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आईजीएमसी में सामने आए हेपेटाइटिस सी के दो मामले, स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप

आईजीएमसी अस्पताल में हेपेटाइटिस सी के दो मामले सामने आए हैं. दोनों मरीजों को 12 हफ्ते भर की डोज भी दे दी गई है.

आईजीएमसी में आए हेपेटाइटिस सी के दो मामले
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Published : Sep 27, 2019, 2:39 PM IST

शिमला: जिला के आईजीएमसी अस्पताल में हेपेटाइटिस सी के दो मामले सामने आए हैं. इसमें से एक मामला जिला सोलन और दूसरा जिला शिमला के चौपाल इलाके का है. दोनों मामले सामने आने के बाद आईजीएमसी प्रशासन हरकत में आ गया है.

मरीजों के साथ परिवार के सभी सदस्यों को भी टेस्ट के लिए बुला लिया गया है. दोनों मरीजों की काउंसलिंग भी की जा रही है. हेपेटाइटिस सी वायरस संक्रमित खून से फैलता है. हेपेटाइटिस सी असुरक्षित सेक्स, निडल्स व ड्रग्स के लिए इंजेक्शन शेयर करने, मां से बच्चे को हो सकता है. इसके लिए मरीजों को 12 हफ्तों की डोज दी जाती है. इसका इलाज का खर्चा करीब 2 लाख रुपये है.

बता दें कि कुछ समय पहले तक हेपेटाइटिस सी के इलाज के लिए मरीजों को हर सप्ताह इंजेक्शन लगवाना पड़ता था और दवाइयां भी लेनी पड़ती थी. कई मरीज इसे नहीं ले पाते थे, क्योंकि इंजेक्शन में मौजूद तत्व से उन्हें अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो जाती थी. हालांकि आईजीएमसी में यह दवा फ्री में उपलब्ध करवाई जाती है.

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एमएस डॉ. राहुल गुप्ता ने बताया कि नेशनल वायरल हेपेटाइटिस प्रोग्राम के तहत दोनों मरीजों को 12 हफ्ते की दवा दी गई है और मरीजों के परिवार के सभी सदस्यों को भी टेस्ट सेंपल देने के लिए बुला लिया गया है.

शिमला: जिला के आईजीएमसी अस्पताल में हेपेटाइटिस सी के दो मामले सामने आए हैं. इसमें से एक मामला जिला सोलन और दूसरा जिला शिमला के चौपाल इलाके का है. दोनों मामले सामने आने के बाद आईजीएमसी प्रशासन हरकत में आ गया है.

मरीजों के साथ परिवार के सभी सदस्यों को भी टेस्ट के लिए बुला लिया गया है. दोनों मरीजों की काउंसलिंग भी की जा रही है. हेपेटाइटिस सी वायरस संक्रमित खून से फैलता है. हेपेटाइटिस सी असुरक्षित सेक्स, निडल्स व ड्रग्स के लिए इंजेक्शन शेयर करने, मां से बच्चे को हो सकता है. इसके लिए मरीजों को 12 हफ्तों की डोज दी जाती है. इसका इलाज का खर्चा करीब 2 लाख रुपये है.

बता दें कि कुछ समय पहले तक हेपेटाइटिस सी के इलाज के लिए मरीजों को हर सप्ताह इंजेक्शन लगवाना पड़ता था और दवाइयां भी लेनी पड़ती थी. कई मरीज इसे नहीं ले पाते थे, क्योंकि इंजेक्शन में मौजूद तत्व से उन्हें अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो जाती थी. हालांकि आईजीएमसी में यह दवा फ्री में उपलब्ध करवाई जाती है.

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एमएस डॉ. राहुल गुप्ता ने बताया कि नेशनल वायरल हेपेटाइटिस प्रोग्राम के तहत दोनों मरीजों को 12 हफ्ते की दवा दी गई है और मरीजों के परिवार के सभी सदस्यों को भी टेस्ट सेंपल देने के लिए बुला लिया गया है.

Intro:
आईजीएमसी में सामने आए हैपेटाइटिस सी के दाे मामले
शिमला।

अाईजीएमसी में हैपेटाइटिस सी के दाे मामले सामने अाए हैं। इसमें एक मामला साेलन अाैर दूसरा शिमला के चाैपाल का है। दाेनाें मामले अाने के बाद अाईजीएमसी प्रशासन तुरंत हरकत में अा गया है। मरीजाें के साथ अब परिवार के सभी सदस्याें काे भी टेस्ट के लिए बुला लिया गया है। दाेनाें मरीजाें की भी काउंसलिंग की जा रही है। हेपेटाइटिस सी वायरस संक्रमित खून से फैलता है। यह बीमारी असुरक्षित सेक्स, नीडल्स व ड्रग्स के लिए इंजेक्शन शेयर करने, मां से बच्चे को हाे सकता है। मरीजाें काे इसके लिए 12 हफ्ताें की डाेज दी जाती है। इसका खर्चा करीब एक लाख रुपए है। हालांकि अाईजीएमसी में यह दवा फ्री में दी जाती है।


Body:12 सप्ताह तक दी जाती है डाेज
कुछ समय पहले तक हैपेटाइटिस सी के इलाज के लिए मरीज को हर सप्ताह इंजेक्शन लगवाना पड़ता था और साथ में दवाइयां भी लेनी होती थी। कई मरीज इसे ले नहीं पाते थे क्योंकि इसमें मौजूद तत्व उन्हें अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां देते थे। अाईजीएमसी में 12 सप्ताह तक इसकी डाेज दी जाती है। यह दवा निशुल्क दी जा रही है।

Conclusion:काेट
अाईजीएमसी में दाे मामले हैपेटाइटिस सी के अाए हैं। दाेनाें मरीजाें के परिजनाें काे भी टेस्ट के लिए अाईजीएमसी बुला लिया गया है। इसके अलावा मरीजाें की काउंसलिंग भी की जा रही है। नेशनल वाॅयरल हैपेटाइटिस प्राेग्राम के तहत दाेनाें मरीजाें काे 12 हफ्ते की दवा दी गई है। यह दवा निशुल्क दी गई है, जिसमें करीब दाे लाख रुपए खर्चा अाता है।
डाॅ. राहुल गुप्ता, कार्यकारी एमएस अाईजीएमसी शिमला


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