शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने दहेज प्रताड़ना के दो दोषियों को बरी कर दिया है. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने देवेंद्र सिंह और अन्य की ओर से दायर अपील को स्वीकार किया है. हाई कोर्ट ने विचारण अदालत के निर्णय को निरस्त करते हुए राज्य सरकार की अपील को भी खारिज कर दिया.
विचारण अदालत ने कांगड़ा निवासी देवेंद्र सिंह और उसकी मां को दहेज प्रताड़ना के लिए दोषी ठहराया था. हालांकि अदालत ने उन्हें आत्महत्या के लिए उकसाने के अपराध से दोषमुक्त किया था. राज्य सरकार ने हाई कोर्ट के समक्ष उन्हें इस अपराध के लिए बरी किए जाने को चुनौती दी थी. हाई कोर्ट ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन पर पाया कि 4 दिसंबर 2007 को सत्या देवी की शादी देवेंद्र सिंह से हुई थी. अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया था कि शादी के दो महीनों के बाद ही आरोपियों ने उसे दहेज के प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था. इस प्रताड़ना के बाद उसे 24 नवंबर 2008 को आत्महत्या कर दी.
देवेंद्र सिंह और उसकी मां के खिलाफ सत्र न्यायाधीश कांगड़ा की अदालत में अभियोग चलाया गया था. अदालत ने पाया कि विचारण अदालत ने उन्हें आत्महत्या के लिए उकसाने के अपराध से दोषमुक्त किया है. उन्हें सिर्फ दुर्व्यवहार और उत्पीड़न के लिए दोषी ठहराया गया था, जबकि इसके लिए उनके खिलाफ कोई आरोप तय नहीं किया गया था. अदालत ने विचारण अदालत के निर्णय को निरस्त करते हुए उन्हें तुरंत बरी करने के आदेश दिए हैं.
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