किन्नौर: जिला में बने कामरु किले का निर्माण कामरु के आसपास के सात गांव शोंग, छितकुल, रकच्छम, सांगला बट्सेरी, चान्सू, कामरु के समस्त जनता ने किया जिन्हें तीश खुननांग कयानी कहते हैं. देवता बद्री विशाल के आदेशानुसार हजारों साल पहले किले का निर्माण हुआ था.
सांगला तहसील के मध्य लगभग तीन हजार फीट ऊपर बसा कामरु गांव रामपुर रियासत की राजधानी भी रही है. रियासत के सभी राजाओं का राज्याभिषेक देवता बद्री विशाल के समक्ष ही होता था.
किंवदंतियों के अनुसार कई साल पहले तिब्बत से रामपुर रियासत को हथियाने दुश्मन इस किले से पहाड़ियों पर छुप कर किले को गिराने के लिये बड़े बड़े पत्थरों से हमला कर रहे थे. इसके बाद दैवीय शक्तियों ने उनके पत्थरों के वार को रोका और किले को दुश्मन हिला नहीं सके. किले के अंदर हर किसी को जाने की अनुमति नहीं है, केवल रियासत के राजपरिवार, पुजारी और किले के बड़े कारदार ही किले के अंदर जा सकते हैं.
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राजा प्रद्युम्न को कांची नगर से कामरु लाकर किले के सिंहासन पर बैठाकर उनका राजभिषेक किया गया था. रामपुर रियासत के सभी राजाओं को भगवान कृष्ण के वंशज भी माना जाता है. किले के द्वार पर 33 करोड़ देवी देवताओं की पौराणिक नक्काशी की गई है और द्वार के ऊपरी तरफ किले के रक्षक देवता आग्लांग सेया की मूर्ति भी मौजूद है. किले के चारों तरफ राशन भण्डार भी मौजूद हैं, लेकिन उन भण्डारों में उसी वक्त के ताले भी लगे हुए हैं जिसे तोड़ना नामुमकिन है.
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किले के दाहिने तरफ काम्ख्या माता का मंदिर भी स्थित है जो बुरी प्रवृत्तियों को किले में आने से रोकती हैं. पूरे विश्व में देश के असम और हिमाचल के किन्नौर जिले के कामरु में ही काम्ख्या माता का मंदिर है.
किवदंतियों के अनुसार रामपुर रियासत के 122 राजाओं का राज्याभिषेक इसी किले के अंदर हुआ है. राजभिषेक के बाद उन 122 राजाओं को महाराजा की उपाधि मिली थी, लेकिन रियासत के 123 वें राजा प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का राजभिषेक इस किले में नहीं हुआ है. इसलिए अभी तक उन्हें केवल राजा की उपाधि ही मिली है. दरअसल वीरभद्र सिंह के समय में राजाओं का शासन खत्म हो चुका था और देश आजाद था. फिलहाल इस किले की सुरक्षा का जिम्मा होम गार्ड और किन्नौर एसपी के पास है और 24 घंटे यहां होमगार्ड तैनात रहते हैं.
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कामरु किले के बारे में जितनी खोज करें उतने ही अद्भुत रहस्य सामने आते रहते हैं, लेकिन किले का निर्माण किसने किया ये आज भी शोध का विषय बना हुआ है.
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