ETV Bharat / state

Hot Seat Theog: CPI(M) के राकेश सिंघा पर इकलौती सीट बचाने का दबाव, इन 4 प्रत्याशियों के बीच कड़ी टक्कर

ठियोग विधानसभा सीट हिमाचल प्रदेश की महत्वपूर्ण सीटों में से एक है. इस सीट पर 2017 विधानसभा चुनाव में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के प्रत्याशी राकेश सिंघा (CPIM candidate Rakesh Singha) ने जीत दर्ज की थी. इस क्षेत्र में CPI(M) और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है.

political equation of theog assembly seat
political equation of theog assembly seat
author img

By

Published : Nov 8, 2022, 2:49 PM IST

शिमला: ठियोग विधानसभा क्षेत्र प्रदेश की हॉट सीटों में से एक है. ठियोग विधानसभा क्षेत्र दरअसल दो बड़े हल्कों ठियोग और कुमारसैन हल्कों से मिलकर बना है. यह वही क्षेत्र है जहां हिमाचल में पहली बार सेब की खेती शुरू हुई. कोटगढ़ के थानेदार में अमेरिकी नागरिक सेमुअल स्टोक्स, जो बाद में सत्यानंद स्टोक्स कहलाए, ने यहां पर 1905 में सेब के पौधे लगाए. इसके बाद पूरे कोटगढ़ और बाद में शिमला जिला के साथ लगते कुल्लू और अन्य जिलों में भी सेब की खेती होने लगी. (political equation of theog assembly seat )

पढ़ें- Poster War in Himachal Election : हिमाचल में गजब का पोस्टर वॉर, आप भी करेंगे क्रिएटिविटी की तारीफ

आज हिमाचल को सेब बहुल राज्य के नाम से जाना जाता है. यह क्षेत्र बड़े राजनेताओं नेताओं की रणभूमि रही है. कांग्रेस के दिग्गज नेता जेबीएल खाची, कांग्रेस की कद्दावार नेता विद्या स्टोक्स इसी हल्के ने दिए. ठियोग विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां कांग्रेस का ही दबदबा रहा है. डिलिमिटेशन के बाद कुमारसैन को ठियोग में मर्ज किया गया.

पहले डिलिमिटेशन से पहले कुमारसैन अलग से विधानसभा क्षेत्र था जिसमें सुन्नी क्षेत्र भी शामिल था, लेकिन 2007 के बाद हुए डिलिमिटेशन के बाद कुमारसैन के नाम बना विधानसभा क्षेत्र खत्म कर दिया गया. कुमारसैन के एक बड़े हिस्से को ठियोग विधानसभा क्षेत्र में मिला दिया गया, जबकि शिमला ग्रामीण के नाम से गठित नए क्षेत्र में कुमारसैन के सुन्नी क्षेत्र को मर्ज किया गया. इस तरह अब कुमारसैन और ठियोग का पूरा विधानसभा क्षेत्र ठियोग के नाम से जाता जाता है. क्षेत्र के हिसाब से देखें तो यह सीधे तौर पर दो बड़े क्षेत्र कुमारसैन और ठियोग में बंटा हुआ है.

political equation of theog assembly seat
ठियोग विधानसभा क्षेत्र का इतिहास

6 बार कांग्रेस ने ठियोग पर की जीत दर्ज: ठियोग विधानसभा क्षेत्र में 1972 से 2017 तक हुए 11 चुनाव हुए हैं, जिनमें से छह चुनाव में कांग्रेस विजयी रही है जबकि एक बार भाजपा, एक बार जनता पार्टी , दो बार निर्दलीय, एक बार सीपीएम विजयी रही है. हिमाचल को पूर्ण राजत्व का दर्जा मिलने के बाद 1972 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के लालचंद स्टोक्स यहां से विजयी रहे. 1977 के चुनाव में यहां से जेएनपी के मेहर सिंह चौहान जीते. 1982 के चुनावों में यहां से कांग्रेस की विद्या स्टोक्स जीतीं, फिर 1985 और 1990 के चुनाव में भी विद्या स्टोक्स ने चुनाव जीता.

2003 का गणित: 2003 में राकेश वर्मा ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर इस सीट से जीत दर्ज की थी. 49,058 मतदाताओं ने ठियोग सीट पर कांग्रेस को दरकिनार करते हुए आजाद प्रत्याशी को मौका दिया.

2007 का गणित: 2003 की तरह 2007 में भी राकेश वर्मा में बतौर आजाद उम्मीदवार एक बार फिर से लोगों के दिलों में राज किया. 2007 में इस सीट पर कुल 53,830 से वोटर्स थे.

2012 का गणित: इसके बाद 2012 के चुनाव में यहां से कांग्रेस की विद्या स्टोक्स यहां से विजय रहीं. हालांकि कांग्रेस की वरिष्ठ नेता विद्या स्टोक्स ने यहां से 2017 चुनाव नहीं लड़ा. 2012 में मतदाताओं की संख्या बढ़कर 74,060 हो गई.

2017 का गणित: 2017 में यहां से कांग्रेस ने एक नए चेहरे दीपक राठौर को टिकट दिया जबकि बेजीपी की ओर से राकेश वर्मा चुनावी समर में थे. हालांकि 2017 में यहां पर कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई और सशक्त उम्मीदवार न होने से सीपीएम के तेज तरार नेता राकेश सिंघा जीते. राकेश सिंघा ने 24791 वोट हासिल किए जबकि बीजेपी की ओर से राकेश वर्मा को 22808 वोट मिले. कांग्रेस के दीपक राठौर मात्र 9101 वोट मिले. ऐसे में यहां अबकी बार सीपीएम, कांग्रेस और भाजपा के बीच रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है.

ठियोग विधानसभा क्षेत्र का इतिहास: 1993 में भाजपा की ओर से पहली बार राकेश वर्मा ने जीत हासिल की. 1998 में फिर से यहां कांग्रेस की विद्या स्टोक्स जीतीं, इसके बाद 2003 और 2007 में राकेश वर्मा ने दोनों चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीते.

ठियोग सीट पर मतदाता : ठियोग किसान और बागवान बहुत इलाका है. अबकी बार 86236 वोटर, जिनमें 43685 पुरुष और 42550 महिलाएं और एक थर्ड जेंडर है, जो यहां आठ उम्मीदवारों का भविष्य तय करेंगे.

इन प्रत्याशियों के बीच होगा मुकाबला: ठियोग विधानसभा क्षेत्र से आठ उम्मीदवारों में माकपा से विधायक राकेश सिंघा, कांग्रेस के कुलदीप सिंह राठौर, भाजपा से अजय श्याम के अलावा आम आदमी पार्टी से अतर सिंह चंदेल और बहुजन समाज पार्टी से जियालाल भी चुनावी मैदान में हैं. ठियोग से तीन निर्दलीय उम्मीदवार भी अबकी बार चुनाव मैदान में हैं. इनमें ठियोग इलाके की इंदू वर्मा हैं जो कि पूर्व विधायक स्व. राकेश शर्मा की धर्मपत्नी है. वहीं कुमारसैन इलाके से कांग्रेस के पूर्व मंत्री स्व. जेबीएल खाची के पुत्र विजय खाची और कोटगढ़ इलाके से अमित मैहता शामिल हैं.

चार प्रत्याशियों के बीच होगा कड़ा मुकबला: ठियोग विधानसभा सीट पर अबकी बार दोनों बड़ी पार्टियों भाजपा और कांग्रेस ने नए उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे हैं. भाजपा ने यहां से अजय श्याम को टिकट दिया है जो कि पार्टी के महासू जिलाध्यक्ष हैं. वहीं कांग्रेस ने यहां से कुलदीप सिंह राठौर को उतारा है. कुलदीप राठौर हालांकि कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष रह चुके हैं, मगर यह उनका पहला विधानसभा चुनाव होगा. वहीं इस सीट पर अबकी बार भी सीपीएम ने राकेश सिंघा को टिकट दिया है जो कि पिछले चुनावों में यहां से जीतकर विधायक बने. राकेश सिंघा इससे पहले 1993 शिमला शहर से विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. इस तरह दो बार के विधायक के खिलाफ भाजपा और कांग्रेस ने नये उम्मीदवार का दांव खेला है. हालांकि यह कहने को आठ उम्मीदवार है लेकिन असरी मुकाबला कांग्रेस के कुलदीप राठौर, सीपीएम के राकेश सिंघा, भाजपा के अजय श्याम और निर्दलीय इंदू वर्मा के बीच ही माना जा रहा है. ऐसे में यहां चार उम्मीदवारों के बीच कड़ा मुकाबला अबकी बार है. देखना है कि अबकी बार के चुनाव में यहां से कौन बाजी मारता है.


शिमला: ठियोग विधानसभा क्षेत्र प्रदेश की हॉट सीटों में से एक है. ठियोग विधानसभा क्षेत्र दरअसल दो बड़े हल्कों ठियोग और कुमारसैन हल्कों से मिलकर बना है. यह वही क्षेत्र है जहां हिमाचल में पहली बार सेब की खेती शुरू हुई. कोटगढ़ के थानेदार में अमेरिकी नागरिक सेमुअल स्टोक्स, जो बाद में सत्यानंद स्टोक्स कहलाए, ने यहां पर 1905 में सेब के पौधे लगाए. इसके बाद पूरे कोटगढ़ और बाद में शिमला जिला के साथ लगते कुल्लू और अन्य जिलों में भी सेब की खेती होने लगी. (political equation of theog assembly seat )

पढ़ें- Poster War in Himachal Election : हिमाचल में गजब का पोस्टर वॉर, आप भी करेंगे क्रिएटिविटी की तारीफ

आज हिमाचल को सेब बहुल राज्य के नाम से जाना जाता है. यह क्षेत्र बड़े राजनेताओं नेताओं की रणभूमि रही है. कांग्रेस के दिग्गज नेता जेबीएल खाची, कांग्रेस की कद्दावार नेता विद्या स्टोक्स इसी हल्के ने दिए. ठियोग विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां कांग्रेस का ही दबदबा रहा है. डिलिमिटेशन के बाद कुमारसैन को ठियोग में मर्ज किया गया.

पहले डिलिमिटेशन से पहले कुमारसैन अलग से विधानसभा क्षेत्र था जिसमें सुन्नी क्षेत्र भी शामिल था, लेकिन 2007 के बाद हुए डिलिमिटेशन के बाद कुमारसैन के नाम बना विधानसभा क्षेत्र खत्म कर दिया गया. कुमारसैन के एक बड़े हिस्से को ठियोग विधानसभा क्षेत्र में मिला दिया गया, जबकि शिमला ग्रामीण के नाम से गठित नए क्षेत्र में कुमारसैन के सुन्नी क्षेत्र को मर्ज किया गया. इस तरह अब कुमारसैन और ठियोग का पूरा विधानसभा क्षेत्र ठियोग के नाम से जाता जाता है. क्षेत्र के हिसाब से देखें तो यह सीधे तौर पर दो बड़े क्षेत्र कुमारसैन और ठियोग में बंटा हुआ है.

political equation of theog assembly seat
ठियोग विधानसभा क्षेत्र का इतिहास

6 बार कांग्रेस ने ठियोग पर की जीत दर्ज: ठियोग विधानसभा क्षेत्र में 1972 से 2017 तक हुए 11 चुनाव हुए हैं, जिनमें से छह चुनाव में कांग्रेस विजयी रही है जबकि एक बार भाजपा, एक बार जनता पार्टी , दो बार निर्दलीय, एक बार सीपीएम विजयी रही है. हिमाचल को पूर्ण राजत्व का दर्जा मिलने के बाद 1972 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के लालचंद स्टोक्स यहां से विजयी रहे. 1977 के चुनाव में यहां से जेएनपी के मेहर सिंह चौहान जीते. 1982 के चुनावों में यहां से कांग्रेस की विद्या स्टोक्स जीतीं, फिर 1985 और 1990 के चुनाव में भी विद्या स्टोक्स ने चुनाव जीता.

2003 का गणित: 2003 में राकेश वर्मा ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर इस सीट से जीत दर्ज की थी. 49,058 मतदाताओं ने ठियोग सीट पर कांग्रेस को दरकिनार करते हुए आजाद प्रत्याशी को मौका दिया.

2007 का गणित: 2003 की तरह 2007 में भी राकेश वर्मा में बतौर आजाद उम्मीदवार एक बार फिर से लोगों के दिलों में राज किया. 2007 में इस सीट पर कुल 53,830 से वोटर्स थे.

2012 का गणित: इसके बाद 2012 के चुनाव में यहां से कांग्रेस की विद्या स्टोक्स यहां से विजय रहीं. हालांकि कांग्रेस की वरिष्ठ नेता विद्या स्टोक्स ने यहां से 2017 चुनाव नहीं लड़ा. 2012 में मतदाताओं की संख्या बढ़कर 74,060 हो गई.

2017 का गणित: 2017 में यहां से कांग्रेस ने एक नए चेहरे दीपक राठौर को टिकट दिया जबकि बेजीपी की ओर से राकेश वर्मा चुनावी समर में थे. हालांकि 2017 में यहां पर कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई और सशक्त उम्मीदवार न होने से सीपीएम के तेज तरार नेता राकेश सिंघा जीते. राकेश सिंघा ने 24791 वोट हासिल किए जबकि बीजेपी की ओर से राकेश वर्मा को 22808 वोट मिले. कांग्रेस के दीपक राठौर मात्र 9101 वोट मिले. ऐसे में यहां अबकी बार सीपीएम, कांग्रेस और भाजपा के बीच रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है.

ठियोग विधानसभा क्षेत्र का इतिहास: 1993 में भाजपा की ओर से पहली बार राकेश वर्मा ने जीत हासिल की. 1998 में फिर से यहां कांग्रेस की विद्या स्टोक्स जीतीं, इसके बाद 2003 और 2007 में राकेश वर्मा ने दोनों चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीते.

ठियोग सीट पर मतदाता : ठियोग किसान और बागवान बहुत इलाका है. अबकी बार 86236 वोटर, जिनमें 43685 पुरुष और 42550 महिलाएं और एक थर्ड जेंडर है, जो यहां आठ उम्मीदवारों का भविष्य तय करेंगे.

इन प्रत्याशियों के बीच होगा मुकाबला: ठियोग विधानसभा क्षेत्र से आठ उम्मीदवारों में माकपा से विधायक राकेश सिंघा, कांग्रेस के कुलदीप सिंह राठौर, भाजपा से अजय श्याम के अलावा आम आदमी पार्टी से अतर सिंह चंदेल और बहुजन समाज पार्टी से जियालाल भी चुनावी मैदान में हैं. ठियोग से तीन निर्दलीय उम्मीदवार भी अबकी बार चुनाव मैदान में हैं. इनमें ठियोग इलाके की इंदू वर्मा हैं जो कि पूर्व विधायक स्व. राकेश शर्मा की धर्मपत्नी है. वहीं कुमारसैन इलाके से कांग्रेस के पूर्व मंत्री स्व. जेबीएल खाची के पुत्र विजय खाची और कोटगढ़ इलाके से अमित मैहता शामिल हैं.

चार प्रत्याशियों के बीच होगा कड़ा मुकबला: ठियोग विधानसभा सीट पर अबकी बार दोनों बड़ी पार्टियों भाजपा और कांग्रेस ने नए उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे हैं. भाजपा ने यहां से अजय श्याम को टिकट दिया है जो कि पार्टी के महासू जिलाध्यक्ष हैं. वहीं कांग्रेस ने यहां से कुलदीप सिंह राठौर को उतारा है. कुलदीप राठौर हालांकि कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष रह चुके हैं, मगर यह उनका पहला विधानसभा चुनाव होगा. वहीं इस सीट पर अबकी बार भी सीपीएम ने राकेश सिंघा को टिकट दिया है जो कि पिछले चुनावों में यहां से जीतकर विधायक बने. राकेश सिंघा इससे पहले 1993 शिमला शहर से विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. इस तरह दो बार के विधायक के खिलाफ भाजपा और कांग्रेस ने नये उम्मीदवार का दांव खेला है. हालांकि यह कहने को आठ उम्मीदवार है लेकिन असरी मुकाबला कांग्रेस के कुलदीप राठौर, सीपीएम के राकेश सिंघा, भाजपा के अजय श्याम और निर्दलीय इंदू वर्मा के बीच ही माना जा रहा है. ऐसे में यहां चार उम्मीदवारों के बीच कड़ा मुकाबला अबकी बार है. देखना है कि अबकी बार के चुनाव में यहां से कौन बाजी मारता है.


ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.