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सीनियर को नहीं दिया जा सकता जूनियर कर्मचारी से कम वेतन: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट - himachal pradesh news

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि सीनियर कर्मचारी को जूनियर कर्मचारी से कम वेतन नहीं दिया जा सकता. यतींद्र नाथ शर्मा ने इस मामले में अदालत ने याचिका दाखिल की थी. याचिका की सुनवाई न्यायाधीश न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की एकल पीठ के समक्ष हुई. पढ़ें पूरा मामला...

Himachal Pradesh High Court
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट
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Published : Dec 3, 2022, 8:32 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि सीनियर कर्मचारी को जूनियर कर्मचारी से कम वेतन नहीं दिया जा सकता. मामला राज्य के तकनीकी शिक्षा विभाग से जुड़ा है. यहां एक दिन के अंतराल में हुई नियुक्ति में प्रमोशन के बाद सीनियोरिटी का मसला पैदा हो गया था. इसी पर हाई कोर्ट ने बड़ी व्यवस्था दी है. यतींद्र नाथ शर्मा ने इस मामले में अदालत ने याचिका दाखिल की थी. याचिका की सुनवाई न्यायाधीश न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की एकल पीठ के समक्ष हुई.

याचिका में दर्ज तथ्यों के अनुसार प्रार्थी यतींद्र नाथ शर्मा 9 फरवरी 2000 को तकनीकी शिक्षा विभाग में मैकेनिकल इंजीनियर के पद पर नियुक्त हुए थे. इसी बीच, एक ही दिन के अंतराल में यानी 10 फरवरी 2000 को अशोक भारद्वाज की नियुक्ति भी मैकेनिकल इंजीनियर के पद पर ही हुई. इस तरह सीनियोरिटी लिस्ट में प्रार्थी यतींद्र शर्मा का नाम अशोक भारद्वाज से ऊपर दर्शाया गया था.

फिर बाद में 26 मार्च 2015 को प्रार्थी यतींद्र शर्मा हेड ऑफ डिपार्टमेंट (मैकेनिकल इंजीनियरिंग) के पद पर प्रमोट हो गया. उसी दिन अशोक भारद्वाज को भी सीनियर लेक्चरर मैकेनिकल इंजीनियर के पद पर प्रमोट किया गया. फिर 3 फरवरी 2016 को अशोक कुमार को हेड ऑफ डिपार्टमेंट के पद पर प्रमोट किया गया. बाद में हुआ यूं कि पहली अप्रैल 2016 के बाद अशोक कुमार भारद्वाज को प्रार्थी यतींद्र शर्मा से अधिक वेतन मिलना शुरू हो गया.

प्रार्थी यतींद्र शर्मा ने बराबर वेतन के लिए विभाग को प्रतिवेदन भेजा. याचिका में दिए गए तथ्यों में प्रार्थी के अनुसार वह वरिष्ठ प्रवक्ता के पद के लिए वर्ष 2005 में ही पात्रता रखता था, लेकिन वरिष्ठ प्रवक्ता के पदों के खाली होने पर भी तकनीकी शिक्षा विभाग ने उन पदों पर समय से डीपीसी के जरिए नियुक्ति नहीं की. इस कारण वह 2015 तक सीनियर लेक्चरर के पद पर प्रमोट नहीं हो सका. इसी कारण प्रार्थी को सीधे हेड ऑफ डिपार्टमेंट के पद पर 26 मार्च 2015 को प्रमोशन दी गई.

अदालत ने प्रार्थी की दलीलों से सहमति जताते हुए प्रतिवादी तकनीकी शिक्षा विभाग को यह आदेश जारी किए कि वह प्रार्थी को 1 अप्रैल 2016 से उसके जूनियर अशोक भारद्वाज के बराबर वेतन अदा करे. न्यायाधीश सत्येन वैद्य ने आदेश जारी किए हैं कि प्रार्थी का जितना भी बकाया वेतन बनता है उसे 2 माह के भीतर अदा कर दिया जाए. ऐसा न करने पर तकनीकी शिक्षा विभाग को पहली अप्रैल 2016 से बकाया वेतन 9 फीसदी ब्याज सहित अदा करना होगा.

ये भी पढ़ें- हिमाचल पुलिस कांस्टेबल भर्ती पेपर लीक मामले की जांच करेगी सीबीआई, दर्ज किया केस

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि सीनियर कर्मचारी को जूनियर कर्मचारी से कम वेतन नहीं दिया जा सकता. मामला राज्य के तकनीकी शिक्षा विभाग से जुड़ा है. यहां एक दिन के अंतराल में हुई नियुक्ति में प्रमोशन के बाद सीनियोरिटी का मसला पैदा हो गया था. इसी पर हाई कोर्ट ने बड़ी व्यवस्था दी है. यतींद्र नाथ शर्मा ने इस मामले में अदालत ने याचिका दाखिल की थी. याचिका की सुनवाई न्यायाधीश न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की एकल पीठ के समक्ष हुई.

याचिका में दर्ज तथ्यों के अनुसार प्रार्थी यतींद्र नाथ शर्मा 9 फरवरी 2000 को तकनीकी शिक्षा विभाग में मैकेनिकल इंजीनियर के पद पर नियुक्त हुए थे. इसी बीच, एक ही दिन के अंतराल में यानी 10 फरवरी 2000 को अशोक भारद्वाज की नियुक्ति भी मैकेनिकल इंजीनियर के पद पर ही हुई. इस तरह सीनियोरिटी लिस्ट में प्रार्थी यतींद्र शर्मा का नाम अशोक भारद्वाज से ऊपर दर्शाया गया था.

फिर बाद में 26 मार्च 2015 को प्रार्थी यतींद्र शर्मा हेड ऑफ डिपार्टमेंट (मैकेनिकल इंजीनियरिंग) के पद पर प्रमोट हो गया. उसी दिन अशोक भारद्वाज को भी सीनियर लेक्चरर मैकेनिकल इंजीनियर के पद पर प्रमोट किया गया. फिर 3 फरवरी 2016 को अशोक कुमार को हेड ऑफ डिपार्टमेंट के पद पर प्रमोट किया गया. बाद में हुआ यूं कि पहली अप्रैल 2016 के बाद अशोक कुमार भारद्वाज को प्रार्थी यतींद्र शर्मा से अधिक वेतन मिलना शुरू हो गया.

प्रार्थी यतींद्र शर्मा ने बराबर वेतन के लिए विभाग को प्रतिवेदन भेजा. याचिका में दिए गए तथ्यों में प्रार्थी के अनुसार वह वरिष्ठ प्रवक्ता के पद के लिए वर्ष 2005 में ही पात्रता रखता था, लेकिन वरिष्ठ प्रवक्ता के पदों के खाली होने पर भी तकनीकी शिक्षा विभाग ने उन पदों पर समय से डीपीसी के जरिए नियुक्ति नहीं की. इस कारण वह 2015 तक सीनियर लेक्चरर के पद पर प्रमोट नहीं हो सका. इसी कारण प्रार्थी को सीधे हेड ऑफ डिपार्टमेंट के पद पर 26 मार्च 2015 को प्रमोशन दी गई.

अदालत ने प्रार्थी की दलीलों से सहमति जताते हुए प्रतिवादी तकनीकी शिक्षा विभाग को यह आदेश जारी किए कि वह प्रार्थी को 1 अप्रैल 2016 से उसके जूनियर अशोक भारद्वाज के बराबर वेतन अदा करे. न्यायाधीश सत्येन वैद्य ने आदेश जारी किए हैं कि प्रार्थी का जितना भी बकाया वेतन बनता है उसे 2 माह के भीतर अदा कर दिया जाए. ऐसा न करने पर तकनीकी शिक्षा विभाग को पहली अप्रैल 2016 से बकाया वेतन 9 फीसदी ब्याज सहित अदा करना होगा.

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