शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने एक अहम हिदायत दी है. ये हिदायत फोरलेन से संबंधित अवैध कब्जों के मामलों से जुड़ी है. हाईकोर्ट ने सिविल अदालतों व राजस्व अदालतों से कहा है कि वे फोरलेन से जुड़े अवैध कब्जों वाले मामलों की सुनवाई न करें. अदालत ने कहा है कि फोरलेन के आसपास जो भी अवैध कब्जे हुए हैं, वो हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश से हटाए जा रहे हैं.
ऐसे में सिविल अदालतों व रेवेन्यू अदालतों को अवैध कब्जों वाले मामलों की सुनवाई से रोका गया है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने ये हिदायत जारी की है. एक मामले में हाईकोर्ट की उक्त खंडपीठ के समक्ष सोलन जिले के डीसी की रिपोर्ट अवलोकन के लिए पेश की गई थी. उस रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद हाईकोर्ट ने सिविल व रेवेन्यू कोर्ट को हिदायत जारी की.
इस मामले में हाईकोर्ट 11 अप्रैल को फिर से सुनवाई करेगा. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी एनएचएआई को आदेश दिए हैं कि वह तीन महीनों की अवधि के भीतर सडक़ों के किनारे शौचालय इत्यादि की सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए एक डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करे, ताकि डीपीआर तैयार होने पर बरसात से पहले सुविधाओं से संबंधित निर्माण शुरू किया जा सके.
सोलन जिले के डीसी ने रिपोर्ट के माध्यम से अदालत को बताया कि फोरलेन बनाने वाली जमीन पर विवेक सूद नामक व्यक्ति ने अवैध कब्जा किया हुआ है. इस पर हाईकोर्ट ने कलेक्टर सोलन को आदेश दिए कि वह तुरंत प्रभाव से अवैध कब्जा छुड़वाएं और इस आदेश की अनुपालना रिपोर्ट अदालत के समक्ष पेश करें. फोरलेन के निर्माण में हो रही देरी पर भी हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है.
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारियों ने अदालत के ध्यान में लाया था कि राजस्व विभाग की ओर से निशानदेही न करने के कारण फोरलेन निर्माण में देरी हो रही है. अथॉरिटी ने परवाणू से कैथलीघाट तक फोरलेन को दिसंबर 2023 तक पूरी तरह से चालू करने का बयान हाईकोर्ट के समक्ष दिया था. अब इस फोरलेने से जुड़े सभी मामलों को हाईकोर्ट देख रहा है.
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