शिमला: उत्तराखंड त्रासदी में हिमाचल के लापता लोगों का आंकड़ा दस तक पहुंच गया है. यह सूचना मिलते ही प्रदेश से इनके परिजन उत्तराखंड रवाना हो गए थे. अब प्रदेश सरकार की तरफ से सेक्रेटरी रेवेन्यू जल्द ही उत्तराखंड रवाना होंगे. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि वहां पर परिजनों की व्यवस्था और प्रदेश की तरफ से मौके पर क्या कुछ सहायता की जा सकती है, इसके लिए हम एक अधिकारी को उत्तराखंड भेज रहे हैं.
उत्तराखंड सरकार से कर रहे संपर्क
सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार लगातार उत्तराखंड सरकार से संपर्क में हैं. प्रदेश सरकार की पहली प्राथमिकता यह है कि दबे लोगों के परिजन जो यहां से उत्तराखंड पहुंचे हैं उनकी व्यवस्था ठीक से हो. इसके अलावा राहत और बचाव कार्यों में किस प्रकार सहायता की जा सकती है यह भी देखा जाएगा. मुख्यमंत्री ने कहा उन्होंने उतराखंड के मुख्यमंत्री से बात की है और पूरा विवरण मांगा गया है.
प्रदेश के 10 लोग हैं लापता
प्रदेश के जो दस लोगों में से 5 लोग रामपुर की किन्नू पंचायत जबकि दो लोग शिंगला पंचायत के हैं. शिंगला पंचायत के पवन और राकेश की उम्र तीस साल के आस पास है. एक व्यक्ति पालमपुर का और एक व्यक्ति पांवटा का जीत सिंह ठाकुर, एक मंडी ज़िला के करसोग तहसील का गुरमीत वर्मा लापता बताया जा रहा है. त्रासदी के बाद से इन लोगों की कोई जानकारी नहीं मिल पाई है. अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व आरडी धीमान ने कहा कि सरकार के पास लापता हुए दस लोगों की जानकारी पहुंच चुकी हैं.
उत्तराखंड हादसे में 36 शव बरामद
उत्तराखंड त्रासदी में अबतक 36 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं. वहीं, अभी भी करीब 171 लोग लापता हैं. तपोवन की सुरंग में भी 35 लोग फंसे हुए बताए जा रहे हैं, जिन्हें बचाने के लिए युद्धस्तर पर काम चल रहा है. एनडीआरएफ, सेना और एसडीआरएफ का ज्वाइंट ऑपरेशन जारी है.
लापता लोगों से नहीं हो पा रहा संपर्क
रामपुर से गए सात लोगों में से एक कैलाश नामक ठेकेदार है. जिस दिन हिमखंड आने की वजह से बाढ़ आई और ऋषिगंगा पर निर्माणाधीन बिजली परियोजना तबाह हो गई. उसी दिन रामपुर से लोग चमोली के लिए चले गए थे. अभी तक किसी भी लापता व्यक्ति से कोई संपर्क नहीं हुआ है. घटना स्थल पर मौजूद वहां के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी में रामपुर प्रशासन से बात करते हुए कहा कि तीस से चालीस फुट का मलबा है. उसे निकालने में समय लगेगा और ये लोग जहां फंसे हुए बताए जा रहे हैं. वहां से अभी तक किसी को भी निकाला नहीं जा सका है. इन लोगों के परिजनों की भी वहां के अधिकारियों से बात करवाई गई है. पहले इन लोगों को परियोजना स्थल तक नहीं जाने दिया जा रहा था, लेकिन बात करने के बाद उन्हें परियोजना स्थल पर जाने दिया गया है.
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