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14 या 15 जनवरी आखिर कब है मकर संक्रांति, जानें इसका धार्मिक महत्व - Lohri Celebration

Makar Sankranti: इस बार 14 जनवरी यानी रविवार को मकर संक्रांति पर मनाई जाएगी. मकर संक्रांति पर नदी में स्नान और दान पुण्य का बड़ा महत्व है. हर साल मकर संक्रांति पर लाखों अपने-अपने शहर और गांवों में नदियों में आस्था की डुबकी लगाते हैं.

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 13, 2024, 7:35 PM IST

शिमला: इस साल मकर संक्रांति को लेकर लोगों में संशय की स्थिति बनी हुई है. लोगों में कंफ्यूजन है कि वह 14 जनवरी या फिर 15 जनवरी कब वह शाही स्नान कर व्रत रखें और दान करें. पंचांग के अनुसार इस साल मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को ही मनाया जाएगा. वहीं, त्यौहारों को लेकर तिल, मूंगफली, रामदाना, गच्चक, रेवड़ी व बादाम के बने आइटम लोगों द्वारा पसंद किए जा रहे हैं. राजधानी में इस मौके पर विभिन्न जगहों पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है.

पंडित मस्त राम शर्मा ने बताया कि उन्होंने मकर संक्रांति की तिथि को लेकर चल रहे संशय को लेकर कहा 14 जनवरी को मकर संक्रांति है. उन्होंने बताया कि शास्त्रों और पंचांग के अनुसार यह पर्व रविवार को ही मनाया जाएगा. मकर संक्रांति के दिन से सूर्य की उत्तरायण गति प्रारंभ होती है, इसलिए इसको उत्तरायणी भी कहते हैं. दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि यानी नकारात्मकता का प्रतीक और उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है. इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है.

उन्होंने कहा 14 जनवरी को मकर संक्रांति का व्रत किया जा सकता है और इस दिन तीर्थ स्थलों में स्नान का विशेष महत्व है. वहीं, दान पुण्य करने वाले लोग 15 जनवरी को भी दान कर सकते हैं. हिमाचल में मकर संक्रांति पर तत्तापानी में स्नान का बड़ा महत्व है. इस दिन सैंकड़ो लोग आस्था की डुबकी लगाते है. प्रशासन की तरफ से भी खास व्यवस्था की जाती है. पंडित मस्त राम ने कहा कि मान्यता है कि मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने और नदी में नहाने पर विशेष पुण्य मिलता है.

ये भी पढ़ें: कुल्लू के बाजारों में लोहड़ी की रौनक, खूब हो रही मूंगफली-रेवड़ी और गच्चक की खरीददारी

शिमला: इस साल मकर संक्रांति को लेकर लोगों में संशय की स्थिति बनी हुई है. लोगों में कंफ्यूजन है कि वह 14 जनवरी या फिर 15 जनवरी कब वह शाही स्नान कर व्रत रखें और दान करें. पंचांग के अनुसार इस साल मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को ही मनाया जाएगा. वहीं, त्यौहारों को लेकर तिल, मूंगफली, रामदाना, गच्चक, रेवड़ी व बादाम के बने आइटम लोगों द्वारा पसंद किए जा रहे हैं. राजधानी में इस मौके पर विभिन्न जगहों पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है.

पंडित मस्त राम शर्मा ने बताया कि उन्होंने मकर संक्रांति की तिथि को लेकर चल रहे संशय को लेकर कहा 14 जनवरी को मकर संक्रांति है. उन्होंने बताया कि शास्त्रों और पंचांग के अनुसार यह पर्व रविवार को ही मनाया जाएगा. मकर संक्रांति के दिन से सूर्य की उत्तरायण गति प्रारंभ होती है, इसलिए इसको उत्तरायणी भी कहते हैं. दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि यानी नकारात्मकता का प्रतीक और उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है. इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है.

उन्होंने कहा 14 जनवरी को मकर संक्रांति का व्रत किया जा सकता है और इस दिन तीर्थ स्थलों में स्नान का विशेष महत्व है. वहीं, दान पुण्य करने वाले लोग 15 जनवरी को भी दान कर सकते हैं. हिमाचल में मकर संक्रांति पर तत्तापानी में स्नान का बड़ा महत्व है. इस दिन सैंकड़ो लोग आस्था की डुबकी लगाते है. प्रशासन की तरफ से भी खास व्यवस्था की जाती है. पंडित मस्त राम ने कहा कि मान्यता है कि मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने और नदी में नहाने पर विशेष पुण्य मिलता है.

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