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यहां मरीजों के जख्म पर नहीं लग पाता 'मलहम', बिना इलाज के घर लौट जाते हैं मरीज

कमरऊं पंचायत की डिस्पेंसरी का भवन हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के सभी दावों की पोल खोल रहा है. यह भवन खंडहर बन चुका है. यहां हाईटेक मशीनें हैं, ऑपरेशन थिएटर हैं, लेकिन डॉक्टर के नाम पर कोई नहीं है. ग्रामीणों ने प्रशासन से डिस्पेंसरी में डॉक्टर की कमी को पूरा करने के लिए गुहार लगाई है.

kamraun panchayat dispensary
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Published : Sep 13, 2019, 5:06 PM IST

पांवटा साहिब: जिला सरमौर में कमरऊं पंचायत की डिस्पेंसरी खस्ताहाल में है. सैकड़ों लोग दूरदराज के गांवों से यहां इलाज के लिए पहुंचते हैं, लेकिन डिस्पेंसरी में डॉक्टर हीं नहीं हैं.

कमरऊं पंचायत की डिस्पेंसरी का भवन हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के सभी दावों की पोल खोल रहा है. यह भवन खंडहर बन चुका है. यहां हाईटेक मशीनें हैं, ऑपरेशन थिएटर हैं, लेकिन डॉक्टर के नाम पर कोई नहीं है. ग्रामीणों ने प्रशासन से डिस्पेंसरी में डॉक्टर की कमी को पूरा करने के लिए गुहार लगाई है.

ग्रामीणों का कहना है कि समस्या का समाधान जल्द से जल्द होना चाहिए. प्रशासन को चेतावनी देते हुए ग्रामीणों ने कहा कि डिस्पेंसरी में डॉक्टर की तैनाती न होने पर ग्रामीण अनशन पर बैठेंगे. ग्रामीणों ने कहा कि सबसे ज्यादा माइनिंग का टैक्स प्रदेश सरकार को इसी क्षेत्र से मिलता है, बावजूद इसके सरकार यहां के लोगों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही हैं.

बता दें कि डिस्पेंसरी में डॉक्टर न होने पर लोगों को छोटी सी छोटी बीमारी का इलाज करवाने के लिए 30 से 40 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ रही है. नेताओं और प्रशासन की अनदेखी से डिस्पेंसरी भवन की दशा भी दयनीय हो गई है. यह भवन कभी भी गिरकर बड़े हादसे का कारण बन सकता है.

कमरऊं पंचायत की इस डिस्पेंसरी में सैकड़ों गांव के लोग दूरदराज गांव पहाड़ियों से पैदल चलकर पहुंचते हैं, लेकिन यहां उनके जख्मों पर मलहम नहीं बल्कि कुरेदा जाता है.

वीडियो

ये भी पढ़ें: तीन साल बाद सिरमौर पुलिस के हाथ लगी बड़ी कामयाबी, पीओ सेल ने मोहाली से पकड़ा फरार आरोपी

पांवटा साहिब: जिला सरमौर में कमरऊं पंचायत की डिस्पेंसरी खस्ताहाल में है. सैकड़ों लोग दूरदराज के गांवों से यहां इलाज के लिए पहुंचते हैं, लेकिन डिस्पेंसरी में डॉक्टर हीं नहीं हैं.

कमरऊं पंचायत की डिस्पेंसरी का भवन हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के सभी दावों की पोल खोल रहा है. यह भवन खंडहर बन चुका है. यहां हाईटेक मशीनें हैं, ऑपरेशन थिएटर हैं, लेकिन डॉक्टर के नाम पर कोई नहीं है. ग्रामीणों ने प्रशासन से डिस्पेंसरी में डॉक्टर की कमी को पूरा करने के लिए गुहार लगाई है.

ग्रामीणों का कहना है कि समस्या का समाधान जल्द से जल्द होना चाहिए. प्रशासन को चेतावनी देते हुए ग्रामीणों ने कहा कि डिस्पेंसरी में डॉक्टर की तैनाती न होने पर ग्रामीण अनशन पर बैठेंगे. ग्रामीणों ने कहा कि सबसे ज्यादा माइनिंग का टैक्स प्रदेश सरकार को इसी क्षेत्र से मिलता है, बावजूद इसके सरकार यहां के लोगों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही हैं.

बता दें कि डिस्पेंसरी में डॉक्टर न होने पर लोगों को छोटी सी छोटी बीमारी का इलाज करवाने के लिए 30 से 40 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ रही है. नेताओं और प्रशासन की अनदेखी से डिस्पेंसरी भवन की दशा भी दयनीय हो गई है. यह भवन कभी भी गिरकर बड़े हादसे का कारण बन सकता है.

कमरऊं पंचायत की इस डिस्पेंसरी में सैकड़ों गांव के लोग दूरदराज गांव पहाड़ियों से पैदल चलकर पहुंचते हैं, लेकिन यहां उनके जख्मों पर मलहम नहीं बल्कि कुरेदा जाता है.

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ये भी पढ़ें: तीन साल बाद सिरमौर पुलिस के हाथ लगी बड़ी कामयाबी, पीओ सेल ने मोहाली से पकड़ा फरार आरोपी

Intro:खुद बीमार अस्पताल, कौन करे मरीजों का इलाज
सभी कमरों में टपक रहा है बारिश का पानी, स्वास्थ्य भवन हो चुका है जर्जर लेकिन कोई बीमार हस्पताल को देखने वाला कोई नहींBody:

यह भवन हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के सभी दावों को खोखला साबित कर रहा है वैसे यह भवन खंडहर बन चुका है जाहिर है जिस डिस्पेंसरी ने कई डिस्पेंसरी और हॉस्पिटल को जन्म दिया आज सिस्टम की लापरवाही विवाह की बेरुखी का शिकार हो रहा है यहां हाईटेक मशीनें हैं ऑपरेशन थिएटर है लेकिन बदकिस्मती देखिए डॉक्टर के नाम पर कुछ नहीं वैसे कमरऊँ पंचायत की इस डिस्पेंसरी में सैकड़ों गांव के लोग इलाज के लिए कभी आया करते थे लेकिन यह डिस्पेंसरी लगता है मानो कोमा में हो सरकार का ध्यान नहीं वही सिस्टम इस डिस्पेंसरी के आगे लगता है मानो आईसीयू में हो समस्या उन लोगों के सामने हैं जो दूरदराज गांव पहाड़ियों से पैदल चलकर इस डिस्पेंसरी में पहुंचते हैं लेकिन यहां उनके जख्मों पर मलहम नहीं बल्कि कुरेजा है जाहिर है आर्थिक रूप से सबसे अमीर गांव का पूरे एशिया में दर्जा हासिल करने वाले कमरऊँ गांव की डिस्पेंसरी यह बताने के लिए यकीनन काफी है की विवाह आवाम के स्वास्थ्य के लिए कितना संजीदा है उम्मीद कीजिए ईटीवी भारत पर खबर देखने के बाद सरकार सिस्टम और प्रशासन कोमा से बाहर आएंगे और डिस्पेंसरी की तरफ अपना ध्यान देंगे ।

बीओ ग्रामीणों ने डॉक्टर की कमी को पूरा करने के लिए प्रशासन से गुहार लगाई है कि समस्या का समाधान जल्द से जल्द होना चाहिए अन्यथा प्रशासन का ग्रामीण एकजुट होकर अनशन पर बैठेंगे सबसे ज्यादा माइनिंग का टैक्स प्रदेश सरकार को इसी क्षेत्र से मिलता है बावजूद इसके सरकार यहां के लोगों के साथ सौतेला व्यवहार कर रहे हैं छोटा सा हादसा होने के बाद भी लोगों को अपना उपचार कराने के लिए 30 से 40 किलो किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ रही है नेताओं और प्रशासन की अनदेखी से भवन की दशा देखकर भी डर लग रहा है कभी भी गिरकर बड़े हादसे को न्योता दे सकती है

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