रामपुर: जहां एक ओर हिमाचल सरकार द्वारा 2021 और 2022 तक टीबी रोग को पूरी तरह से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है. वहीं, दूसरी ओर टीबी के लगातार मामले सामने आ रहे हैं. चार जिलों के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने वाला खनेरी अस्पताल में आए दिन लगातार टीबी के मामले सामने आ रहे हैं.
वहीं, जानकारी देते हुए डॉ. पदम शर्मा चिकित्सा अधिकारी रामपुर ने बताया कि हर दिन रामपुर खनेरी अस्पताल में एक से दो मामले सामने आ रहे हैं. जिनमें अभी तक 332 एक्टिव केस हैं. उन्होंने बताया कि 150 मामले शिमला जिला रामपुर उपमंडल के हैं और मामले अन्य जिलों के हैं.
डॉ. पदम शर्मा ने यह भी बताया कि हर महीने 40 से 50 मामले सामने आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि सीबी नेट मशीन को भी यहां पर स्थापित किया गया है. जिसकी रिपोर्ट आधे से एक घंटे में आ जाती है, पहले इस रिपोर्ट को आने में एक सप्ताह तक का समय लग जाता था.
उन्होंने बताया कि इन मरीजों के लिए रामपुर में स्वास्थय की टीम मौजूद है जो काम कर रही है. इन मरीजों के लिए मुफ्त में दवाइयां इत्यादि मुहैया करवाई जा रही है. ऐसे में टीबी से प्रभावित मरीजों का लगातार खनेरी अस्पताल में इलाज हो रहा है.
जानकारी देते हुए डॉ. गुमान नेगी ने बताया कि टीबी माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु के कारण होता है, जो हवा के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है और मुख्यता फेफड़ों को प्रभावित करता है. जीवाणु से संक्रमित व्यक्ति के टीबी से ग्रस्त होने की संभावना 5 से 15 प्रतिशत रहती है.
वहीं, डॉ. गुमान नेगी ने बताया कि टीबी एक संक्रामक रोग है और यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल सकता है, लेकिन फिर भी इससे बचाओ अथवा इसकी पूर्ण रोकथाम संभव है.
बता दें कि जो लोग इसकी चपेट में अधिकतर है. वह टीवी से पीड़ित परिवार के सदस्य, वृद्ध आश्रम, बाल आश्रम और झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले मजदूर शिक्षण संस्थानों, सड़क पर रह रहे बेघर लोग और मजदूरी करने वाले शामिल है, लेकिन रामपुर के अस्पताल में अधिकतर ग्रामीण क्षेत्र के लोग क्षय रोग के शिकार हो रहे हैं.
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