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नाहन मेडिकल कॉलेज में 110 आउटसोर्स कर्मियों नौकरी से निकाला, कर्मचारियों का छलका दर्द - Nahan Medical College

नाहन मेडिकल कॉलेज में कोरोनाकाल के समय में रखे गए 110 आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवाएं खत्म कर दी गई हैं. इस दौरान आउटसोर्स कर्मचारियों का दर्द छलक पड़ा, उन्होंने कहा कि जब कोई अपना भी हाथ नहीं लगा रहा था तब हमने अपनी सेवाएं दी, लेकिन आज हमें नौकरी से निकाल दिया गया. (Medical College and Hospital Nahan)

Medical College and Hospital Nahan
नाहन मेडिकल कॉलेज में 110 आउटसोर्स कर्मियों नौकरी से निकाला
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Published : Apr 6, 2023, 3:20 PM IST

आउटसोर्स कर्मियों का छलका दर्द.

नाहन: डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में कोरोना काल में रखे गए करीब 110 आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करने के बाद बुधवार को आउटसोर्स कर्मियों का दर्द उस समय झलक पड़ा, जब वह मेडिकल कॉलेज में धरना देते हुए अपनी सेवाओं को बहाल करने की मांग कर रहे थे. आउटसोर्स कर्मियों का कहना था कि कोरोनाकाल में जब मरीजों को अपनों ने भी हाथ लगाने से इंकार कर दिया, तब मुश्किल की उस घड़ी में भी हमने जान जोखिम में डालकर अपनी सेवाएं दीं. इसका इनाम उन्हें उनकी सेवाएं समाप्त कर सरकार ने दिया है.

दरअसल गत सोमवार को मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने इन करीब 110 कर्मचारियों के लिए फरमान जारी करते हुए सरकार के आगामी निर्देशों तक इनकी सेवाएं समाप्त कर दी. कोरोना काल में आउटसोर्स पर रखे इन कर्मचारियों का सेवा विस्तार 31 मार्च तक था. लिहाजा अब काम पर न आने के फरमानों के बाद संबंधित कर्मचारियों को अपने परिवारों का पालन पोषण करने की चिंता सताने लगी है. इसमें स्टाफ नर्स, वार्ड ब्वाय, प्रयोगशाला तकनीशियन, डाटा एंट्री ऑपरेटर सहित चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शामिल हैं. बता दें कि वर्ष 2019 में कोरोना काल के दौरान न्यू विजन एस्कोर्ट कंपनी की ओर से इन कर्मचारियों की तैनाती मेडिकल कॉलेज नाहन में की गई थी. इनके सेवा विस्तार को हर तीन महीने बाद बढ़ाया जा रहा था. 31 मार्च तक इनका सेवा विस्तार था. कर्मचारियों को उम्मीद थी कि आगे भी सेवा विस्तार बढ़ाया जाएगा, लेकिन उनकी उम्मीदों पर उस समय पानी फिर गया, जब मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने कॉलेज में उन्हें अपनी सेवाएं देने से इंकार कर दिया.

वहीं, कर्मचारियों ने मेडिकल कॉलेज परिसर में सरकार के साथ-साथ मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के प्रति भी अपना रोष प्रकट किया.कर्मचारियों का कहना था कि कोरोना के मुश्किल दौर में उन सभी ने मेडिकल कॉलेज के अन्य स्टाफ के साथ मिलकर अपनी जान जोखिम में डालकर अपनी सेवाएं दी, लेकिन इसका फल अब उन्हें उनकी सेवाएं समाप्त कर दिया जा रहा है.कर्मचारियों के अनुसार उन्हें उम्मीद थी कि मानदेय बढ़ाने के साथ-साथ संबंधित विभाग में उनका विलय किया जाएगा. इसी बीच मानदेय बढ़ाना, तो दूर की बात, अब उनकी सेवाएं भी समाप्त कर दी गई है. यही नहीं कभी भी समय पर वेतन भी नहीं मिला. बावजूद इसके वह अपनी सेवाएं देते रहे. उन्होंने सरकार से इस संबंध में न्याय की गुहार भी लगाई है. संबंधित कर्मचारियों का कहना है कि प्रदेश के कुछ स्थानों पर आउटसोर्स कर्मियों की सेवाओं को बहाल किया गया है. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि मेडिकल कॉलेज से निकाले गए कर्मचारियों की सेवाओं को भी बहाल किया जाए, ताकि वह भी अपने परिवारों का पालन पोषण कर सके.

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आउटसोर्स कर्मियों का छलका दर्द.

नाहन: डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में कोरोना काल में रखे गए करीब 110 आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करने के बाद बुधवार को आउटसोर्स कर्मियों का दर्द उस समय झलक पड़ा, जब वह मेडिकल कॉलेज में धरना देते हुए अपनी सेवाओं को बहाल करने की मांग कर रहे थे. आउटसोर्स कर्मियों का कहना था कि कोरोनाकाल में जब मरीजों को अपनों ने भी हाथ लगाने से इंकार कर दिया, तब मुश्किल की उस घड़ी में भी हमने जान जोखिम में डालकर अपनी सेवाएं दीं. इसका इनाम उन्हें उनकी सेवाएं समाप्त कर सरकार ने दिया है.

दरअसल गत सोमवार को मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने इन करीब 110 कर्मचारियों के लिए फरमान जारी करते हुए सरकार के आगामी निर्देशों तक इनकी सेवाएं समाप्त कर दी. कोरोना काल में आउटसोर्स पर रखे इन कर्मचारियों का सेवा विस्तार 31 मार्च तक था. लिहाजा अब काम पर न आने के फरमानों के बाद संबंधित कर्मचारियों को अपने परिवारों का पालन पोषण करने की चिंता सताने लगी है. इसमें स्टाफ नर्स, वार्ड ब्वाय, प्रयोगशाला तकनीशियन, डाटा एंट्री ऑपरेटर सहित चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शामिल हैं. बता दें कि वर्ष 2019 में कोरोना काल के दौरान न्यू विजन एस्कोर्ट कंपनी की ओर से इन कर्मचारियों की तैनाती मेडिकल कॉलेज नाहन में की गई थी. इनके सेवा विस्तार को हर तीन महीने बाद बढ़ाया जा रहा था. 31 मार्च तक इनका सेवा विस्तार था. कर्मचारियों को उम्मीद थी कि आगे भी सेवा विस्तार बढ़ाया जाएगा, लेकिन उनकी उम्मीदों पर उस समय पानी फिर गया, जब मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने कॉलेज में उन्हें अपनी सेवाएं देने से इंकार कर दिया.

वहीं, कर्मचारियों ने मेडिकल कॉलेज परिसर में सरकार के साथ-साथ मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के प्रति भी अपना रोष प्रकट किया.कर्मचारियों का कहना था कि कोरोना के मुश्किल दौर में उन सभी ने मेडिकल कॉलेज के अन्य स्टाफ के साथ मिलकर अपनी जान जोखिम में डालकर अपनी सेवाएं दी, लेकिन इसका फल अब उन्हें उनकी सेवाएं समाप्त कर दिया जा रहा है.कर्मचारियों के अनुसार उन्हें उम्मीद थी कि मानदेय बढ़ाने के साथ-साथ संबंधित विभाग में उनका विलय किया जाएगा. इसी बीच मानदेय बढ़ाना, तो दूर की बात, अब उनकी सेवाएं भी समाप्त कर दी गई है. यही नहीं कभी भी समय पर वेतन भी नहीं मिला. बावजूद इसके वह अपनी सेवाएं देते रहे. उन्होंने सरकार से इस संबंध में न्याय की गुहार भी लगाई है. संबंधित कर्मचारियों का कहना है कि प्रदेश के कुछ स्थानों पर आउटसोर्स कर्मियों की सेवाओं को बहाल किया गया है. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि मेडिकल कॉलेज से निकाले गए कर्मचारियों की सेवाओं को भी बहाल किया जाए, ताकि वह भी अपने परिवारों का पालन पोषण कर सके.

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