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अब जिंदगी की जंग नहीं हारेगा IGMC में भर्ती बेसहारा मजदूर, रेडक्रॉस ने इलाज के लिए मंजूर किए 40 हजार - इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज

इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला में गंभीर अवस्था में भर्ती उड़ीसा का बेसहारा मजदूर नागराज अब जिंदगी की जंग नहीं हारेगा. राज्यपाल ने रेड क्रॉस से उसके इलाज के लिए 40 हजार रुपये स्वीकृत कर दिए है.

IGMC shimla
बेसहारा मजदूर
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Published : Jan 18, 2020, 4:03 PM IST

शिमला: इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला में गंभीर अवस्था में भर्ती मजदूर नागराज अब जिंदगी की जंग नहीं हारेगा. दो महीने पहले रामपुर में नागराज मजदूरी करते हुए दुर्घटना का शिकार हो गया था. उमंग फाऊंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव के प्रयासों से राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने उसकी सर्जरी के लिए रेड क्रॉस से 40 हजार रूपये मंजूर कर दिए हैं.

बता दें कि नागराज उड़ीसा के नवागांव का रहने वाला है. वह रामपुर में एक ठेकेदार के पास 10 साल से मजदूरी कर रहा था. दुर्घटना के बाद ठेकेदार ने नागराज को रामपुर के राजकीय अस्पताल में गंभीर अवस्था में भर्ती करवाया गया था. उसके बाद से ठेकेदार ने उसकी कोई मदद नहीं की.

रामपुर के राजकीय अस्पताल से नागराज को सर्जरी के लिए आईजीएमसी भेज दिया गया. बता दें कि अस्पताल में मदद के लिए नागराज के पास कोई अटेंडेंट तक नहीं है. नागराज के एक हाथ में फ्रैक्चर है और कूल्हे की हड्डी भी टूटी हुई है.

आईजीएमसी के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉ. जनक राज का कहना है कि मुफ्त इलाज के लिए उसके पास आयुष्मान कार्ड भी नहीं है और न ही आधार कार्ड एवं राशन कार्ड है. अस्पताल से जितना संभव हुआ उसे मुफ्त इलाज दिया गया.

वीडियो.

वहीं, नागराज की दयनीय स्थिति देखकर प्रो. श्रीवास्तव ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को पत्र लिखकर उनसे इलाज और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए मदद मांगी. राज्यपाल ने रेड क्रॉस से उसके इलाज के लिए 40 हजार रुपये स्वीकृत कर दिए हैं. अब नागराज जिंदगी की जंग नहीं हारेगा और उसकी सर्जरी व इलाज संभव हो जाएगा.

ये भी पढ़ें: राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने डाउनलोड किया ETV BHARAT ऐप, ग्रुप के चेयरमैन रामोजी राव को दी शुभकामनाएं

शिमला: इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला में गंभीर अवस्था में भर्ती मजदूर नागराज अब जिंदगी की जंग नहीं हारेगा. दो महीने पहले रामपुर में नागराज मजदूरी करते हुए दुर्घटना का शिकार हो गया था. उमंग फाऊंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव के प्रयासों से राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने उसकी सर्जरी के लिए रेड क्रॉस से 40 हजार रूपये मंजूर कर दिए हैं.

बता दें कि नागराज उड़ीसा के नवागांव का रहने वाला है. वह रामपुर में एक ठेकेदार के पास 10 साल से मजदूरी कर रहा था. दुर्घटना के बाद ठेकेदार ने नागराज को रामपुर के राजकीय अस्पताल में गंभीर अवस्था में भर्ती करवाया गया था. उसके बाद से ठेकेदार ने उसकी कोई मदद नहीं की.

रामपुर के राजकीय अस्पताल से नागराज को सर्जरी के लिए आईजीएमसी भेज दिया गया. बता दें कि अस्पताल में मदद के लिए नागराज के पास कोई अटेंडेंट तक नहीं है. नागराज के एक हाथ में फ्रैक्चर है और कूल्हे की हड्डी भी टूटी हुई है.

आईजीएमसी के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉ. जनक राज का कहना है कि मुफ्त इलाज के लिए उसके पास आयुष्मान कार्ड भी नहीं है और न ही आधार कार्ड एवं राशन कार्ड है. अस्पताल से जितना संभव हुआ उसे मुफ्त इलाज दिया गया.

वीडियो.

वहीं, नागराज की दयनीय स्थिति देखकर प्रो. श्रीवास्तव ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को पत्र लिखकर उनसे इलाज और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए मदद मांगी. राज्यपाल ने रेड क्रॉस से उसके इलाज के लिए 40 हजार रुपये स्वीकृत कर दिए हैं. अब नागराज जिंदगी की जंग नहीं हारेगा और उसकी सर्जरी व इलाज संभव हो जाएगा.

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Intro:अब जिंदगी की जंग नही हारेगा आइजीएमसी में दाखिल बेसहारा मजदूर नागराज,
रेडक्रॉस ने मंजूर किये इलाज के लिए 40 हाजर रुपये

शिमला।
इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में गंभीर अवस्था में भर्ती उड़ीसा का बेसहारा मजदूर नागराज 45 अब जिंदगी की जंग नहीं हारेगा। वह दो महीने पहले रामपुर में मजदूरी करते हुए दुर्घटना का शिकार हो गया था। उमंग फाऊंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव के प्रयासों से हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने उसकी सर्जरी एवं इलाज के लिए रेड क्रॉस से 40 हज़ार रूपये मंजूर कर दिए हैं। लेकिन बेसहारा नागराज के पास अस्पताल में मदद के लिए कोई अटेंडेंट नहीं है।

Body:नागराज एक दुर्घटना के बाद रामपुर के राजकीय अस्पताल में गंभीर अवस्था में भर्ती कराया गया था। उसकी सर्जरी होनी थी जो कि शिमला के आईजीएमसी अस्पताल में ही सम्भव थी।

नागराज उड़ीसा के जिला राउरकेला के नवागांव का रहने वाला है वह रामपुर में एक ठेकेदारों के पास 10 साल से मजदूरी कर रहा था। उसके माता पिता की मृत्यु हो चुकी है और सिर्फ एक बहन है जो शादीशुदा है। करीब 15 साल से उसका अपने गांव के साथ कोई संबंध नहीं है। नागराज की शादी नहीं हुई। वह बताता है कि दुर्घटना के बाद ठेकेदार ने उसे खनेरी अस्पताल में लाकर छोड़ दिया उसके बाद कोई मदद नहीं की।

उसके एक हाथ में फ्रैक्चर है और कूल्हे की हड्डी भी टूटी हुई है।

आईजीएमसी के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉ. जनक राज का कहना है कि मुफ्त इलाज के लिए उसके पास आयुष्मान कार्ड भी नहीं है और न ही आधार कार्ड एवं राशन कार्ड। अस्पताल से जितना संभव हुआ उसे मुफ्त इलाज दिया गया। इसके अलावा ऐसे मरीजों की मुख्य समस्या जो होती है कि उनके साथ कोई अटेंडेंट नहीं होता।


नागराज की दयनीय स्थिति देखकर प्रो. श्रीवास्तव ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को पत्र लिखकर उनसे इलाज और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए मदद मांगी। राज्यपाल ने तुरंत रेड क्रॉस से उसके इलाज के लिए 40 हजार रुपए स्वीकृत कर दिए। अब नागराज जिंदगी की जंग नहीं हारेगा और उसकी सर्जरी व इलाज संभव हो जाएगा।

लेकिन बड़ा सवाल यह है कि वह अस्पताल से छुट्टी होने के बाद काफी समय तक न तो मजदूरी करने में सक्षम रहेगा और नहीं उसके पास रहने के लिए कोई ठिकाना होगा। वह उड़ीसा वापस जाकर भी कुछ हासिल नहीं कर पाएगा क्योंकि वहां भी अब उसका कोई नहीं है। Conclusion:शिमला के पास बसंतपुर में सरकारी वृद्धाश्रम में उसे रखा जा सकता है यदि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग इसके लिए नियमों में छूट दे। वहां 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के बेसहारा व्यक्ति ही रह सकते हैं।
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