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सिर्फ अनुभवी अधिवक्ता ही कर सकेंगे निगमों-बोर्डों की तरफ से पैरवी, जल्द नियम किए जाएंगे तय

हिमाचल हाइकोर्ट के निर्देशों के मुताबिक देश में अब निगमों-बोर्डों में किसी भी अधिवक्ता की नियुक्ति नहीं की जा सकेगी. अब अनुभवी अधिवक्ता को ही निगम-बोर्ड जिला स्तर पर अपने केस लड़ने के लिए नियुक्त कर सकेंगे.

Himachal High Court
हिमाचल हाइकोर्ट
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Published : Feb 19, 2021, 10:30 PM IST

शिमला: प्रदेश में अब निगमों-बोर्डों में किसी भी अधिवक्ता की नियुक्ति नहीं की जा सकेगी. हाईकोर्ट के निर्देशों का बाद गृह और विधि विभाग ने मिलकर नियम तय किए हैं. अब अनुभवी अधिवक्ता को ही निगम-बोर्ड जिला स्तर पर अपने केस लड़ने के लिए नियुक्त कर सकेंगे. हालांकि कैबिनेट की बैठक इस मामले पर चर्चा होगी. कैबिनेट की मंजूरी के बाद ही इन नियमों को लोगू किया जाएगा.

निगमों और बोर्ड के केस लड़ने के लिए नियम होंगे तय

हिमाचल हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिए थे कि जिला स्तर पर निगमों और बोर्डों के केस लड़ने वाले अधिवक्ता के लिए कुछ दायरा तय किया जाए, लेकिन काफी लंबे समय से प्रदेश सरकार ने यह नियम तय नहीं किए थे.

ऐसे में हाइकोर्ट ने प्रदेश सरकार से मामले पर जवाब मांगा था जिसके बाद प्रदेश सरकार के विधि विभाग और गृह विभाग ने मिलकर यह नियमावली तैयार किए हैं. साथ ही एक अधिवक्ता की जगह पैनल के तौर पर नियुक्ति होगी, ताकि एक अधिवक्ता के उपलब्ध न होने पर दूसरे की मदद ली जा सके. वहीं, अधिवक्ता के लिए पास तीन से पांच साल का अनुभव का नियम अनिवार्य किया जा सकता है. कोर्ट में अगले महीने में इस मामले में सुनावई होगी.

पढ़ें: देहरा में CU के भवन निर्माण का रास्ता साफ, भूमि सीयू के नाम ट्रांसफर

शिमला: प्रदेश में अब निगमों-बोर्डों में किसी भी अधिवक्ता की नियुक्ति नहीं की जा सकेगी. हाईकोर्ट के निर्देशों का बाद गृह और विधि विभाग ने मिलकर नियम तय किए हैं. अब अनुभवी अधिवक्ता को ही निगम-बोर्ड जिला स्तर पर अपने केस लड़ने के लिए नियुक्त कर सकेंगे. हालांकि कैबिनेट की बैठक इस मामले पर चर्चा होगी. कैबिनेट की मंजूरी के बाद ही इन नियमों को लोगू किया जाएगा.

निगमों और बोर्ड के केस लड़ने के लिए नियम होंगे तय

हिमाचल हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिए थे कि जिला स्तर पर निगमों और बोर्डों के केस लड़ने वाले अधिवक्ता के लिए कुछ दायरा तय किया जाए, लेकिन काफी लंबे समय से प्रदेश सरकार ने यह नियम तय नहीं किए थे.

ऐसे में हाइकोर्ट ने प्रदेश सरकार से मामले पर जवाब मांगा था जिसके बाद प्रदेश सरकार के विधि विभाग और गृह विभाग ने मिलकर यह नियमावली तैयार किए हैं. साथ ही एक अधिवक्ता की जगह पैनल के तौर पर नियुक्ति होगी, ताकि एक अधिवक्ता के उपलब्ध न होने पर दूसरे की मदद ली जा सके. वहीं, अधिवक्ता के लिए पास तीन से पांच साल का अनुभव का नियम अनिवार्य किया जा सकता है. कोर्ट में अगले महीने में इस मामले में सुनावई होगी.

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