शिमला: हिमाचल सरकार ने निराश्रित बच्चों के लिए सुख आश्रय बिल पारित कर दिया है. गुरुवार को इसको सदन ने पारित कर दिया. मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि देश के किसी भी राज्य में यह अपनी तरह का पहला बिल है जो अनाथ बच्चों को उनकी शिक्षा, घर व स्वरोजगार के लिए धन का हक देता है. उन्होंने कहा कि सरकार ने इसके लिए 101 करोड़ की फंड बनाया है, इस फंड में उन्होंने अपना पहला वेतन दिया है और कांग्रेस के विधायक ने भी इसमें एक एक लाख दिए हैं. उन्होंने विपक्ष के विधायकों से कहा कि वे भी इसमें अपना योगदान दे सकते हैं.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि इस बिल के माध्यम से हम समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने की कोशिश कर रही है. जिनकी आवाज 75 साल तक नहीं सुनी गई. सीएम ने साफ किया कि हिमाचल सुखाश्रय एक ऐसी योजना है. जोकि किसी के नाम से नहीं रखी गई है. यह एक ऐसे योजना है जिसमें अनाथालय में रहने वाले और जो मृत्यु के बाद रिश्तेदार या अन्यों के पास रहने वाले 0 से 27 साल के बच्चे चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट बन गए हैं. उन्होंने कहा कि इसमें यह प्रावधान किया गया है कि अगर कोई बच्चा उच्च शिक्षा जैसे आईआईटी, एमबीबीएस, बीएससी नर्सिंग या अन्य उच्च शिक्षा चाहता है, उसकी पूरी फीस सरकार देगी. इसके अलावा हॉस्टल की फीस के साथ-साथ 4 हजार पॉकेट मनी भी सरकार देगी.
यही नहीं ये बच्चे साल में एक बार शैक्षणिक टूर पर जाएंगे और यह टूर हवाई जहाज से करवाया जाएगा और थ्री स्टार होटलों में इनको ठहरने की सुविधा सरकार देगी. इसके अलावा कपड़ों के लिए भी 10 हजार सरकार देगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों को इस योजना के तहत अधिकार मिले, यह उनका अधिकार होगा. स्टार्ट अप के लिए इस योजना के माध्यम से सरकार धन उपलब्ध कराएगी.
सीएम सुक्खू ने कहा कि 27 साल के बाद अगर इन बच्चों के पास पास जगह नहीं दो तीन से चार बिस्वा जगह सरकार देगी और साथ में घर बनाने के लिए भी पैसे सरकार उपलब्ध करवाएगी. इससे पहले विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार ने इस बिल में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के प्रावधान को शामिल किया है. उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार केंद्र की योजनाओं को नाम बदलकर नई योजनाएं चला रही हैं.
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