शिमला: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाने वाला कुल्लू दशहरा भी कोरोना की मार से नहीं बच पाया. कुल्लू दशहरे की शुरुआत 25 अक्तूबर से होने जा रही है. इस सात दिवसीय दशहरा उत्सव में भगवान रघुनाथ की भव्य रथयात्रा में सात देवी-देवताओं के केवल देव रथ ही शामिल होंगे.
खराहल घाटी के आराध्य बिजली महादेव, राजपरिवार की दादी कही जाने वाली माता हिडिंबा, खोखण के आदि ब्रह्म, पीज के जमदग्नि ऋषि, रैला के लक्ष्मी नारायण, राजपरिवार की कुल देवी नग्गर की माता त्रिपुरा सुंदरी और ढालपुर के देवता वीरनाथ के रथ दशहरा में शामिल होकर परंपरा का निर्वहन करेंगे. पहले से ही निर्धारित इन देवताओं के रथ दशहरे में शामिल होंगे.
इन देवताओं के कारदार अपने क्षेत्र में बैठक करेंगे. इसके बाद प्रशासन को देवता की ओर से दशहरे में शामिल वाले देवलुओं की सूची दी जाएगी. इन सभी के कोरोना टेस्ट भी किए जाएंगे. देवताओं के कारदारों की ओर से सुनिश्चित किया गया है कि वे सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना नियमों का पालन करेंगे.
बिजली महादेव के कारदार अमरनाथ नेगी ने कहा कि दशहरा उत्सव में सात देवताओं के रथ आने को लेकर सहमति बनी है. अब हारियानों के साथ बैठक होगी. इसमें कितने देवलू शामिल होंगे, इसकी सूची सौंपी जाएंगी. दशहरा में शामिल होने वालों का कोरोना टेस्ट करने की बात भी कही गई है.
वहीं, कुल्लू दशहरे को लेकर शिक्षा मंत्री और मनाली से मौजूदा विधायक गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरे को हर कोई विशाल तरीके से मनाना चाहता है, लेकिन कोरोना के कारण जो परिस्थितियां पैदा हुई हैं, उससे कई काम रुक चुके हैं. इसका असर कुल्लू दशहरे पर भी पड़ा है.
इस बार कुल्लू दशहरे को सांकेतिक और सूक्षम स्तर पर मनाया जाएगा. जिससे देव समाज की परम्पराओं का भी निर्वहन किया जा सकेगा और कोरोना संक्रमण को देखते हुए यह फैसला लिया गया है. मौजूदा हालात को देखते हुए प्रशासन पूरी तरह से तैयार है.
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