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छात्रवृत्ति घोटाला: सिर्फ 22 शैक्षणिक संस्थानों तक CBI जांच सीमित किए जाने पर HC ने मांगा जवाब - न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी

हिमाचल में 250 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले की जांच सिर्फ 22 शैक्षणिक संस्थानों तक सीमित किये जाने पर प्रदेश हाई कोर्ट ने गंभीरता से लिया है. अदालत ने मामले में सरकार सहित सीबीआई को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है.

Himachal HC
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Published : Oct 18, 2019, 11:23 PM IST

शिमला: सीबीआई द्वारा हिमाचल में 250 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले की जांच सिर्फ 22 शैक्षणिक संस्थानों तक सीमित किये जाने पर प्रदेश हाई कोर्ट ने गंभीरता से लिया है. अदालत ने मामले में सरकार सहित सीबीआई को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है.

जनहित में दायर याचिका के माध्यम से अदालत को बताया गया कि 250 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले में कुल 2,772 शैक्षणिक संसथान हैं, लेकिन राज्य सरकार ने सिर्फ 22 शैक्षणिक संस्थानों की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा है.

मुख्य न्यायाधीश एल नायायण स्वामी और न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी की खंडपीठ ने राज्य सरकार सहित सीबीआई को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है. सीबीआई की और से अदालत से गुहार लगाई गई कि वह मामले कि जांच कर रही है तो इस स्थिति में सीबीआई को सील्ड कवर में रिपोर्ट दायर करने की अनुमति दी जाए, ताकि उनके द्वारा की गई जांच सार्वजानिक न हो.

अदालत ने सीबीआई की इस गुहार को स्वीकार किया और सील्ड कवर में रिपोर्ट दायर करने के आदेश दिए. याचिका में राज्य के मुख्य सचिव, उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक और सीबीआई को प्रतिवादी बनाया गया है. मामले की अगली सुनवाई 14 नवंबर को निर्धारित की गई है.

जनहित में दायर याचिका में प्रार्थी ने छात्रवृत्ति घोटाले बारे दैनिक समाचार पत्रों में छपी खबरों को भी सलंगन किया है. प्रकाशित खबरों के अनुसार प्रारंभिक जांच में सीबीआई ने बड़ा खुलासा किया है. केंद्रीय जांच एजेंसी को छानबीन में पता चला है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों व निजी शिक्षण संस्थानों में छात्रवृत्ति हड़पने के लिए बाकायदा एक रैकेट चल रहा था. इसके लिए अधिकारी निजी शिक्षण संस्थानों को छात्रवृत्ति जारी करने के लिए दस फीसदी तक कमीशन लेते थे.

याचिका में सलंगन खबरों के अनुसार जांच में पता चला है कि कमीशन का यह खेल होटलों में चलता था. यहां पर स्कॉलरशिप जारी कराने की एवज में निजी संस्थान विभाग के अधिकारियों को कमीशन का पैसा देते थे. सीबीआई अब यह पता लगा रही है कि इस खेल में कितने लोग शामिल थे और कमीशन कितने लोगों में बंटता था.

इस बात की तस्दीक निजी शिक्षण संस्थानों के प्रबंधकों से पूछताछ में भी हो चुकी है. इसके बाद ही शिक्षा विभाग के अधीक्षक अरविंद राज्टा सीबीआई के रडार पर आए. सीबीआई की जांच में यह भी पता चला है कि स्कॉलरशिप की स्वीकृति से संबंधित फाइलों को शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों तक पहुंचने नहीं दिया जाता था.

निचले स्तर के अधिकारी-कर्मचारी फाइलों को अपने स्तर पर ही मार्क कर देते थे. इसके अलावा जांच में यह भी पता चला है कि नियमों के विपरीत निजी ई-मेल आईडी से छात्रवृत्ति के काम को अंजाम दिया जाता था.

शिमला: सीबीआई द्वारा हिमाचल में 250 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले की जांच सिर्फ 22 शैक्षणिक संस्थानों तक सीमित किये जाने पर प्रदेश हाई कोर्ट ने गंभीरता से लिया है. अदालत ने मामले में सरकार सहित सीबीआई को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है.

जनहित में दायर याचिका के माध्यम से अदालत को बताया गया कि 250 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले में कुल 2,772 शैक्षणिक संसथान हैं, लेकिन राज्य सरकार ने सिर्फ 22 शैक्षणिक संस्थानों की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा है.

मुख्य न्यायाधीश एल नायायण स्वामी और न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी की खंडपीठ ने राज्य सरकार सहित सीबीआई को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है. सीबीआई की और से अदालत से गुहार लगाई गई कि वह मामले कि जांच कर रही है तो इस स्थिति में सीबीआई को सील्ड कवर में रिपोर्ट दायर करने की अनुमति दी जाए, ताकि उनके द्वारा की गई जांच सार्वजानिक न हो.

अदालत ने सीबीआई की इस गुहार को स्वीकार किया और सील्ड कवर में रिपोर्ट दायर करने के आदेश दिए. याचिका में राज्य के मुख्य सचिव, उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक और सीबीआई को प्रतिवादी बनाया गया है. मामले की अगली सुनवाई 14 नवंबर को निर्धारित की गई है.

जनहित में दायर याचिका में प्रार्थी ने छात्रवृत्ति घोटाले बारे दैनिक समाचार पत्रों में छपी खबरों को भी सलंगन किया है. प्रकाशित खबरों के अनुसार प्रारंभिक जांच में सीबीआई ने बड़ा खुलासा किया है. केंद्रीय जांच एजेंसी को छानबीन में पता चला है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों व निजी शिक्षण संस्थानों में छात्रवृत्ति हड़पने के लिए बाकायदा एक रैकेट चल रहा था. इसके लिए अधिकारी निजी शिक्षण संस्थानों को छात्रवृत्ति जारी करने के लिए दस फीसदी तक कमीशन लेते थे.

याचिका में सलंगन खबरों के अनुसार जांच में पता चला है कि कमीशन का यह खेल होटलों में चलता था. यहां पर स्कॉलरशिप जारी कराने की एवज में निजी संस्थान विभाग के अधिकारियों को कमीशन का पैसा देते थे. सीबीआई अब यह पता लगा रही है कि इस खेल में कितने लोग शामिल थे और कमीशन कितने लोगों में बंटता था.

इस बात की तस्दीक निजी शिक्षण संस्थानों के प्रबंधकों से पूछताछ में भी हो चुकी है. इसके बाद ही शिक्षा विभाग के अधीक्षक अरविंद राज्टा सीबीआई के रडार पर आए. सीबीआई की जांच में यह भी पता चला है कि स्कॉलरशिप की स्वीकृति से संबंधित फाइलों को शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों तक पहुंचने नहीं दिया जाता था.

निचले स्तर के अधिकारी-कर्मचारी फाइलों को अपने स्तर पर ही मार्क कर देते थे. इसके अलावा जांच में यह भी पता चला है कि नियमों के विपरीत निजी ई-मेल आईडी से छात्रवृत्ति के काम को अंजाम दिया जाता था.

सीबीआई द्वारा हिमाचल में 250 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले की जाँच सिर्फ 22 शैक्षणिक संस्थानों तक सीमित  किये जाने पर प्रदेश हाई कोर्ट ने गंभीरता से लिया है/ जनहित में दायर याचिका के माध्यम से अदालत को बताया गया कि 250 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले  में कुल 2772 शैक्षणिक संसथान है लेकिन राज्य सरकार ने सिर्फ 22 शैक्षणिक संस्थानों  की जाँच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा है/ मुख्य न्यायाधीश एल नायायण स्वामी और न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी की खंडपीठ ने राज्य सरकार सहित सीबीआई को नोटिस जारी कर दो  सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है/ सीबीआई की और से अदालत से गुहार लगाईं गई कि चूँकि वह मामले कि जाँच कर रही है तो इस स्थिति में सीबीआई को सील्ड कवर में रिपोर्ट दायर करने की अनुमति दी जाए ताकि उनके द्वारा की गई जाँच सार्वजानिक न हो/ अदालत ने सीबीआई की इस गुहार को स्वीकार किया और सील्ड कवर में रिपोर्ट दायर करने के आदेश दिए/ याचिका में राज्य के मुख्य सचिव, उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक और सीबीआई को प्रतिवादी बनाया गया है/ मामले की आगामी सुनवाई 14 नवम्वर को निर्धारित की गई है/

 जनहित में दायर याचिका में प्रार्थी ने छात्रवृत्ति घोटाले बारे दैनिक समाचार पत्रों में छपी खबरों को भी सलंगन किया है/ प्रकाशित खबरों के अनुसार   प्रारंभिक जांच में सीबीआई ने बड़ा खुलासा किया है। केंद्रीय जांच एजेंसी को छानबीन में पता चला है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों- कर्मचारियों व निजी शिक्षण संस्थानों में छात्रवृत्ति हड़पने के लिए बाकायदा एक रैकेट चल रहा था। इसके लिए अधिकारी निजी शिक्षण संस्थानों को छात्रवृत्ति जारी करने के लिए दस फीसदी तक कमीशन लेते थे।

याचिका में सलंगन खबरों के अनुसार जांच में पता चला है कि कमीशन का यह खेल होटलों में चलता था। यहां पर स्कॉलरशिप जारी कराने की एवज में निजी संस्थान विभाग के अधिकारियों को कमीशन का पैसा देते थे। सीबीआई अब यह पता लगा रही है कि इस खेल में कितने लोग शामिल थे और कमीशन कितने लोगों में बंटता था। इस बात की तस्दीक निजी शिक्षण संस्थानों के प्रबंधकों से पूछताछ में भी हो चुकी है। इसके बाद ही शिक्षा विभाग के अधीक्षक अरविंद राज्टा सीबीआई के रडार पर आए। सीबीआई की जांच में यह भी पता चला है कि स्कॉलरशिप की स्वीकृति से संबंधित फाइलों को शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों तक पहुंचने नहीं दिया जाता था। निचले स्तर के अधिकारी- कर्मचारी फाइलों को अपने स्तर पर ही मार्क कर देते थे। जांच में यह भी पता चला है कि नियमों के विपरीत निजी ई-मेल आईडी से छात्रवृत्ति के काम को अंजाम दिया जाता था। 

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