नाहन: हिमाचल प्रदेश में एक डेयरी प्रदर्शन इकाई इसके प्रबंधन में खास है. यहां न केवल दुधारू पशुओं का वैज्ञानिक तरीके से बेहतरीन तरीके से प्रबंधन किया गया है, बल्कि यहां पशु पालन की दिशा में समय-समय पर पशु पालकों व किसानों को भी इस व्यवसाय में अपनी आमदनी बढ़ाने के गुर सिखाए जाते हैं. यही नहीं डेयरी प्रदर्शन इकाई की एक खास बात यह भी है कि यहां कोई सीता-गीता है, तो कोई राजा भी है. (Dairy Display Unit in Nahan)
यहां स्थापित है डेयरी प्रदर्शन इकाई- डेयरी प्रदर्शन इकाई सिरमौर जिले के नाहन विधानसभा क्षेत्र के धौलाकुआं में है. यहां कृषि विज्ञान केंद्र में कृषि वैज्ञानिकों ने अलग से एक प्रदर्शनी क्षेत्र के रूप में यह डेयरी प्रदर्शन इकाई विकसित की हुई है. कृषि में पशुओं का बड़ा महत्व माना जाता है और दुधारू पशुओं से किसान अपनी आर्थिकी को भी सुदृढ़ बना सकते हैं. इसके लिए आवश्यक है कि वैज्ञानिक तरीके से उनका गौशालाओं में आहार, आवास इत्यादि का उचित प्रबंधन किया जाए. इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए यह डेयरी प्रदर्शन इकाई काम भी कर रही है. (Scientifically Dairy Display Unit Established in Nahan)
दुधारू पशुओं का वैज्ञानिक तरीके से प्रबंध- यहां भैंसों की उन्नत किस्म मुर्रा, गायों में सिंधी, साहीवाल इत्यादि रखी गई है, जिनका यहां पर आवास, चारा, दवाएं, टीककरण इत्यादि सभी का वैज्ञानिक तरीके से प्रबंध किया गया है. किसानों को किस तरह से दुधारू पशु व अन्य पशुओं का प्रबंध करना है, उसके लिए व्यवहारिक प्रणाली से उन्हें सिखाया जाता है. पशुशाला या फार्म को किस तरह बनाना है, जैसे पशु के लिए उचित आवास, उसके ठहरने की व्यवस्था, संतुलित चारा, पीने का पानी, स्वच्छ्ता किस प्रकार से रखें आदि के गुर सिखाए जाते है.
क्या कहती हैं एसएमएस डॉ. हर्षिता सूद?- कृषि विज्ञान केंद्र धौलाकुआं में पशुपालन विषय से जुड़ी विषयवाद विशेषज्ञ (एसएमएस) डॉ. हर्षिता सूद ने बताया कि इस प्रदर्शनी इकाई को वैज्ञानिक दृष्टि से बनाया गया है, ताकि किसानों को पशु प्रबंधन के बारे में जागरूक किया जा सके और उनकी आय को भी बढ़ाया जा सके. इस फार्म में भैंसों व गायों को रखा गया है और उनके रखरखाव सहित भोजन, चारा, टीकाकरण इत्यादि का समुचित प्रबंधन किया गया है. (Animal Husbandry Krishi Vigyan Kendra Dhaulakuan)
उन्होंने बताया कि यह प्रदर्शनी इकाई विशेष तौर पर किसानों के लिए बनाई गई है और यहां पर पानी प्रबंध, चारा प्रबंध, आवास इत्यादि सभी चीजों का प्रबंध वैज्ञानिक तरीके किया गया है. गोशाला एवं पशु के लिए हवा, धुप सहित सर्दियों में उनके रखरखाव को लेकर सभी को प्रदर्शित किया गया है, ताकि किसान इसी तर्ज पर अपनी गौ शालाओं का निर्माण कर सकें, ताकि वह इससे अच्छी आय कमा सकें.
पशुओं को अपने से जोड़ने के लिए रखे गए हैं उनके अनेक नाम- डॉ. हर्षिता सूद ने बताया कि यहां पशुओं को अपने से जोड़ने के लिए उनको नामों से पुकारा जाता है. यहां पर साहीवाल नस्ल की गाय का नाम लता, एक ही उम्र व एक जैसी दिखने वाली रेड सिंधी नस्ल की दो गायों का नाम सीता और गीता रखा हुआ है. आगे जो इनके बच्चे हैं, उनमें किसी का नाम पारो, किसी का सुंदरी व फार्म में सबसे छोटी का नाम गौरी रखा गया है. इसी तरह यहां मौजूद एक भैंसे का नाम राजा है. यह पशुओं के साथ एक रिश्ता बनाने का भी तरीका है. किसानों को भी इस दिशा में काम करना चाहिए. (Milk Production in Nahan)
लंपी रोग का भी यहां नहीं हुआ खास असर- डॉ. हर्षिता सूद ने बताया कि डेयरी प्रदर्शन इकाई में पशुओं के टीकाकरण का विशेष ख्याल रखा जाता है. स्वच्छ पानी का प्रबंध किया गया है. स्वच्छ्ता को लेकर भी विशेष कदम उठाए गए हैं. उन्होंने बताया कि लंपी रोग का भी यहां कोई खास असर नहीं पड़ा. एक पशु इससे थोड़े समय के लिए ग्रसित हुआ था, वह भी जल्द ही ठीक हो गया. (Lumpy virus in Nahan)
सर्दियों में रखे विशेष ध्यान- उन्होंने बताया कि सर्दियों के मौसम में किसानों को अपने पशु पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है. पशुओं के लिए मेट या तुड़ी आदि भी बिछा सकते हैं, ताकि उन्हें सुबह, शाम व रात्रि की ठंड से बचाया जा सके. गोशालाओं में ठंडी हवाओं से बचाने के लिए तिरपाल के तौर पर पर्दे लगाएं, ताकि रात्रि के समय अंदर गरमाईश बनी रहे. उन्होंने कहा कि ये सब छोटी-छोटी बातें किसानों के लिए कारगर साबित हो सकती हैं.
कुल मिलाकर धौलाकुआं में कृषि विज्ञान केंद्र का किसानों के लिए किया गया यह प्रयास सराहनीय कदम है. ऐसे में यदि किसान पशु प्रबंधन को वैज्ञानिक नजरिये से स्थापित करें, तो वह इसका लाभ उठाकर अपनी आर्थिकी को सुदृढ़ कर सकते हैं.
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