शिमला: हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 में 412 उम्मीदवारों में से मात्र 24 महिला उम्मीदवार मैदान में हैं. हिमाचल विधानसभा चुनाव में इस 412 में से 388 उम्मीदवार पुरुष हैं जबकि महज 24 महिला प्रत्याषी चुनावी जंग में किस्मत आजमाने उतरी हैं जो 5.8 फीसदी है. ऐसा नहीं है कि सूबे में राजनीतिक दलों ने इसी बार चुनाव में महिलाओं को दरकिनार किया है. दरअसल इससे पहले भी महिलाओं को दरकिनार किया जाता रहा है. आइए जानते हैं देवभूमि में कब-कब चुनावी जंग में मिहलाओं की कितनी भागीदारी रही है.
चुनावी घोषणा पत्रों में मुद्दा बनने से लेकर मतदाता और प्रत्याशी बनने तक महिलाएं लगभग हर भूमिका अदा करती हैं. सियासी दल महिलाओं के उत्थान से लेकर सियासत में उनकी भागीदारी बढ़ाने के कई वादे करते हैं लेकिन हिमाचल विधानसभा चुनाव में महिलाओं की भागीदारी बहुत ही कम है. आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 1998 में सबसे ज्यादा 6 महिला विधायक चुनकर विधानसभा पहुंची थी. महिलाओं की इतनी कम भागीदारी के पीछे सियासी दल भी जिम्मेदार हैं जो महिलाओं को लेकर वादे तो बड़े-बड़े करते हैं लेकिन चुनाव मैदान में उतारने के नाम पर कंजूसी दिखाते हैं. (Participation of women in Himachal politics)
हिमाचल की राजनीति में महिलाएं: हिमाचल में पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं की भागीदारी लगभग 50 फीसदी से अधिक है लेकिन विधानसभा चुनाव के स्तर तक पहुंचते-पहुंचने महिलाओं की आबादी बहुत कम रह जाती है. पिछले लगभग हर विधानसभा चुनाव का यही हाल है, महिलाओं को टिकट देने में सियासी दलों ने कंजूसी दिखाई है. आंकड़े भी इसकी गवाही देते हैं. साल 1952 से 2017 तक हिमाचल विधानसभा चुनावों में कितने प्रत्याशियों ने राजनीति में अपना हाथ आजमाया और कुल प्रतियोगियों में महिलाओं की संख्या कितनी थी, और कितनी महिलाओं ने जीत दर्ज कर खुद का नाम राजनीति के क्षेत्र में चमकाया.
1967 में पहली बार 2 महिलाओं ने लड़ा था चुनाव: चुनाव आयोग से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक हिमाचल प्रदेश विधानसभा के प्रथम चुनाव वर्ष 1952 में 36 सीटों के लिए हुए, जिसमें 135 उम्मीदवार थे. उस समय इन सभी 135 उम्मीदवारों में एक भी महिला प्रत्याशी नहीं थी. इसके बाद साल 1967 में फिर विधानसभा चुनाव हुए जो कि 60 सीटों के लिए हुए. उस समय 269 उम्मीदवारों में से सिर्फ 2 महिलाएं चुनाव मैदान में थी. हालांकि दोनों में से कोई भी जीत हासिल नहीं कर पाया था.