शिमला: देवभूमि हिमाचल के लोग आपदा के समय दिल खोलकर दान करने में पीछे नहीं हटते. कोरोना काल में एक साल के भीतर हिमाचल प्रदेश के स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट फंड में प्रदेशवासियों ने 84 करोड़ रुपए से अधिक की रकम जुटाई. इसमें राज्यपाल, सीएम, मंत्रियों सहित सरकारी कर्मचारियों का योगदान भी है. इसके अलावा मंदिर, स्वयंसेवी संस्थाएं और उद्योगपति भी इस योगदान में शामिल हैं.
सीएम के गृह जिले ने किया सबसे ज्यादा दान
देश के 12 जिलों के उपमंडलों से 8.21 करोड़ रुपए जुटाए गए. जिलों के उपमंडलों के तहत सबसे अधिक रकम मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिले मंडी से इकट्ठी हुई. मंडी ने इस यज्ञ में 1.86 करोड़ रुपए से अधिक की आहूति डाली. प्रदेश के 12 जिलों में से तीन जिलों ने एक करोड़ से अधिक जुटाए. इनमें मंडी के अलावा हमीरपुर और कांगड़ा जिला शामिल हैं. हमीरपुर ने 1.23 करोड़ से अधिक तो कांगड़ा ने 1.30 करोड़ रुपए का योगदान दिया.
विधानसभा के प्रश्नकाल में सामने आए आंकड़े
यह खुलासा विधानसभा में आए एक सवाल के लिखित जवाब में हुआ है. सबसे कम रकम बिलासपुर और कुल्लू जिले से आई है. बिलासपुर जिले ने कुल 2.61 लाख रुपए दिए तो कुल्लू का योगदान 9.55 लाख रुपए रहा. सिरमौर से 79 लाख से अधिक, ऊना से 62 लाख, चंबा से 39 लाख और शिमला से 42 लाख रुपए से अधिक रकम दान में मिली. हिमाचल प्रदेश में कोरोना काल में 20 मार्च 2021 तक कुल 84 करोड़, 21 लाख, 22 हजार 727 रुपए इकट्ठे हुए हैं. एक साल तक मंत्रियों, विधायकों के वेतन का तीस फीसदी हिस्सा स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट फंड में गया. इसके अलावा आम जनता ने भी खूब दिल खोलकर दान दिया.
जरूरतमंदों के राशन पर खर्च हुए 13 करोड़
कोरोना काल में जरूरतमंदों को राशन देने पर 13 करोड़ रुपए से अधिक का खर्चा आया है. यह पैसे स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट फंड से दिए गए. जरूरतमंदों को राशन उपलब्ध करवाने के लिए सबसे अधिक रकम ऊना में खर्च हुई. ऊना में राशन उपलब्ध करवाने के लिए 4.46 करोड़ से अधिक खर्च किए गए. इसी तरह सोलन में 1.89 करोड़ और शिमला में 1.13 करोड़ का खर्च राशन देने पर आया.
इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन पर 16.72 करोड़ खर्च
कोरोना मरीजों के लिए संस्थागत क्वारंटाइन पर 16.72 करोड़ रुपए खर्च किए गए. सोलन में इसके लिए 5.48 करोड़ रुपए से अधिक तो ऊना में 3.59 करोड़ रुपए खर्च हुए. बिलासपुर जिले में संस्थागत क्वारंटाइन पर सबसे कम 23.53 लाख खर्च हुआ. मंडी में 1.78 करोड़ तो कांगड़ा में 1.49 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च संस्थागत क्वारंटाइन पर किया गया.
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