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जेटली के निधन पर शोकाकुल रही हिमाचल विधानसभा, जयराम बोले- CM बनने पर दिए थे सरकार चलाने के सूत्र - अरुण जेटली के निधन पर सीएम जयराम

भाजपा के कद्दावर नेता अरुण जेटली के निधन पर हिमाचल विधानसभा शोकाकुल रही. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री और अन्य नेताओं ने अरुण जेटली से जुड़ी स्मृतियां सांझा की. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने जेटली को याद करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें दिल्ली में अरुण जेटली से एक मुलाकात के दौरान सरकार चलाने के सूत्र मिले.

मानसून सत्र के दौरान सदन में बोलते सीएम जयराम ठाकुर.
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Published : Aug 27, 2019, 1:20 AM IST

शिमला: सीएम ने बताया कि सीएम बनने के बाद अरुण जेटली से उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला. सदन में सीएम के अलावा विपक्ष ने अरुण जेटली के छात्र राजनीति से लेकर वकालत और फिर देश के बड़े राजनेता के सफर को याद किया और उन्हें बहुआयामी व्यक्तित्व का मालिक बताया.

बता दें कि अरुण जेटली पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के दृष्टि पत्र को जारी करने हिमाचल आए थे. जेटली कई मुकदमों के सिलसिले में भी हिमाचल आते रहते थे. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के वकीलों से उनके बहुत नजदीकी रिश्ते थे. केंद्र में रहते हुए उन्होंने हिमाचल के हितों की भी पैरवी की. इन सब बातों को लेकर विधानसभा में उन्हें याद किया गया और भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई. जेटली को श्रद्धांजलि स्वरूप सदन की कार्यवाही मंगलवार तक स्थगित कर दी गई.

शोक उद्गार व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि अरुण जेटली की हिमाचल से कई यादें जुड़ी हुई हैं. उनके निधन से देश ने भी एक कद्दावर नेता खोया है, वो लंबे समय से अस्वस्थ थे औरउनका किडनी प्रत्यारोपण भी हुआ था. ऑपरेशन के बाद वो स्वस्थ हो गए थे और कामकाज भी करते थे, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था. स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने केंद्र की नई सरकार में कोई भी पदभार नहीं संभाला.

मुख्यमंत्री ने कहा कि वित्त मंत्री रहते हुए अरुण जेटली ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए. उनके कार्यकाल में नोटबंदी, वन नेशन, वन टैक्स के तहत जीएसटी लागू करना उनमें से प्रमुख हैं. हिमाचल में वे कई मामलों के सिलसिले में आते थे. हाईकोर्ट में वो वकील के तौर पर आए. उन्होंने कहा कि जेटली शिमला मालरोड घूमने के शौकीन थे और वकीलों से उनके गहरे रिश्ते थे. मुख्यमंत्री ने उनकी प्रखर वक्ता वाली छवि को याद किया. पार्टी हाईकमान कई गंभीर मसलों पर अपना पक्ष रखने के लिए अरुण जेटली को सामने करता था. मुख्यमंत्री ने उनके शब्द चयन की तारीफ की और कहा कि चाहे अदालतों में पार्टी का पक्ष रखना होता था या फिर संसद में या मीडिया में, सब जगह अरुण जेटली फिट बैठते थे.

नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने भी अरुण जेटली के बहुआयामी व्यक्तित्व को याद करते हुए कहा कि वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में जब हिमाचल को शिक्षा के क्षेत्र में सम्मानित किया गया, तो अरुण जेटली के हाथों मैंने ही सम्मान लिया था. मुकेश ने स्मरण किया कि जब वे पहली बार सीपीएस बने थे तो कुछ लोगों ने उस नियुक्ति को अदालत में चुनौती दी. बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट गया तो वहां अरुण जेटली की चंद क्षणों की केस पैरवी के बाद हमारी झंडियां खारिज हो गईं.

सदन में शोक उद्गार व्यक्त करने वालों में सुखविंद्र सिंह सुक्खू, राकेश सिंघा, गोविंद ठाकुर व संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज भी शामिल रहे. इन सभी ने जेटली से जुड़ी यादों को सांझा करने के साथ उनके हिमाचल से लगाव को याद किया. सभई ने कहा कि छात्र राजनीति से लेकर वकालत और फिर राष्ट्रीय राजनीति में बड़े नेता बनने का उनका सफर प्रेरक रहा है.

इस दौरान सदन में उनकी आपातकाल में 19 महीने की जेल को भी रेखांकित किया गया. विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने व्यवस्था दी कि यदि विधानसभा सत्र के दौरान किसी राजनेता का अकस्मात देहांत हो जाता है तो सदन की परंपराओं से अलग हटकर सभी की सहमति से शोक स्वरूप कार्यवाही स्थगित की जा सकती है. सभी ने इस पर सहमति जताई और फिर सदन की कार्यवाही मंगलवार तक स्थगित कर दी गई.

शिमला: सीएम ने बताया कि सीएम बनने के बाद अरुण जेटली से उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला. सदन में सीएम के अलावा विपक्ष ने अरुण जेटली के छात्र राजनीति से लेकर वकालत और फिर देश के बड़े राजनेता के सफर को याद किया और उन्हें बहुआयामी व्यक्तित्व का मालिक बताया.

बता दें कि अरुण जेटली पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के दृष्टि पत्र को जारी करने हिमाचल आए थे. जेटली कई मुकदमों के सिलसिले में भी हिमाचल आते रहते थे. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के वकीलों से उनके बहुत नजदीकी रिश्ते थे. केंद्र में रहते हुए उन्होंने हिमाचल के हितों की भी पैरवी की. इन सब बातों को लेकर विधानसभा में उन्हें याद किया गया और भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई. जेटली को श्रद्धांजलि स्वरूप सदन की कार्यवाही मंगलवार तक स्थगित कर दी गई.

शोक उद्गार व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि अरुण जेटली की हिमाचल से कई यादें जुड़ी हुई हैं. उनके निधन से देश ने भी एक कद्दावर नेता खोया है, वो लंबे समय से अस्वस्थ थे औरउनका किडनी प्रत्यारोपण भी हुआ था. ऑपरेशन के बाद वो स्वस्थ हो गए थे और कामकाज भी करते थे, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था. स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने केंद्र की नई सरकार में कोई भी पदभार नहीं संभाला.

मुख्यमंत्री ने कहा कि वित्त मंत्री रहते हुए अरुण जेटली ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए. उनके कार्यकाल में नोटबंदी, वन नेशन, वन टैक्स के तहत जीएसटी लागू करना उनमें से प्रमुख हैं. हिमाचल में वे कई मामलों के सिलसिले में आते थे. हाईकोर्ट में वो वकील के तौर पर आए. उन्होंने कहा कि जेटली शिमला मालरोड घूमने के शौकीन थे और वकीलों से उनके गहरे रिश्ते थे. मुख्यमंत्री ने उनकी प्रखर वक्ता वाली छवि को याद किया. पार्टी हाईकमान कई गंभीर मसलों पर अपना पक्ष रखने के लिए अरुण जेटली को सामने करता था. मुख्यमंत्री ने उनके शब्द चयन की तारीफ की और कहा कि चाहे अदालतों में पार्टी का पक्ष रखना होता था या फिर संसद में या मीडिया में, सब जगह अरुण जेटली फिट बैठते थे.

नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने भी अरुण जेटली के बहुआयामी व्यक्तित्व को याद करते हुए कहा कि वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में जब हिमाचल को शिक्षा के क्षेत्र में सम्मानित किया गया, तो अरुण जेटली के हाथों मैंने ही सम्मान लिया था. मुकेश ने स्मरण किया कि जब वे पहली बार सीपीएस बने थे तो कुछ लोगों ने उस नियुक्ति को अदालत में चुनौती दी. बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट गया तो वहां अरुण जेटली की चंद क्षणों की केस पैरवी के बाद हमारी झंडियां खारिज हो गईं.

सदन में शोक उद्गार व्यक्त करने वालों में सुखविंद्र सिंह सुक्खू, राकेश सिंघा, गोविंद ठाकुर व संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज भी शामिल रहे. इन सभी ने जेटली से जुड़ी यादों को सांझा करने के साथ उनके हिमाचल से लगाव को याद किया. सभई ने कहा कि छात्र राजनीति से लेकर वकालत और फिर राष्ट्रीय राजनीति में बड़े नेता बनने का उनका सफर प्रेरक रहा है.

इस दौरान सदन में उनकी आपातकाल में 19 महीने की जेल को भी रेखांकित किया गया. विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने व्यवस्था दी कि यदि विधानसभा सत्र के दौरान किसी राजनेता का अकस्मात देहांत हो जाता है तो सदन की परंपराओं से अलग हटकर सभी की सहमति से शोक स्वरूप कार्यवाही स्थगित की जा सकती है. सभी ने इस पर सहमति जताई और फिर सदन की कार्यवाही मंगलवार तक स्थगित कर दी गई.

अरुण जेटली को याद कर बोले जयराम, सीएम बनने के बाद जेटली ने दिए थे सरकार चलाने के सूत्र
शिमला। भाजपा के कद्दावर नेता अरुण जेटली के निधन पर हिमाचल विधानसभा शोकाकुल रही। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री और अन्य नेताओं ने अरुण जेटली से जुड़ी स्मृतियां सांझा की। जयराम ठाकुर ने याद किया कि कैसे मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें दिल्ली में एक मुलाकात में अरुण जेटली से सरकार चलाने के सूत्र मिले। जयराम ठाकुर ने बताया कि सीएम बनने के बाद अरुण जेटली से उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला। सदन में सीएम के अलावा नेता प्रतिपक्ष व अन्य ने अरुण जेटली के छात्र राजनीति से लेकर वकालत और फिर देश के बड़े राजनेता तक के सफर को याद किया और उन्हें बहुआयामी व्यक्तित्व का मालिक बताया। अरुण जेटली पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के दृष्टि पत्र को जारी करने हिमाचल आए थे। वे कई मुकदमों के सिलसिले में भी हिमाचल आते रहे। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के वकीलों से उनके बहुत नजदीकी रिश्ते थे। केंद्र में रहते हुए उन्होंने हिमाचल के हितों की भी पैरवी की। इन सब बातों को लेकर विधानसभा में उन्हें याद किया गया और भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। बाद में उनको श्रद्धांजलि स्वरूप सदन की कार्यवाही मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
शोक उद्गार व्यक्त करते हुए सदन के नेता मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि अरुण जेटली की हिमाचल से कई यादें जुड़ी हुई हैं। उनके निधन से न केवल भाजपा बल्कि देश ने भी एक कद्दावर नेता खोया है। वे लंबे समय से अस्वस्थ थे। उनका किडनी प्रत्यारोपण भी हुआ था। ऑपरेशन के बाद वे स्वस्थ हो गए थे और कामकाज भी करते थे, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने केंद्र की नई सरकार में कोई भी पदभार नहीं संभाला। मुख्यमंत्री ने कहा कि वित्त मंत्री रहते हुए अरुण जेटली ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए। उनके कार्यकाल में नोटबंदी, वन नेशन, वन टैक्स के तहत जीएसटी लागू करना उनमें से प्रमुख है। हिमाचल में वे कई मामलों के सिलसिले में आते थे। हाईकोर्ट में वे वकील के तौर पर आए। शिमला मालरोड घूमने के शौकीन थे और वकीलों से उनके गहरे रिश्ते थे। मुख्यमंत्री ने उनकी प्रखर वक्ता वाली छवि को याद किया। पार्टी हाईकमान कई गंभीर मसलों पर अपना पक्ष रखने के लिए अरुण जेटली को सामने करता था। मुख्यमंत्री ने उनके शब्द चयन की तारीफ की और कहा कि चाहे अदालतों में पार्टी का पक्ष रखना होता था या फिर संसद में अथवा मीडिया में, सब जगह अरुण जेटली फिट थे।
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने भी अरुण जेटली के बहुआयामी व्यक्तित्व को याद किया। उन्होंने कहा, वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में जब हिमाचल को शिक्षा के क्षेत्र में सम्मान घोषित हुआ तो अरुण जेटली के हाथों मैंने ही सम्मान लिया था। मुकेश ने स्मरण किया कि जब वे पहली बार सीपीएस बने थे तो कुछ लोगों ने उस नियुक्ति को अदालत में चुनौती दी। बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट गया तो वहां अरुण जेटली की चंद क्षणों की केस पैरवी के बाद हमारी झंडियां खारिज हो गईं। कहने का तात्पर्य ये था कि सुप्रीम कोर्ट में भी अरुण जेटली की फेस वैल्यू थी। मुकेश ने भी मुख्यमंत्री के उस प्रस्ताव पर अपनी सहमति जताई, जिसमें ये कहा गया था कि जेटली के निधन पर शोक स्वरूप सदन की कार्यवाही स्थगित की जाए। शोक उद्गार व्यक्त करने वालों में सुखविंद्र सिंह सुक्खू, राकेश सिंघा, गोविंद ठाकुर व संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज भी शामिल रहे। इन सभी ने जेटली से जुड़ी यादों को सांझा करने के साथ उनके हिमाचल से लगाव को याद किया। सभई ने कहा कि छात्र राजनीति से लेकर वकालत और फिर राष्ट्रीय राजनीति में बड़े नेता बनने का उनका सफर प्रेरक रहा है। सदन में उनकी आपातकाल में 19 महीने की जेल को भी रेखांकित किया गया। बाद में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने व्यवस्था दी कि यदि विधानसभा सत्र के दौरान किसी राजनेता का अकस्मात देहांत हो जाता है तो सदन की परंपराओं से अलग हटकर सभी की सहमति से शोक स्वरूप कार्यवाही स्थगित की जा सकती है। सभी ने इस पर सहमति जताई और फिर सदन की कार्यवाही मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। 
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