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आदेश की अनुपालना न होने पर हाईकोर्ट की सख्ती, शिक्षा सचिव व निदेशक प्रारंभिक शिक्षा से पूछा, क्यों न उन्हें जेल भेज दिया जाए

कोर्ट के आदेश की अनुपालना न होने पर हिमाचल हाईकोर्ट ने सख्त नाराजगी जाहिर की है. मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार के शिक्षा सचिव व प्रारंभिक शिक्षा विभाग के निदेशक से एक सप्ताह में स्पष्टीकरण मांगा है. साथ कोर्ट ने दोनों अधिकारियों पूछा कि कोर्ट के आदेश की अनुपालना नहीं करने पर क्यों न उन्हें जेल भेज दिया जाए?. पढ़िए पूरी खबर...

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 29, 2023, 7:45 PM IST

शिमला: एक मामले में अदालत की तरफ से जारी आदेश की अक्षरश: अनुपालना न होने पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के शिक्षा सचिव व प्रारंभिक शिक्षा विभाग के निदेशक से सख्त लहजे में पूछा है कि क्यों न उन्हें जेल भेज दिया जाए? अदालत ने दोनों अधिकारियों से एक सप्ताह में स्पष्टीकरण तलब किया है. हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि यदि प्रतिवादी (शिक्षा सचिव व प्रारंभिक शिक्षा निदेशक) अपना स्पष्टीकरण नहीं दे पाए तो यह समझा जायेगा कि उन्हें इस बारे में कुछ नहीं कहना है. इसलिए मामले की अगली सुनवाई के दिन वे जेल जाने के लिए जिम्मेवार स्वयं होंगे. मामले की सुनवाई 11 दिसंबर को निर्धारित की गई है.

इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर व न्यायमूर्ति संदीप शर्मा की खंडपीठ कर रही है. खंडपीठ ने प्रार्थी कुलदीप चंद की तरफ से दाखिल की गई अनुपालना याचिका की सुनवाई के बाद यह आदेश जारी किए. कुलदीप चंद ने हाईकोर्ट की ओर से उसके पक्ष में सुनाए गए निर्णय को लागू करने के लिए याचिका दाखिल की थी. अदालत ने पाया कि 24 अप्रैल 2014 को खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के पक्ष में निर्णय सुनाया था. प्रार्थी ने उसकी सेवाएं 95 फीसदी ग्रांट इन एड नीति के तहत बतौर नियमित अध्यापक ओवर टेक किए जाने की मांग की थी.

हाईकोर्ट की खंडपीठ ने प्रतिवादियों को आदेश दिए थे कि वह ओम प्रकाश बनाम राज्य सरकार वाले मामले में जारी किए गए, आदेशों को देखते हुए प्रार्थी के मामले में भी निर्णय ले. ओम प्रकाश मामले में अदालत ने सरकार को आदेश दिए थे कि वह प्रार्थी को तब से नियमित नियुक्ति प्रदान करे, जब से सरकार ने उसके कॉलेज को 95 फीसदी ग्रांट इन एड नीति के तहत अधिग्रहित किया था. सरकार ने ओम प्रकाश मामले को खंडपीठ के समक्ष अपील के माध्यम से चुनौती दी थी लेकिन विफल रही.

अदालत का कहना था कि यह फैसला प्रार्थी के मामले में भी लागू होना था. इसलिए उसने 24 अप्रैल 2014 के फैसले को लागू करने के लिए अनुपालना याचिका दायर की थी. प्रतिवादियों को उपयुक्त समय देने के बावजूद आदेशों की अनुपालना नहीं की गई. अब अनुपालना याचिका की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. शिक्षा सचिव व प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को 11 दिसंबर की सुनवाई से पहले अपना स्पष्टीकरण दाखिल करना है. ऐसा न करने की सूरत में हाईकोर्ट सुनवाई के दिन उन्हें जेल भेजने का आदेश पारित कर सकता है.

ये भी पढ़ें: अदालती रिकॉर्ड से छेड़छाड़ के तीन दोषियों को 14 दिन कम्युनिटी सर्विस की सजा, पंचायत में करना होगा समाज सेवा का काम

शिमला: एक मामले में अदालत की तरफ से जारी आदेश की अक्षरश: अनुपालना न होने पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के शिक्षा सचिव व प्रारंभिक शिक्षा विभाग के निदेशक से सख्त लहजे में पूछा है कि क्यों न उन्हें जेल भेज दिया जाए? अदालत ने दोनों अधिकारियों से एक सप्ताह में स्पष्टीकरण तलब किया है. हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि यदि प्रतिवादी (शिक्षा सचिव व प्रारंभिक शिक्षा निदेशक) अपना स्पष्टीकरण नहीं दे पाए तो यह समझा जायेगा कि उन्हें इस बारे में कुछ नहीं कहना है. इसलिए मामले की अगली सुनवाई के दिन वे जेल जाने के लिए जिम्मेवार स्वयं होंगे. मामले की सुनवाई 11 दिसंबर को निर्धारित की गई है.

इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर व न्यायमूर्ति संदीप शर्मा की खंडपीठ कर रही है. खंडपीठ ने प्रार्थी कुलदीप चंद की तरफ से दाखिल की गई अनुपालना याचिका की सुनवाई के बाद यह आदेश जारी किए. कुलदीप चंद ने हाईकोर्ट की ओर से उसके पक्ष में सुनाए गए निर्णय को लागू करने के लिए याचिका दाखिल की थी. अदालत ने पाया कि 24 अप्रैल 2014 को खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के पक्ष में निर्णय सुनाया था. प्रार्थी ने उसकी सेवाएं 95 फीसदी ग्रांट इन एड नीति के तहत बतौर नियमित अध्यापक ओवर टेक किए जाने की मांग की थी.

हाईकोर्ट की खंडपीठ ने प्रतिवादियों को आदेश दिए थे कि वह ओम प्रकाश बनाम राज्य सरकार वाले मामले में जारी किए गए, आदेशों को देखते हुए प्रार्थी के मामले में भी निर्णय ले. ओम प्रकाश मामले में अदालत ने सरकार को आदेश दिए थे कि वह प्रार्थी को तब से नियमित नियुक्ति प्रदान करे, जब से सरकार ने उसके कॉलेज को 95 फीसदी ग्रांट इन एड नीति के तहत अधिग्रहित किया था. सरकार ने ओम प्रकाश मामले को खंडपीठ के समक्ष अपील के माध्यम से चुनौती दी थी लेकिन विफल रही.

अदालत का कहना था कि यह फैसला प्रार्थी के मामले में भी लागू होना था. इसलिए उसने 24 अप्रैल 2014 के फैसले को लागू करने के लिए अनुपालना याचिका दायर की थी. प्रतिवादियों को उपयुक्त समय देने के बावजूद आदेशों की अनुपालना नहीं की गई. अब अनुपालना याचिका की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. शिक्षा सचिव व प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को 11 दिसंबर की सुनवाई से पहले अपना स्पष्टीकरण दाखिल करना है. ऐसा न करने की सूरत में हाईकोर्ट सुनवाई के दिन उन्हें जेल भेजने का आदेश पारित कर सकता है.

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