नाहन: हिमाचल के डॉ. अशोक कुमार वर्मा ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में पहाड़ी प्रदेश हिमाचल प्रदेश को समूचे विश्व में गौरवान्वित किया है. दरअसल, इंटरनेशनल एस्ट्रोमिनिकल यूनियन के वर्किंग ग्रुप स्मॉल बॉडी नॉमेनक्लेचर की ओर से दुनिया के वैज्ञानिकों के नाम पर क्षुद्रग्रहों का नाम रखने का ऐलान किया है, जिसमें चार भारतीय वैज्ञानिकों का नाम भी शामिल हैं. वही डॉ. अशोक के नाम पर ब्रह्माण्ड में क्षुद्रग्रह 28964 का नामकरण किया गया है. इस उपलब्धि पर पूरा प्रदेश गौरवान्वित महसूस कर रहा है.
आईएयू खगोलविदों एक अंतरराष्ट्रीय संघ है, जिसका मिशन अनुसंधान, संचार, शिक्षा और विकास सहित खगोल विज्ञान के तमाम पहलुओं को बढ़ावा देना है. संघ की ओर से ही खगोलीय पिंडों का नाम निर्दिष्ट किया जाता है. प्रदेश के लिए गौरव की बात यह है कि भारतीय वैज्ञानिकों की सूची में डॉ. अशोक कुमार वर्मा का नाम भी शामिल किया गया है. डॉ. अशोक के नाम पर ब्रह्माण्ड में क्षुद्रग्रह 28964 का नामकरण किया गया है. उन्हें यह दुर्लभ सम्मान खगोल भौतिकी में उल्लेखनीय योगदान पर मिला है. वर्तमान में वह नासा के स्पेस फ्लाइट सेंटर में तैनात हैं. हालांकि स्पष्ट नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि अंतरिक्ष विज्ञान में यह उपलब्धि हासिल करने वाले डॉ. अशोक पहले हिमाचली हो सकते हैं.
नाहन से की शिक्षा ग्रहण: नाहन में जगत राम वर्मा के घर जन्मे डॉ. अशोक ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ए.वी.एन. स्कूल नाहन से की. क्लास दो तक की शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय से पूरी की. आईआईटी खड़गपुर से एमटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉ. अशोक ने फ्रेंच स्पेस एजेंसी फ्रांस से पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की.
बेटे की उपलब्धि पर परिवार गौरवान्वित: सोलन की मीनाक्षी से परिणय सूत्र में बंधे डॉ. अशोक एक बेटा और एक बेटी के पिता हैं. परिवार कैलिफोर्निया में ही रहता है. पिता जगत राम सहकारी सभाएं व पंजीयक विभाग से निरीक्षक के पद से रिटायर हुए हैं. वहीं, माता शकुंतला वर्मा गृहिणी हैं. वैसे परिवार मूलतः कसौली के समीप से ताल्लुक रखता है, लेकिन एक अरसे से नाहन व पांवटा साहिब में ही सेटल है. डॉ. अशोक के बड़े भाई सुरेंद्र वर्मा ने कहा कि पूरा परिवार गौरवान्वित महसूस कर रहा है.
दो गुजरात व एक मलयाली वैज्ञानिक भी शामिल: यह दुर्लभ उपलब्धि हासिल करने वाले चार भारतीयों में दो वैज्ञानिक गुजरात के रहने वाले हैं. इसके अलावा एक वैज्ञानिक मलयालम हैं. जबकि चौथा नाम हिमाचल के डॉ. अशोक वर्मा का है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि चार भारतीयों का चयन इस बात को भी इंगित करता है कि भारत खगोल विज्ञान में प्रगति कर रहा है.
रिसर्च से जुड़े 23 पेपर हो चुके प्रकाशित: बता दें कि डॉ. अशोक को एस्ट्रो डायन मिक्स रेडियो साइंस प्रोग्रामिंग लैंग्वेज और शेल स्क्रिप्टिंग में महारत हासिल है. उनकी रिसर्च से जुड़े 23 पेपर भी प्रकाशित हो चुके हैं. वह 323 प्रशस्ति पत्र प्राप्त कर चुके हैं. खगोलविद डॉ. अशोक वर्मा की बचपन से ही ब्रह्माण्ड को लेकर खासी जिज्ञासा रहती थी.
मलाला के नाम पर भी रखा गया था क्षुद्रग्रह का नाम: जानकारी के अनुसार 2015 में नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला के नाम पर भी क्षुद्रग्रह का नाम रखा गया था. क्षुद्रग्रह हमारे सौरमंडल का एक हिस्सा है, जो मंगल व बृहस्पति ग्रहों की कक्षाओं के बीच स्थित होते हैं. हजारों-लाखों क्षुद्रग्रह सूर्य की परिक्रमा कर रहे हैं.
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