने कहा कि वह बिट्टू की देखरेख खुद करेंगे और उसे उपचार के लिए किसी अच्छे संस्थान में ले जाएंगे.

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