शिमला: देशभर में मलेरिया जानलेवा बीमारी बन चुका है. मच्छर के काटने से मलेरिया होता है और यदि समय पर अस्पताल ना पहुंचा जाए तो यह जानलेवा बन जाता है. हिमाचल पहाड़ी इलाका है, पहाड़ों में मलेरिया को लेकर अभी तक राहत है. पहाड़ों में मलेरिया का एक भी मामला नहीं है. हिमाचल में पंजाब से लगते मैदानी इलाकों में मलेरिया के मामले आते हैं लेकिन अन्य राज्य की तुलना में हिमाचल प्रदेश में राहत की बात है. बता दें कि पिछले 1 साल में आईजीएमसी शिमला में मलेरिया का एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ है. यह खुलासा आइजीएमसी में हो रही टेस्टिंग से हुआ है. विशेषज्ञों के अनुसार हिमाचल में मलेरिया कांगड़ा, बिलासपुर, ऊना, बद्दी, नालागढ़ और रोहड़ू के साथ नदी वाले इलाके में मलेरिया के मामले सामने आते हैं. ऐसे में इन इलाकों में ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है.
इस संबंध में जब IGMC शिमला में मेडिसिन विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. विमल भारती से ई-टीवी भारत ने बात की तो उन्होंने बताया कि मच्छर की 406 प्रजातियां हैं जिसमें से 100 प्रजाति ही खतरनाक हैं. जिनसे मलेरिया होता है. उन्होंने बताया कि एनाफिलीज मादा मच्छर जब भी किसी को काटती है तो मलेरिया रोग होता है. मलेरिया के मच्छर बारिश के मौसम में ज्यादा होते हैं. क्योंकि बारिश का पानी ज्यादा दिनों तक एक जगह ठहरा रहने से गंदा हो जाता है और यहीं मलेरिया प्रजाति के मच्छर पैदा होते हैं. मलेरिया मच्छर के काटने के बाद से ही बुखार और सिर दर्द की शिकायत होती है. कभी कभी यह बुखार कम हो जाता है तो दोबारा आ जाता है.
एनाफिलीज मादा मच्छर जब काटती है तो इसका डंक का जीवाणु व्यक्ति के रक्त में प्रवेश कर जाता है और शरीर में कोशिकाओं पर बुरी तरह असर करने लगता है. उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटीबंधिय इलाकों जिसमें सब सहारा, अफ्रीका और एशिया के अधिकतर देश आते हैं. इनमें मलेरिया रोग सबसे ज्यादा पाया जाता है. भारत में यह मलेरिया वैसै तो पूरे साल पाया जाता है लेकिन बारिश के मौसम में संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है. डॉ. विमल भारती का कहना है कि हिमाचल पहाड़ी इलाका होने के कारण मलेरिया के मामले गिने चुने ही आते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दिसंबर 2016 में आंकड़ें जारी किए थे जिसके मुताबिक मलेरिया के 21 करोड़ मामले सामने आए हैं. इनमें 42 हजार मरीजों की मलेरिया के कारण मौत भी हुई है. 2015 में मलेरिया का संचरण 91 देशों में हुआ था. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मलेरिया के दक्षिण पूर्व एशिया में कुल 77% मामले भारत देश में है और गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, गोवा, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, दक्षिणी मध्यप्रदेश और पूर्वोत्तर राज्यों में मलेरिया के मामले सबसे अधिक आते हैं.
मलेरिया के लक्षण: मलेरिया के लक्षण अधिक है लेकिन एक ही मरीज में सभी ये लक्षण दिखाई दे यह जरूरी नहीं हैं.
1. बुखार आना
2. सिर दर्द होना
3. उल्टी होना
4. मन का मचलना
5. ठंड लगना
6. चक्कर आना
मलेरिया होने के कारण:
1. एनाफिलीज मादा मच्छर का काटना मलेरिया रोग सबसे बड़ा कारण है. जिसे प्लास्मोडियम भी कहा जाता है. भारत देश में सबसे ज्यादा मलेरिया के संक्रमण प्लास्मोडियम विवैक्स और प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम के कारण होता है.
2. यदि एनाफिलीज मादा मच्छर किसी मलेरिया संक्रमित रोगी को काटने के बाद किसी दूसरे व्यक्ति को काटता है तो दूसरे व्यक्ति के शरीर में भी मलेरिया के जीवाणु प्रवेश हो जाते हैं.
3. मलेरिया से पीड़ित व्यक्ति के रक्त के आदान प्रदान की वजह से भी मलेरिया रोग होता है.
4. यदि यह मलेरिया परजीवी रोगी के लिवर में प्रवेश करता है तो वह कम से कम एक वर्ष या कुछ वर्ष तक रोगी के लिवर में रह सकता है.
मलेरिया से बचने के उपाय: मलेरिया से बचने के लिए कई उपाय है, लेकिन मलेरिया को रोकने व बचने के लिए मच्छरों को पनपने ना दें.
1. मलेरिया के मच्छर अधिकतर शाम या रात को काटते हैं, इसलिए इस समय संभव हो तो घर में ही रहें.
2. मलेरिया से बचने के लिए उन कपड़ों का उपयोग करे जो शरीर के अधिकांश हिस्से को ढक सकें.
3. घर के आस-पास बारिश के पानी या गंदे पानी को जमा ना होने दें. क्योंकि इसमें मलेरिया के जीवाणु पैदा होने का खतरा रहता है.
4. यदि किसी व्यक्ति के शरीर में बुखार तेजी से बढ़ रहा है तो उसकी तुरंत किसी डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए.
5. मलेरिया रोग की संभावना को कम करने के लिए एंटिमलेरियल दवा लेनी चाहिए.
मलेरिया का निदान:
1. मलेरिया रोगी के शरीर से ब्लड का सैंपल लिया जाता है और इसी सैंपल से ब्लड स्मीयर तैयार किया जाता है.
2. ब्लड स्मीयर में मलेरिया परजीवी की अनुपस्थिति के कारण यदि डॉक्टर को शंका है तो अगले 36 घंटों तक 8 से 12 घंटे में दोबारा परीक्षण करना चाहिए.
3. मलेरिया परजीवी की संख्या रक्त में कम या ज्यादा हो रही है तो इसकी जांच डॉक्टर द्वारा की जाती है.
4. आनुवंशिक और रक्त परीक्षण विशेष तरह के दाग का उपयोग करके परजीवी की उपस्थिति को दर्शाते हैं.
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