शिमला: भारतीय जनता पार्टी खुद को पार्टी विद ए डिफरेंस कहती है, लेकिन भाजपा में अंदरखाने नेताओं के बीच डिफरेंस देखने को मिल रहे हैं. गुटबाजी किसी भी दल के लिए नई बात नहीं है, परंतु पार्टी विद ए डिफरेंस के मिशन रिपीट को यही गुटबाजी पलीता लगा सकती है.
बात चाहे रमेश ध्वाला वर्सेस पवन राणा हो या फिर बिलासुपर के कार्यकर्ताओं की विधायकों से नाराजगी, ये विवाद भाजपा को भारी पड़ सकते हैं. वहीं, प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप के विधानसभा क्षेत्र में भी नाराजगी के स्वर उभरे थे.
फिर भाजपा सरकार के ताकतवर मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर और सरकाघाट के विधायक कर्नल इंद्र सिंह ठाकुर भी एक लोकार्पण समारोह को लेकर आमने-सामने हो गए थे. कांगड़ा की खींचतान का सभी को पता है. गुटबाजी के कोढ़ में खाज ये हुई कि कुल्लू में वीवीआईपी सुरक्षा में थप्पड़बाजी और फिर धर्मशाला में पार्टी के युवा विधायक के घरेलू विवाद में भाजपा की फजीहत.बेशक ये दो घटनाएं अलग-अलग संदर्भ लिए हुए हैं, परंतु इसका असर तो पार्टी विद ए डिफरेंस पर पड़ा ही है. यहां हम, भाजपा के मिशन रिपीट के रास्ते में आ रही गुटबाजी और आपसी मतभेद पर बात करेंगे.
धूमल खेमा बड़ी चुनौती
पहले बात पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की करने तो उनका समीरपुर में दरबार बढ़ता ही जा रहा है. हिमाचल के अलावा पंजाब, हरियाणा और जम्मू कश्मीर के दिग्गज नेता भी समीरपुर पहुंच रहे हैं. इसके अलावा जब प्रेम कुमार धूमल और केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर (Union Minister of State for Finance Anurag Thakur) पार्टी कोर कमेटी की बैठक में शामिल होने शिमला आए थे तो उनका दरबार भी खूब सुर्खियों में रहा. आमजन से लेकर सूबे के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर तक उनके दरबार में हाजरी लगाने पहुंचे थे. धूमल खेमा उनको प्रेम कुमार धूमल को फिर से मुख्यमंत्री के तौर पर देख रहा है. मिशन रिपीट में पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती इसी मसले का हल निकालना होगी.
प्रदेश सरकार के सबसे ताकतवर मंत्री महेंद्र सिंह की करें तो पिछले दिनों सरकाघाट के मुख्य बाजार में 45 लाख से बनने वाले पार्क को लेकर जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर व विधायक कर्नल इंद्र सिंह ठाकुर आमने-सामने हो गए. विधायक ने इसका शिलान्यास कर काम शुरू करवाया, लेकिन जलशक्ति मंत्री ने बाजार का दौरा करके पार्क के निर्माण को तुरंत बंद करने के आदेश दिए हैं.
मंत्री के क्षेत्र में दखल से कार्यकर्ताओं में भारी रोष देखा गया. जिसके बाद विधायक कर्नल इंद्र सिंह ने कहा कि काम किसी भी हाल से बंद नहीं होगा और अतिक्रमण हर हालत में हटाया जाएगा. सात जून को पुराने बस स्टैंड में सुंदरीकरण और पार्क को लेकर विधायक कर्नल इंद्र सिंह ने शिलान्यास किया था.
विधायक कर्नल इंद्र सिंह और महेंद्र सिंह में तकरार
नगर परिषद के अधीन बनने वाले इस पार्क का 45 लाख रुपये का टेंडर लोक निर्माण विभाग द्वारा ठेकेदार को आवंटित किया गया था. ठेकेदार ने पार्क का काम शुरू कर दिया था, परंतु बीच में बाजार में हुए अवैध कब्जे न हटाए जाने को लेकर ठेकेदार ने काम बंद कर दिया था. वहीं व्यापारी इस मामले को लेकर जलशक्ति मंत्री के समक्ष गए थे. इसके बाद मंत्री ने बाजार का निरीक्षण कर काम बंद करवाने के आदेश दिए हैं.
इससे पहले भी कई मामलों में जल शक्ति मंत्री का सरकाघाट विधानसभा क्षेत्र में सीधा हस्तक्षेप होने से सरकाघाट की जनता में रोष है इसका एक उदाहरण जिला परिषद चुनाव प्रचार के समय भी देखने को मिल चुका है जब चुनाव प्रचार करने आये मंत्री का लोगों ने विरोध किया और मंत्री को वापस लौटना पड़ा.
इन सब घटनाओं का असर मंडी लोकसभा उप चुनाव पर पड़ना लाजमी है. इसके अलावा 2022 के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी की स्थिति कमजोर हो सकती है. अब बात संगठन के सबसे ताकतवर पद यानी संगठन मंत्री की करें तो पवन राणा और ज्वालामुखी के विधायक रमेश धवाला के बीच का विवाद किसी से छुपा नहीं है.
पवन राणा के हस्तक्षेप से ध्वाला नाराज
इनके बीच ज्वालामुखी भाजपा मंडल कार्यकारिणी को भंग करने पर हुआ विवाद तो दिल्ली दरबार तक जा पहुंचा था. उस दौरान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को दिल्ली में पार्टी हाईकमान के समक्ष जाकर स्पष्टीकरण देना पड़ा था. मंडल भांग करने के बाद रमेश धवाला समर्थकों पर गाज गिरी थी. इस कारण धवाला पहले सीएम जयराम ठाकुर और अब शांता कुमार से मिले. दोनों लंबी बातचीत की हुई.
पार्टी प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कश्यप के विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो वहां की वास्तविक स्थिति भी उपचुनावों के समय सबके सामने आ गई थी. जब पार्टी के दो बफादार सिपाही बागी होकर चुनाव मैदान में उतरे थे हालांकि बाद में एक को मना लिया गया और दयाल प्यारी ने ही निर्दलीय चुनाव लड़ा. हालांकि इन चुनावों में भाजपा की जीत हुई, लेकिन लोगों का विरोध शांत नहीं हुआ. कुछ दिन पहले भी क्षेत्र के कई नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष के समक्ष त्यागपत्र तक कि पेशकश कर दी थी. इसके अलावा अध्यक्ष पद से हटाने के बाद सिरमौर और जिला में बिंदल की सक्रियता काफी कम हो गई है. जिसका खामियाजा सोलन नगर निगम चुनाव में हार के रूप में भाजपा झेल चुकी है.
'कांगड़ा में भाजपा की स्थिति दुबली'
प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा की बात करें तो यहां भी भाजपा की स्थिति संतोषजनक नहीं दिख रही है. वर्तमान विधानसभा में संगठन के सबसे पुराने सिपाही विपिन परमार को मंत्री पद से हटाकर विधानसभा अध्यक्ष बनाने के बाद जिला में उनकी सक्रियता बेहद सीमित हो गई है.
अब इस नाराजगी समझें या विधानसभा अध्यक्ष का प्रोटोकॉल, लेकिन नुकसान भाजपा का ही है. इसके अलावा हाल ही में धर्मशाला से विधायक विशाल नैहरिया (MLA Vishal Naihariya) का घरेलू विवाद भी पार्टी की काफी फजीहत करवा गया है. जिला की दिग्गज नेता और मंत्री सरवीण चौधरी को सरकार द्वारा नजरअंदाज किया जाना पार्टी को भारी पड़ सकता है.
बगावत समय रहते करनी होगी शांत
कांगड़ा में अच्छा खासा चौधरी वोट बैंक है ऐसे में रमेश धवाला के बाद सरवीण चौधरी का किनारा करना पार्टी को भारी पड़ सकता है. जिला से अन्य मंत्रियों राकेश पठानिया और बिक्रम सिंह की मुश्किलें भी कम होने का नाम नहीं ले रही हैं दोनों के ही विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी के बागियों को संगठन की तरफ से आश्वासन देकर शांत किया गया था, लेकिन सरकार बनने के बाद वादे पूरे नही हुए अब भाजपा के बागियों ने चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी शुरू कर दी.
अगर भाजपा ने बगावत को समय रहते शांत नहीं किया तो आने वाले चुनावों में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.
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