शिमलाः संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर हिमाचल किसान सभा और अखिल भारतीय किसान सभा की राज्य इकाई ने भारतीय खाद्य निगम के महाप्रबंधक के नाम देश के प्रधानमंत्री व प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा. इसके साथ ही किसान सभा के कार्यकर्ताओं ने भारतीय खाद्य निगम को बचाने, कृषि कानूनों को वापस लेने और प्रदेश में अनाज, फल-सब्जियों और दूध पर न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने के मुद्दों पर जोरदार नारेबाजी की. संयुक्त किसान मोर्चा के राज्य वित्त सचिव सत्यवान पुण्डीर ने बताया कि ज्ञापन के माध्यम से हिमाचल किसान सभा खाद्य एवं कृषि से सम्बन्धित कुछ केन्द्रीय व कुछ राज्यस्तरीय मामलों पर केन्द्र और राज्य सरकार का ध्यानाकर्षण चाहती है.
देश की सुरक्षा के लिए आवश्यक
हिमाचल किसान सभा का कहना है कि भारतीय खाद्य निगम से अनाज व अन्य फसल की खरीद से न केवल सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से देश के करोड़ों गरीब परिवारों को सस्ता राशन मुहैया होता है, बल्कि इससे देश की खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित होती है. किसी भी आपदा या संकट के समय के लिए देश को खाद्य वस्तुओं के मामले में आत्मनिर्भर होना देश की सुरक्षा के लिए अति आवश्यक है.
खाद्य भंडारण में आएगी कमी
हिमाचल किसान सभा का कहना है कि कृषि कानूनों से खाद्य सुरक्षा के लिए जरूरी खाद्य भंडारण में कमी आएगी. इसका सबसे ज्यादा प्रभाव किसानों और उपभोक्ताओं पर पड़ेगा. प्रदेश के 90 प्रतिशत लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं तथा 62 प्रतिशत लोग सीधे तौर पर कृषि पर निर्भर हैं. राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि व इससे जुड़े क्षेत्रों का लगभग 13.62 प्रतिशत योगदान है.
प्रदेश में खरीद केन्द्रों और भंडारण की उपयुक्त सुविधा न होने के कारण प्रदेश के किसानों को अपना गेहूं, धान, चावल व मक्की पड़ोसी प्रदेशों की मंडियों में बेचना पड़ता है. आने वाले समय के लिए जिस ढंग से फसलों की सरकारी खरीद को नियंत्रित किये जाने की कोशिश की जा रही है. उन स्थितियों में प्रदेश के किसान को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.
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