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हाईकोर्ट की सख्ती के बाद खुली सरकार की नींद, जल्द गठित होगा मानवाधिकार आयोग

मुख्य न्यायाधीश एल नारायण स्वामी और न्यायाधीश ज्योत्सना रेवाल दुआ  की खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिए कि वह लोकायुक्त कि नियुक्ति के संदर्भ में अदालत को अवगत करवाए. प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति पर राज्य सरकार ने चार महीने का समय मांगा है.

himachal high court on human rights commission
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Published : Nov 13, 2019, 8:40 PM IST

शिमला: हाई कोर्ट की सख्ती के बाद अब राज्य सरकार की नींद टूटी है. हिमाचल में जल्द ही मानवाधिकार आयोग का गठन होगा. अदालत ने आयोग का गठन न होने पर नाराजगी जताई थी.

इस मामले में अदालत की तरफ से कड़े आदेश पारित करने के बाद बुधवार को राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने अदालत के समक्ष अपना बयान दिया है. बयान में महाधिवक्ता ने कहा कि हिमाचल में मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति को लेकर देश के विभिन्न हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को सूचित कर दिया गया है.

मुख्य न्यायाधीश एल नारायण स्वामी और न्यायाधीश ज्योत्सना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिए कि वह लोकायुक्त कि नियुक्ति के संदर्भ में अदालत को अवगत करवाए. प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति पर राज्य सरकार ने चार महीने का समय मांगा है.

मामले पर पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि वह एक सप्ताह के भीतर अदालत को बताए कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार राज्य में मानवाधिकार आयोग की स्थापना क्यों नहीं की गई. न्यायालय के समक्ष दायर जनहित याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि स्टेट ह्यूमन राइट कमीशन वर्ष 2005 से कार्य नहीं कर रहा है.

राज्य सरकार की ओर से इसे क्रियाशील रखने के लिए जरूरी पदों पर नियुक्तियां नहीं की गई है जबकि पिछले 15 साल में तीन बार सरकार बदल चुकी है. इस से लोगों के अधिकारों का हनन होने की स्थिति में उनको तुरन्त न्याय दिलवाने के लिए कोई उपयुक्त फोरम नहीं है.

याचिका में ऐसे कई उदाहरण दिये गए है कि ह्यूमन राइट कमीशन न होने पर लोगो को गुहार लगाने के लिए अदालतों का सहारा लेना पड़ा. इसी तरह राज्य सरकार की ओर से लोकायुक्त का भी गठन नहीं किया गया है. ऐसे में लोकायुक्ता के अधीन आने वाले मामलों पर कोई कार्यवाही नहीं हो पा रही है. मामले की आगामी सुनवाई मार्च 2020 में निर्धारित की गई है

शिमला: हाई कोर्ट की सख्ती के बाद अब राज्य सरकार की नींद टूटी है. हिमाचल में जल्द ही मानवाधिकार आयोग का गठन होगा. अदालत ने आयोग का गठन न होने पर नाराजगी जताई थी.

इस मामले में अदालत की तरफ से कड़े आदेश पारित करने के बाद बुधवार को राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने अदालत के समक्ष अपना बयान दिया है. बयान में महाधिवक्ता ने कहा कि हिमाचल में मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति को लेकर देश के विभिन्न हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को सूचित कर दिया गया है.

मुख्य न्यायाधीश एल नारायण स्वामी और न्यायाधीश ज्योत्सना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिए कि वह लोकायुक्त कि नियुक्ति के संदर्भ में अदालत को अवगत करवाए. प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति पर राज्य सरकार ने चार महीने का समय मांगा है.

मामले पर पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि वह एक सप्ताह के भीतर अदालत को बताए कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार राज्य में मानवाधिकार आयोग की स्थापना क्यों नहीं की गई. न्यायालय के समक्ष दायर जनहित याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि स्टेट ह्यूमन राइट कमीशन वर्ष 2005 से कार्य नहीं कर रहा है.

राज्य सरकार की ओर से इसे क्रियाशील रखने के लिए जरूरी पदों पर नियुक्तियां नहीं की गई है जबकि पिछले 15 साल में तीन बार सरकार बदल चुकी है. इस से लोगों के अधिकारों का हनन होने की स्थिति में उनको तुरन्त न्याय दिलवाने के लिए कोई उपयुक्त फोरम नहीं है.

याचिका में ऐसे कई उदाहरण दिये गए है कि ह्यूमन राइट कमीशन न होने पर लोगो को गुहार लगाने के लिए अदालतों का सहारा लेना पड़ा. इसी तरह राज्य सरकार की ओर से लोकायुक्त का भी गठन नहीं किया गया है. ऐसे में लोकायुक्ता के अधीन आने वाले मामलों पर कोई कार्यवाही नहीं हो पा रही है. मामले की आगामी सुनवाई मार्च 2020 में निर्धारित की गई है

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