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सिरमौर में स्ट्रॉबेरी की खेती को तरजीह दे रहे किसान, नई फसलों के बारे में वैज्ञानिक कर रहे जागरूक - किसान स्ट्रॉबेरी के उत्पाद में जुटे

सिरमौर के पांवटा साहिब के मैदानी इलाकों में किसान अक्टूबर महीने से ही स्ट्रॉबेरी की खेती करने में जुटे हुए हैं. पांवटा के साथ लगते पुरुवाला, भेड़ेवाला, सूरजपुर, माजरा, मिश्रवाला, भातावाली आदि गांव में स्ट्रॉबेरी का उत्पाद हो रहा है.

strawberries crops in sirmaur
strawberries crops in sirmaur
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Published : Dec 28, 2019, 10:58 AM IST

सिरमौरः जिला सिरमौर के पांवटा साहिब के मैदानी इलाकों में किसान अक्टूबर महीने से ही स्ट्रॉबेरी की खेती करने में जुटे हुए हैं. पांवटा के साथ लगते पुरुवाला, भेड़ेवाला, सूरजपुर, माजरा, मिश्रवाला, भातावाली आदि गांव में स्ट्रॉबेरी का उत्पाद हो रहा है.

गौरतलब है कि जनवरी के अंत तक स्ट्रॉबेरी के पौधों में फुल लगना शुरू हो जाते हैं. इससे पहले किसान खेतों में पैदा खरपतवार को खत्म करने और निदाई कर मिट्टी को हल्का करने में जुटे हैं. बता दें कि इससे पहले पांवटा साहिब क्षेत्र मे स्ट्रॉबेरी का उत्पाद बहुत कम किया जा रहा था, लेकिन कृषि विज्ञानिकों के सहयोग से किसान स्ट्रॉबेरी के उत्पाद में जुटे हुए हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

डॉक्टर सुखदेव सिंह पटियाल का कहना है कि मैदानी इलाकों में स्ट्रॉबेरी से किसानों को काफी मुनाफा मिल रहा है. धौला कुआं से लेकर पांवटा तक स्ट्रॉबेरी जगह-जगह बेची जाती है. उन्होंने बताया कि स्ट्रॉबेरी में कई प्रकार के विटामिन पाए जाते हैं. ज्यादा विटामिन होने के कारण ही लोग इसे ज्यादा खरीदते हैं.

डॉ. सुखदेव सिंह ने बाताया कि पांवटा साहिब में किसान इन दोनों फसलों को लगाकर लाभ कमा रहे हैं. यहां पर लोकल फॉर्म के माध्यम से लोगों को बीज दिए जाते हैं. इसके अलावा फसलों को रोग से बचने के लिए कई प्रकार के दवाइयां भी दी जाती हैं, ताकि फसलें खराब होने से बच सकें.

उन्होंने बताया कि कृषि विज्ञानिकों की टीम खुद भी मौके पर जाकर किसानों को इन सभी बीजों के बारे में जानकारियां देती रहती है, ताकि किसानों को किसी भी प्रकार की समस्या ना हो. इसके साथ यहां के किसान थाइम की खेती भी कर रहे हैं जिससे कि किसानों को अच्छा मुनाफा हो रहा है.

ये भी पढ़ें- सत्ती के आरोपों पर कांग्रेस आगबबूला, कुलदीप राठौर बोले- आरोप सिद्ध करें सत्ती वर्ना करेंगे कानूनी कार्रवाई

सिरमौरः जिला सिरमौर के पांवटा साहिब के मैदानी इलाकों में किसान अक्टूबर महीने से ही स्ट्रॉबेरी की खेती करने में जुटे हुए हैं. पांवटा के साथ लगते पुरुवाला, भेड़ेवाला, सूरजपुर, माजरा, मिश्रवाला, भातावाली आदि गांव में स्ट्रॉबेरी का उत्पाद हो रहा है.

गौरतलब है कि जनवरी के अंत तक स्ट्रॉबेरी के पौधों में फुल लगना शुरू हो जाते हैं. इससे पहले किसान खेतों में पैदा खरपतवार को खत्म करने और निदाई कर मिट्टी को हल्का करने में जुटे हैं. बता दें कि इससे पहले पांवटा साहिब क्षेत्र मे स्ट्रॉबेरी का उत्पाद बहुत कम किया जा रहा था, लेकिन कृषि विज्ञानिकों के सहयोग से किसान स्ट्रॉबेरी के उत्पाद में जुटे हुए हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

डॉक्टर सुखदेव सिंह पटियाल का कहना है कि मैदानी इलाकों में स्ट्रॉबेरी से किसानों को काफी मुनाफा मिल रहा है. धौला कुआं से लेकर पांवटा तक स्ट्रॉबेरी जगह-जगह बेची जाती है. उन्होंने बताया कि स्ट्रॉबेरी में कई प्रकार के विटामिन पाए जाते हैं. ज्यादा विटामिन होने के कारण ही लोग इसे ज्यादा खरीदते हैं.

डॉ. सुखदेव सिंह ने बाताया कि पांवटा साहिब में किसान इन दोनों फसलों को लगाकर लाभ कमा रहे हैं. यहां पर लोकल फॉर्म के माध्यम से लोगों को बीज दिए जाते हैं. इसके अलावा फसलों को रोग से बचने के लिए कई प्रकार के दवाइयां भी दी जाती हैं, ताकि फसलें खराब होने से बच सकें.

उन्होंने बताया कि कृषि विज्ञानिकों की टीम खुद भी मौके पर जाकर किसानों को इन सभी बीजों के बारे में जानकारियां देती रहती है, ताकि किसानों को किसी भी प्रकार की समस्या ना हो. इसके साथ यहां के किसान थाइम की खेती भी कर रहे हैं जिससे कि किसानों को अच्छा मुनाफा हो रहा है.

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Intro:सिरमौर जिले में के मैदानी इलाकों को भी खेती के प्रति कर रहे हैं कृषि वैज्ञानिक जागरूक मैदानी इलाकों में स्ट्रॉबेरी और थाइम हो रहे हैं पॉपुलरBody:
मैदानी इलाकों को मैं लुप्त हो रही खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि वैज्ञानिक किसानों को नई नई फसलों के बारे में जानकारियां दे रहे हैं मैदानी इलाकों मैं जहां-जहां खेती कम कर रहे हैं वहां कृषि विज्ञानिक जाकर थाइम व स्टोवेरी की खेती को बढ़ावा देने के लिए जानकारियां भी दे रहे हैं

सिरमौर जिला के पांवटा साहिब के मैदानी इलाकों की बात की जाए तो इन दिनों अक्टूबर माह से यहां के काफी किसानों ने स्टोवेरी की खेती शुरू कर दी है पांवटा के साथ लगते पुरुवाला भेड़ेवाला सूरजपुर माजरा मिश्रवाला भातावाली आदि गांव में स्ट्रॉबेरी का उत्पाद शुरू कर दिया है बता दें कि जनवरी फरवरी के आसपास स्टोवेरी के पौधों में फुल लगना शुरू हो जाते हैं पर पांवटा साहिब मे स्टोवेरी का उत्पाद बहुत कम हो रहा था कृषि विज्ञानिक डॉक्टर सुखदेव सिंह पटियाल का कहना है कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए मैदानी इलाकों में स्ट्रॉबेरी से किसानों को काफी मुनाफा मिल रहा है धौला कुआं से लेकर पावटा तक स्टोवेरी जगह-जगह बेची जाती है स्टोवेरी में कई प्रकार के विटामिन पाए जाते हैं विटामिन के कारण ही ज्यादा लोग इसको खरीदते हैं इसके साथ यहां के किसान थाइम कि खेती भी करते हैं जिससे कि किसानों को अच्छा मुनाफा हो जाता है पांवटा साहिब की बात की जाए तो यहां पर काफी किसानों ने इन दोनों फसलों को लगाकर काफी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं यहां पर लोकल फॉर्म के माध्यम से लोगों को बीज दिए जाते हैं इसके अलावा फसलों को रोग से बचने के लिए कई प्रकार के दवाइयों भी दी जाती है ताकि फसलें खराब होने से बच सकें यहां के किसान अब इन खेतियो को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे हैं।


Conclusion:डॉ सुखदेव सिंह रियाल ने बताया कि कृषि विज्ञान की टीम खुद भी मौके पर जाकर किसानों को इन सभी बीजों के बारे में जानकारियां देते रहते हैं ताकि किसानों को किसी भी प्रकार की समस्या उत्पन्न ना हो
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