शिमला: राजधानी शिमला में सड़कों और गलियों में घूमने वाले आवारा कुत्तों को अब घर मिलना शुरू हो गया है. नगर निगम के आह्वान के बाद अब तक 20 लोगों ने 33 कुत्तों को गोद लेने के लिए आवेदन किया है. आवारा कुत्तों को गोद लेने वालों को नगर निगम सम्मानित भी कर रहा है.
शनिवार को नगर निगम की महापौर ने आवेदनकर्ताओं को स्ट्रीट डॉग्स को गोद दिया. साथ ही इन स्ट्रीट डॉग्स को पट्टा और फीड भी दी गई. नगर निगम की मासिक बैठक में स्ट्रीट डॉग्स को गोद लेने वाले 5 लोगों को सम्मानित किया गया. एंटी रेबीज और वेक्सिनेशन करने के बाद इन डॉग्स को लोगों को सौंपा जा रहा है.
वहीं, इन आवारा कुत्तों को गोद लेने के लिए स्कूली बच्चे आगे आ रहे हैं. ताराहाल और न्यू शिमला डीएवी स्कूल की छात्राओं ने आवारा कुत्ते गोद लिए हैं. इन बच्चों का कहना है कि सड़कों पर ऐसे ही बेजुबान कुत्ते के बच्चे वो घर ले गए और घर वाले भी उन्हें इन कुत्तों को पालने के लिए राजी हो गए. साथ ही अच्छे से इन कुत्तों की देखभाल कर रहे हैं.
बच्चों ने शहर के अन्य लोगों से इन कुत्तों को गोद लेने की अपील की, ताकि इनकी अच्छे से देखभाल हो सके. वहीं, जाखू वार्ड से हिमांशी शर्मा ने कहा कि उन्होंने एक साल से तीन कुत्तों को गोद लिया है. नगर निगम का दावा है कि आवारा कुत्तों को गोद लेने का प्रोग्राम चलाने वाला शिमला पहला शहर बन गया है. महापौर कुसुम सदरेट ने कहा कि शिमला शहर में आवारा कुत्ते परेशानी का कारण बने हुए है. इसी को देखते हुए डॉग अडॉप्ट प्रोग्राम शुरू किया गया है. साथ ही लोगों से कुत्तों को गोद लेने की अपील की है.
कुसुम सदरेट ने कहा कि शहर के 20 लोगों ने 33 कुत्तों को गोद लेने के लिए आवेदन किया है, जोकि खुशी की बात है. शहर में अन्य लोगों को भी कुत्तों को गोद लेने के लिए प्रेरित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि जो लोग आवारा कुत्तों को गोद ले रहे हैं उन्हें मुफ्त में कार पार्किंग के अलावा कूड़ा शुल्क भी माफ किया जा रहा है. साथ ही कुत्तों की वेक्सिनेशन करने के साथ पूरा ध्यान भी नगर निगम द्वारा रखा जाएगा.
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